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Manish Jakhmi
कुछ सच ऐसे होते है जिनके परिणाम बारे में हमें पता होता है परंतु हम तब भी उसके विपरीत कार्य करने की कोशिश करते है, चलिए अपनी जगह किसी और को रखकर देखते है क्यूंकि लोग इस तरह के उदाहरण दूसरों पर सुनना ही पसंद करते है, परंतु यह पसंद और न पसंद करने का सवाल नहीं उठता क्योंकि कुछ इस तरह की अनगिनत चीजे व्यक्ति के जीवन हो जाती है जिससे भिड़कर वह अपने आप के एक आदमी बनाता है, अब एक आदमी कैसा हो ये प्रश्न भी बनता है, परंतु यह तो अक्सर नियती पर निश्चित होता है क्यूंकि परिस्थिति तो मात्र श्रेणी बदलती है, जीवन में पड़ावों को पार करते करते ही कुछ इस तरह (कविता में दिए गए) के निर्णय लेने होते है, जिनका ख्याल मात्र दो बार आता है एक निर्णय लेते वक्त और दूसरा उस परिस्थिति के अंत में परिणाम के वक्त। मनीष जख्मी ©Manish Jakhmi कुछ सच ऐसे होते है जिनके परिणाम बारे में हमें पता होता है परंतु हम तब भी उसके विपरीत कार्य करने की कोशिश करते है, चलिए अपनी जगह किसी और को र
Ankit Boss golden heart
Beautiful Moon Night जीवन के एक पड़ाव पर, दो विपरीत रास्ते दिखाई पड़ते हैं। जीवन में उन दोनों रास्तों का, महत्व बड़ा विशेष होता है। और चलना भी दोनों पर होता है। जहां एक रास्ता परिवार की ओर जाता है। तो दुसरा रास्ता आपके विकसित भविष्य, और महान कार्यों की तरफ जाता है। इस समय पल - पल कभी खुशी - कभी गम मिलते हैं। कभी कुछ पल को अपने मिलते हैं, तो कभी बिछड़ जाते हैं। तो कभी कहीं परदेश में कुछ अंजान मिलते हैं, जो अपने हो जाते हैं। मगर ऐसी स्थिति में, अपनी मानसिक स्थिति को संभाले रखना मुश्किल सा लगता है। कभी लब खामोश तो आँखें नम होती हैं। अक्सर कहा गया कि बेटियां पराई होती हैं। एक दहलीज छोड़कर दुसरी दहलीज की ओर चली जाती हैं। लेकिन लड़के तो अक्सर भागते - भागते, वेदहलीज हो जाते हैं। लड़के भी पराए से हो जाते हैं। मनमानियाँ करने वाले हर समय समझदारी से जीना सीख जाते हैं।। ~~अंकित ©Ankit Boss golden heart दो विपरीत रास्ते #Life #Life_experience #lifequotes #Ankitbossgoldenheart #AnkitBoss #zindagi #reelitfeelit #beautifulmoon AD Grk Balihar
Manish Jakhmi
किसी के लिए सबसे बेहतर यह भी हो जाता है जब वो मात्र अपने ही ख्यालों में एक दुनिया बना लेता है, जिसका आभास वास्तविकता में असलियत की दुनिया के मुकाबले ज्यादा सुंदर और संतुष्टिजनक होता है, और जाहिर है कि एक इंसान ऐसे ख्याल तब ही चुनता है जब असली दुनिया में उसे सब चीजे विपरीत ही मिली हो जैसी उसने देखी और सुनी हो या समय दिया हो। मनीष जख्मी। ©Manish Jakhmi किसी के लिए सबसे बेहतर यह भी हो जाता है जब वो मात्र अपने ही ख्यालों में एक दुनिया बना लेता है, जिसका आभास वास्तविकता में असलियत की दुनिया के
