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Rahul Gupta
"काश वो वक़्त फिर लौट आए, उनकी आंखों में जब हम थे समाएं, वो जुल्फे, वो अददायें, दीवाना सा हो जाता था मैं जब वो शर्माएं, सब कुछ रुक से जाता था ,जब वो मुस्कुराएं!" #शहायरी #विचार #यादें #कविता
Abhishek Trehan
हमने क़त्ल किया था आँसुओं का कभी बारिशें तो बस सज़ा दे रही हैं लाजमी था किसी रोज़ मैं भी टूट जाऊँ तारीख़ें तो बस मज़ा ले रही हैं... © abhishek trehan #बारिश #यादें #कविता #कहानी #शायरी
Siddharth Gupta
वो दौर तो कबका गया क्या हमारा इश्क़ अब भी बाकी है और तेरी मोहब्बत का कुछ यूं असर है मुझपर की इतने सालों बाद आज भी तू मेरे खाव्वो में आती है --siddharth #shayri #nojotohindi #यादें #कविता #हिंदी
Abhishek Trehan
जिस्म साथ रहता है, सांसें छूट जाती हैं यादें साथ रहती हैं, बातें छूट जाती हैं इस रंग बदलती दुनिया का भरोसा नहीं है नीव महफ़ूज रहती है,इमारतें टूट जाती हैं। इश्क में भी उनके गज़ब की कशिश है, रोता कोई है, आखें किसी की सूज जाती हैं गहरे पानी के जैसी मोहब्बत है अपनी वादे याद रहते हैं, कसमें टूट जाती हैं। बेहोशी की बातों की कोई कीमत नहीं है, ख़ुमार उतर जाता है, कहानियां छूट जाती हैं जाना है एक दिन सबको यहां से, नाम मिट जाता है, निशानियां छूट जाती हैं। #जीवन #कहानी #बातें #यादें #कविता #शायरी #निशानी
ATUL PATHAK
शीर्षक-यादों की बस्ती विधा-कविता ---------------------------- कभी वक्त कहाँ ठहरा है, देखूँ जहाँ जहाँ तेरी यादों का पहरा है। यादों की दीवारें मौन गुंज़ार कर रही हैं, तन्हाई लम्हों को फिर से कुरेद रही है। आज भी हवाएं तेरा हाल बताने आती हैं, मन में होती सरसराहट जैसे तेरे गुनगुनाने की सदा आती है। बेज़ार दिल अक़्सर पूछ लेता है, ज़िन्दगी का सबब क्यों कुछ न कहता है। यहां कोई और कभी न आता है, ये यादों की बस्ती है यहां सिर्फ तेरा ख़्याल आता है। रचनाकार-अतुल पाठक " धैर्य " पता-जनपद हाथरस(उत्तर प्रदेश) मौलिक/स्वरचित रचना ©ATUL PATHAK DHAIRYA #यादें #कविता #poem #poemkiduniya #Nojoto #yourquote #feelings
Rahul Ranjan
वो गुजरा हुआ जमाना मुझे बहुत याद आता है... वो रह रह कर तेरा खिलखिलाना मुझे आज भी बहुत याद आता है। वो कॉलेज के नॉलेज पार्क, और पार्क में फव्वारें फव्वारें में एक साथ पैर डाल कर घंटो बैठना थोड़ा लड़ना थोड़ा रूठना और मनाना मुझे आज भी बहुत याद आता है। वो अचानक मिलने की ज़िद, क्लास बंक करने की क़सिद और बिन कुछ बोले कॉलेज की आखिरी सीढ़ी पर जा कर बैठ जाने की उम्मीद मुझे आज भी बहुत याद आता है। वो कॉलेज की पिया मिलन चौक, और उस चौक के सर्किल पर बैठ के इतराना थोड़ा हँसना थोड़ा गुनगुनाना और फिर चिल्लाना मुझे आज भी बहुत याद आता है। वो शहर की तंग गलियां,डूबते सूरज की लालियाँ मुस्कुराते हुए तुम,साथ देखे हुए ख़्वाब और सजाये सपनों की अनगिनत डालियाँ मुझे आज भी बहुत याद आता है। वो गुजरा हुआ जमाना मुझे बहुत याद आता है... वो रह रह कर तेरा खिलखिलाना मुझे आज भी बहुत याद आता है। ©Rahul Ranjan #nojohindi #यादें #कविता #poem #जमाना #प्यार #pain #Hum
Vijay Kumar Mishra
यादों का अम्बार लगा अपनी गाथा लिखता हूँ। किस को लिखूँ किस को छोड़ूँ तय नहीं कर पाता हूँ। खट्टे-मिठे यादों में कितने सारे किस्से हैं कुछ यादें हर्षित कर जाती,कुछ रूलाती हैं कुछ पर भाव स्पष्ट नहीं कर पाता हूँ। कुछ अपने अच्छे कर्म हैं कुछ नादानियाँ और गलतियाँ भी कुछ दुनिया की रीत का तोर नहीं पाता हूँ। जब भी होता हूँ उलझन में या खुद को दोराहे पर पाता हूँ यादों के इस अम्बार से कुछ रास्ता निकाला लाता हूँ। उन यादों और अनुभवों को सहेज फिर नित्य नई यादें गढने कर्म पथ पर आगे निकल जाता हूँ। ✍विजय© यादें #यादें #कविता Nojoto Nojoto News Nojoto Hindi Nojoto English