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Veer Keh Raha
Vikas Sharma Shivaaya'
*AN AWESOME MESSAGE* *URGENTLY NEEDED...* Not BLOOD But, An *ELECTRICIAN* , to restore the joyful current between people, who do not speak to each other anymore... An *OPTICIAN* , to change the outlook of people... An *ARTIST* , to draw a smile on everyone's face... A *CONSTRUCTION* WORKER, to build a bridge between neighbours... A *GARDENER* , to cultivate good thoughts... A *PLUMBER* , to clear the choked and blocked mindsets... A *SCIENTIST* to rediscover compassion... A *LANGUAGE TEACHER* for better communication with each other... And Last but not least, A *MATHS TEACHER* , for all of us to relearn how to count on each other... *Spread love, positivity and smiles always* विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 872 से 883 नाम ) 872 प्रियार्हः जो प्रिय ईष्ट वस्तु निवेदन करने योग्य है 873 अर्हः जो पूजा के साधनों से पूजनीय हैं 874 प्रियकृत् जो स्तुतिआदि के द्वारा भजने वालों का प्रिय करते हैं 875 प्रीतिवर्धनः जो भजने वालों की प्रीति भी बढ़ाते हैं 876 विहायसगतिः जिनकी गति अर्थात आश्रय आकाश है 877 ज्योतिः जो स्वयं ही प्रकाशित होते हैं 878 सुरुचिः जिनकी रुचि सुन्दर है 879 हुतभुक् जो यज्ञ की आहुतियों को भोगते हैं 880 विभुः जो सर्वत्र वर्तमान हैं और तीनों लोकों के प्रभु हैं 881 रविः जो रसों को ग्रहण करते हैं 882 विरोचनः जो विविध प्रकार से सुशोभित होते हैं 883 सूर्यः जो श्री(शोभा) को जन्म देते हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' *AN AWESOME MESSAGE* *URGENTLY NEEDED...* Not BLOOD But, An *ELECTRICIAN* , to restore the joyful current between people,
Vineet Sharma
"कान्हा तेरे प्यार में" गोपियों संग लीला रचाई थी तुमने, बृज में होली मनाई थी तुमने, हो कहाँ अब और किस खुमार में, कहीं न मिलते हो इस दुनिया के बाजार में, मैं तड़पता हूँ यहाँ तेरे इंतज़ार में, कान्हा तेरे प्यार में| अर्जुन संग सखा बन तुमने अपना प्रण निभाया, कौरवों के हर व्यूह रचना को तोड़ दिखाया, धर्म की रक्षा करना तुमने कर्म कर समझाया, गीता उपदेश में तुमने जीवन का सार सिखलाया, समझने को तुमसे सिर्फ तुमसे हूँ बेकरार मैं, कान्हा तेरे प्यार में| सुदामा को गले से लगाया था तुमने, मित्र धर्म से परिचय कराया था तुमने, मीरा से भी तुम थे मिलने आए, उनकी कविताओं में हो तुम ही छाए, मैं भी लिखता हूँ कविता इज़्तिरार में, कान्हा तेरे प्यार में| राधा संग तेरी कहानी चढ़ी है हर जुबानी, प्रेम की इससे प्यारी नहीं है मिसाल, न नई-न पुरानी, बांसुरी बजाते थे तुम दौड़ चली आती थी राधा रानी, अब राधे-राधे भजने से ही होती है तुमसे मुलाकात सुहानी, इस होली रंग जाओ मुझे, रंगा जैसे अर्जुन, सुदामा, मीरा, राधा को अपने प्यार में, कान्हा तेरे इंतज़ार में, तेरे प्यार में..... "कान्हा तेरे प्यार में" गोपियों संग लीला रचाई थी तुमने, बृज में होली मनाई थी तुमने, हो कहाँ अब और किस खुमार में, कहीं न मिलते हो इस दुनिया
Vikas Sharma Shivaaya'
गणेश शाबर मंत्र मन्त्रः- ॐ गणपति यहाँ पठाऊं तहां जावो दस कोस आगे जा ढाई कोस पीछे जा दस कोस सज्जे दस कोस खब्बे मैया गुफ्फा की आज्ञा मन रिद्धि सिद्धि देवी आन अगर सगर जो न आवे तो माता पारवती की लाज ! ॐ क्राम् फट् स्वाहा ! कार्य-सिद्धि हेतु गणेश शाबर मन्त्र मन्त्रः- “ॐ गनपत वीर, भूखे मसान, जो फल माँगूँ, सो फल आन। गनपत देखे, गनपत के छत्र से बादशाह डरे। राजा के मुख से प्रजा डरे, हाथा चढ़े सिन्दूर। औलिया गौरी का पूत गनेश, गुग्गुल की धरुँ ढेरी, रिद्धि-सिद्धि गनपत धनेरी। जय गिरनार-पति। ॐ नमो स्वाहा।” विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 144 से 154 नाम 144 सहिष्णुः दैत्यों को भी सहन करने वाले 145 जगदादिजः जगत के आदि में उत्पन्न होने वाले 146 अनघः जिनमे अघ (पाप) न हो 147 विजयः ज्ञान, वैराग्य व् ऐश्वर्य से विश्व को जीतने वाले 148 जेता समस्त भूतों को जीतने वाले 149 विश्वयोनिः विश्व और योनि दोनों वही हैं 150 पुनर्वसुः बार बार शरीरों में बसने वाले 151 उपेन्द्रः अनुजरूप से इंद्र के पास रहने वाले 152 वामनः भली प्रकार भजने योग्य हैं 153 प्रांशुः तीनो लोकों को लांघने के कारण प्रांशु (ऊंचे) हो गए 154 अमोघः जिनकी चेष्टा मोघ (व्यर्थ) नहीं होती 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' गणेश शाबर मंत्र मन्त्रः- ॐ गणपति यहाँ पठाऊं तहां जावो दस कोस आगे जा ढाई कोस पीछे जा दस कोस सज्जे दस कोस खब्बे मैया गुफ्फा की आज्ञा मन रिद्ध