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} 🎆 पूजा का किसी भी धार्मिक व्यक्ति के जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है। कोई भी व्यक्ति अपने किसी ईष्ट को, अपने किसी देवता को, किसी गुरु को मानता है, तो वह उनकी कृपा भी चाहता है। वह चाहता है कि उसके ईष्ट, देवता हमेशा उसके साथ रहें, गुरु का उसे मार्गदर्शन मिलता रहे। इसी कृपा प्राप्ति के लिए जो भी साधन या कर्मकांड अथवा क्रियांए की जाती हैं, उन्हें पूजा विधि कहते हैं। धर्मक्षेत्र के अलावा कर्मक्षेत्र में भी पूजा का बहुत महत्व है इसलिये काम को भी लोग पूजा मानते हैं। 🎆 जिस प्रकार हर काम के करने की एक विधि होती है, एक तरीका होता है, उसी प्रकार पूजा की भी विधियां होती हैं, क्योंकि पूजा का क्षेत्र भी धर्म के क्षेत्र जितना ही व्यापक है। हर धर्म, हर क्षेत्र की संस्कृति के अनुसार ही वहां की पूजा विधियां भी होती हैं। मसलन मुस्लिम नमाज अदा करते हैं, तो हिंदू भजन कीर्तन, मंत्रोच्चारण हवन आदि, सिख गुरु ग्रंथ साहब के सामने माथा टेकते हैं, तो ईसाई प्रार्थनाएं करते हैं। इस तरह हर देवी-देवता, तीज-त्यौहार आदि को मनाने के लिए, अपने ईष्ट - देवता को मनाने की, खुश करने की अलग-अलग पद्धतियां हैं, इन्हें ही पूजा-पद्धतियां कहा जाता है। 🎆 जिस प्रकार गलत तरीके से किया गया कोई भी कार्य फलदायी नहीं होता, उसी प्रकार गलत विधि से की गई पूजा भी निष्फल होती है। जिस प्रकार वैज्ञानिक प्रयोगों में रसायनों का उचित मात्रा अथवा उचित मेल न किया जाये, तो वह दुर्घटना का कारण भी बन जाते हैं, उसी प्रकार गलत मंत्रोच्चारण अथवा गलत पूजा-पद्धति के प्रयोग से विपरीत प्रभाव भी पड़ते हैं, विशेषकर तंत्र विद्या में तो गलती की माफी नहीं ही मिलती। ये कर्म काण्ड है, और भगवान श्री कृष्ण की मन से की गई भक्ति सर्वोत्तम और सर्वोपरि तथा सर्वसश्रेष्ठ हैं।। ©N S Yadav GoldMine #bachpan {Bolo Ji Radhey Radhey} 🎆 पूजा का किसी भी धार्मिक व्यक्ति के जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है। कोई भी व्यक्ति अपने किसी ईष्ट को, अप
Chinka Upadhyay
विपरीत परिस्थितियों में खिलने वाला फूल दुर्लभ और सबसे सुंदर होता है।" ©Chinka Upadhyay विपरीत परिस्थितियां इंसान को और खूबसूरत बनाती हैं। #matangiupadhyay #Nojoto #thought #mymotivation
mr.krishna101_official
who is KRISHNA MOHAN MISHRA SOFTWARE ENGINEER ✨❤️? कृष्ण मोहन मिश्रा ✨ ❤️ का जन्म 10 अप्रैल 2002 को हुआ था, उनके पिता का नाम धर्म नाथ मिश्रा और माता का नाम ब्युटी देवी है, और उनका जन्म स्थान सुल्तानपुर, मोहिउद्दीननगर बिहार है। किसी भी अन्य मध्यवर्गीय व्यक्ति की तरह, वह भी महत्वाकांक्षी और बड़े सपने देखने वाला था, लेकिन दूसरों के विपरीत, उसमें वास्तव में बड़ा काम करने और जोखिम लेने की क्षमता थी। तो उनकी कहानी तब शुरू हुई जब वह 10वीं कक्षा में थे, उन्हें 10वीं और 12वीं में 60% अंक मिले, जिसके बाद उन्हें अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का अवसर मिला। बिजनेस करना उनका आइडिया तो था ही लेकिन इसके साथ-साथ वह इंजीनियर भी बनना चाहते थे। और वह आज खुद को सबसे ज्यादा धन्यवाद देता है, कभी हार न मानने के लिए, कभी पीछे मुड़कर नहीं देखने के लिए, कभी असफलता से नहीं डरने के लिए, वह दौड़ना चाहता था, वह उड़ना चाहता था, और गिरना भी चाहता था लेकिन वह कभी रुकना नहीं चाहता था, और न ही उसने, आज 4 साल बाद लोग उसे नहीं जानते लेकिन लोग उसे जानते हैं, उसके माता-पिता जो उसके खिलाफ थे, अब किसी से भी ज्यादा उस पर गर्व करते हैं। वह आज एक स्व-निर्मित सेलिब्रिटी, एक डिजिटल निर्माता और एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में जाने जाते हैं, वह वह विलासितापूर्ण जीवन जीते हैं जिसका उन्होंने सपना देखा था, लेकिन अगर वह कर सकते हैं तो हम कर सकते हैं, और यही कारण है कि वह सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को अपना हाथ लेने में मदद करते हैं और पूरे विश्वास और धैर्य के साथ चलना शुरू करें। नफरत करने वाले नफरत करेंगे लेकिन यह उनकी यात्रा का अंत नहीं है, उन्हें उम्मीद है कि अगली बार जब हम लेंगे तो वह विश्व स्तर पर प्रसिद्ध होंगे। वह नहीं रुकेगा, वह असफल हो सकता है लेकिन वह कभी नहीं रुकेगा! ©mr.krishna101_official #Krishna mohan mishra ✨ ❤️ #mr.krishna101_official #biography of KRISHNA MOHAN MISHRA ✨❤️ कृष्ण मोहन मिश्रा ✨ ❤️ का जन्म 10 अप्रैल 2002 क
roshan lal
गुडमॉर्निंग जी क्या आप जानते है ? प्रकाश का विपरीत शब्द-अंधकार औऱ उजाला का विपरीत शब्द-अंधेरा होता है! ©roshan lal #snowpark क्या आप जानते है ? अंधकार का विपरीत क्या होता है ?
N S Yadav GoldMine
श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना पढ़िए महाभारत !! 📝📝 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व द्वादश अध्याय: श्लोक 1-17 :- श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना. 📙 वैशम्पायन उवाच वैशम्पायन जी कहते हैं -राजन्! तदनन्तर सेवक-गण शौच-सम्बन्धी कार्य सम्पन्न कराने के लिय राजा धृतराष्ट्र-की सेवा में उपस्थित हुए। जब वे शौच कृत्य पूर्ण कर चुके, तब भगवान मधुसुदन ने फिर उनसे कहा-राजन! आपने वेदों और नाना प्रकार के शास्त्रों का अध्ययन किया है। सभी पुराणों और केवल राजधर्मों का भी श्रवण किया है। 📙 ऐसे विद्वान, परम बुद्धिमान् और बलाबल का निर्णय करने में समर्थ होकर भी अपने ही अपराध से होने वाले इस विनाश को देखकर आप ऐसा क्रोध क्यों कर रहे हैं ? भरतनन्दन! मैंने तो उसी समय आपसे यह बात कह दी थी, भीष्म, द्रोणाचार्य, विदुर और संजय ने भी आपको समझाया था। राजन्! परंतु आपने किसी की बात नहीं मानी। 