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
अब जाति धर्म के पौधे को , राजनीति में लगने दो । लेकिन इसके बीज नहीं तुम , आँगन अपने उगने दो ।। मानवता की बातें कर लो , सभी हमारे साथी है । मुश्किल से मिलता तन मानव , फिर क्यों आपा धापी है ।। वही राम रहीम है देखो , सबको उनमे रमने दो .... अब जाति धर्म के पौधे को..... मंदिर मस्जिद और शिवाले , मन मंदिर से क्या सुंदर । भटक रहा तू खाकर खोकर , झाँक कभी मन के अंदर ।। मैं तुझमे तू मुझमे दिखते , मन को दर्पण करने दो । अब जाति धर्म के पौधे को ..... आया कलयुग घोर हुआ है , जाति धर्म भी दूर हुआ । भाई-भाई लड़ते रहते , हर रिश्ता मजबूर हुआ ।। माँ पत्नी की मान नही है , बहती धारा बहने दो । अब जाति धर्म के पौधे को ..... तुमने अपने राम खो दिए , हमने अपने रहीम को । कुछ लोगों की बातों में , भूले अस्तित्व सभी वो ।। आओ लौट चले जीवन में , इनको इसमें बसने दो । अब जाति धर्म के पौधे को.... कौम याद रह गये सभी को , कौल किसी को याद नही । हम सब मानव बनकर आये , क्या रब की फरियाद नही ।। बनना था इंसान यहाँ पर , पर कीडे़ बन चलने दो । अब जाति धर्म के पौधे को .... जीव जन्तु इंसान सहारे , मन मोहे प्रकृति नजारे । मानव भक्षी बनकर देखो , चला पतन के है धारे ।। भूल गया सहयोग प्रकित का , माया-२ भजने दो । अब जाति धर्म के पौधे को.... अब जाति धर्म के पौधे को , राजनीति में लगने दो । लेकिन इसके बीज नही तुम , इँगन अपने उगने दो ।। २०/०५/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अब जाति धर्म के पौधे को , राजनीति में लगने दो । लेकिन इसके बीज नहीं तुम , आँगन अपने उगने दो ।। मानवता की बातें कर लो , सभी हमारे साथी है ।
Harshita Dawar
मैंने तुमने देखा है हर एक राज़ को दफनाते हुए हर बार देखा मैने इन चट्टानों से लिपट कर रोते हुए याद करते हो ना हर वो लिखी बाते जो जहन में दबी है इस बचपन की यादों को शिकवे गिले में लपेटे सरहदों मे सिमट गये हमारे प्रेम के प्रतेक निशान मेरे सीने मे दफ़न जो कोई बार भर कर मेरे गुल्लक मे समेटि यादों का भंडार है बाहों को फलाए दादी का लाड है हैरानगी नहीं आज तक याद है सभी बातों का जवाब हैं मिलकर बताएं या दीवारों पर तस्वीरें बनाए तुम हे पूरी तरह सतह पर भिचाय नहीं है अपनी कलम से निकली स्याही मे पिघलाया नहीं है हर हिसास इन इमारतों में मै ख़ुद का लगता हू हमारी कहानिया नादानिया सा बरसता हु हर कोई यहाँ आया होगा मगर आज भी सरहद पार में तुम्हारे हा का इंतज़ार करता ह इन लाहौर और भारत की सरहद के एक होने का इंतज़ार करता हु लिखी मैनें भी कई ख़त तुम्हारे नाम उस ओर भजने को दिल बार बार कहता रहा तुम्हारी आवाज़ नींद मे जगाती रही तुम से हम का सफर एक होने की उम्मीद जगाती रही.... इन सरहदी लडाई को बेवफ़ा मोहब्बत न कहना हर सास मे शामिल हो तुम आज भी सास जितनी भी है इल्ज़ामों न देना, बची साँसों को चैन वैसे नहीं। बस एक बार मिल लेना तुम्हारे ख़त आज भी सभाले हैं मैने... बस इतना आसान नहीं अलविदा कहना.. सरहद पार बचपन का ehsaas इंतज़ार में हैं... इंतज़ार में है... मैंने तुमने देखा है हर एक राज़ को दफनाते हुए हर बार देखा मैने इन चट्टानों से लिपट कर रोते हुए याद करते हो ना हर वो लिखी बाते जो जहन में द
आयुष पंचोली
"दशावतार" जब जब धर्म की होंने लगती हैं हानि, धरती पर बढने लगते हैं, अधर्मी मनुष्य और अभिमानी । रोती हैं जब यह धरती माता खून के आँसू, गोओ का रूदन जब चि
Unconditiona L💓ve😉
. . . 💟💟💟_____🦚🦚!!!!हरे कृष्ण सखी!!!!🦚🦚_____💟💟💟 🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠🌠 BG*мade wιтн тнeѕe ѕcenιc wordѕ ::-- •••••••••••••••••••••••••••••••••••••••