📙 कुरुनन्दन! हम लोगों ने आपको बहुत रोका; परंतु आपने बल और शौर्य में पाण्डवोंको बढा-चढ़ा जानकर भी हमारा कहना नहीं माना। जिसकी बुद्धि स्थिर है, ऐसा जो राजा स्वयं दोषों को देखता और देश-काल के विभाग को समझता है, वह परम कल्याण का भागी होता है। 📙 जो हित की बात बताने पर भी हिता हित की बातको नहीं समझ पाता, वह अन्याय का आश्रय ले बड़ी भारी विपत्तिbमें पड़कर शोक करता है। भरत नन्दन! आप अपनी ओर तो देखिये। आपका बर्ताव सदा ही न्याय के विपरीत रहा है। राजन्! आप अपने मन को वश में न करके सदा दुर्योधन के अधीन रहे हैं। अपने ही अपराध से विपत्ती में पड़कर आप भीमसेन को क्यों मार डालना चाहते हैं? 📙 इसलिये क्रोधको रोकिये और अपने दुष्कर्मोंको याद कीजिये। जिस नीच दुर्योधन ने मनमें जलन रखनेके कारण पात्र्चाल राजकुमारी कृष्णाको भरी सभामें बुलाकर अपमानित किया, उसे वैरका बदला लेनेकी इच्छासे भीमसेनने मार डाला। आप अपने और दुरात्मा पुत्र दुर्योधनके उस अत्याचारपर तो दृष्टि डालिये, जब कि बिना किसी अपराधके ही आपने पाण्डवों का परित्याग कर दिया था। 📙 वैशम्पायन उवाच वैशम्पाचनजी कहते हैं – नरेश्वर! जब इस प्रकार भगवान् श्रीकृष्ण ने सब सच्ची-सच्ची बातें कह डालीं, तब पृथ्वी पति धृतराष्ट्र ने देवकी नन्दन श्रीकृष्ण से कहा- महाबाहु! माधव! आप जैसा कह रहे हैं, ठीक ऐसी ही बात है; परतु पुत्र का स्नेह प्रबल होता है, जिसने मुझे धैर्य से विचलित कर दिया था। 📙 श्रीकृष्ण! सौभग्य की बात है कि आपसे सुरक्षित होकर बलवान् सत्य पराक्रमी पुरुष सिंह भीमसेन मेरी दोनों भुजाओं- के बीच में नही आये। माधव! अब इस समय मैं शान्त हूँ। मेरा क्रोध उतर गया है, और चिन्ता भी दूर हो गयी है अत: मैं मध्यम पाण्डव वीर अर्जुन को देखना चाहता हूँ। समस्त राजाओं तथा अपने पुत्रों के मारे जाने पर अब मेरा प्रेम और हित चिन्तन पाण्डु के इन पुत्रों पर ही आश्रित है। 📙 तदनन्तर रोते हुए धृतराष्ट्र ने सुन्दर शरीर वाले भीमसेन, अर्जुन तथा माद्री के दोनों पुत्र नरवीर नकुल-सहदेव को अपने अगों से लगाया और उन्हें सान्तवना देकर कहा – तुम्हारा कल्याण हो। 📙 इस प्रकार श्रीमहाभारत स्त्रीपर्व के अन्तर्गत जल प्रदानिक पर्व में धृतराष्ट्र का क्रोध छोड़कर पाण्डवों को हृदयसे लगाना नामक तेरहवॉं अध्याय पूरा हुआ। N S Yadav .... ©N S Yadav GoldMine #gururavidas श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना पढ़िए महाभारत !! 📝📝
Aditya kumar prasad
यदि मन के विपरीत लिखूँ तो दुनिया की रीत लिखूँ जो मन के अनुकूल उसे कैसे मैं विपरीत लिखूँ अंतर्मन की पीड़ा से कितना हूँ भयभीत लिखूँ अच्छा है इन रिश्तों को मैं बालू की भीत लिखूँ कैसे मातम की धुन को मधुर-मधुर संगीत लिखूँ ©Aditya kumar prasad यदि मन के विपरीत लिखूँ तो दुनिया की रीत लिखूँ Anshu writer Arshad Siddiqui Mili Saha PФФJД ЦDΞSHI vineetapanchal Kanchan Pathak Internet Jo
Ravendra