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Tamanna nain
Mili Saha
// हमारे बुजुर्ग हमारी धरोहर हैं // बड़े-बुजुर्ग हैं हमारी धरोहर, उनसे है हमारा स्वाभिमान, बुजुर्गों से रहती परिवार में शान, करें सदा उनका सम्मान, वे मजबूत नींव होते हैं परिवार की, इनसे ही तो रौनक है घर के हर दीवार की, वे नहीं मांगते कोई कीमती उपहार, जन्नत मिल जाती है उन्हें, अगर मिल जाए थोड़ा सा प्यार, माना कभी-कभी वे हमारी सुनते नहीं, केवल अपनी सुनाना चाहते हैं, पर उनकी बात सुनने में क्या हर्ज है, वो हमारा भला ही तो चाहते हैं, बुजुर्ग हर घर की परंपरा का हैं आधार, इनसे ही तो घर के छोटे सीखते हैं संस्कार, कभी उनसे दो पल बातें करके तो देखो, उन्हें खुशियों का संसार मिल जाएगा, अकेलापन जो उन्हें खलता है, वो कुछ पल में ही मिट जाएगा, व्यस्त होने पर भी निकालें कुछ वक्त, उनसे बातें करने का, ताकि उन्हें भी मिल जाए एक मकसद, जिंदगी जीने का, उनकी सेहत का रखें सदा ख्याल, कभी-कभी जाकर पूछे उनका हाल-चाल, परिवार का वो हिस्सा नहीं हैं, होने ना दे उनको यह एहसास, हर सुख दुख में उनको शामिल करें, मिले सदा परिवार का साथ, हमारे बुजुर्ग ज्ञान और अनुभव का हैं खजाना, उनसे ही तो सीखते हम नए रिश्तो को अपनाना, हों कभी वे क्रोधित तो करें ना उनसे गलत व्यवहार, क्योंकि उनके क्रोध में भी छिपा है हमारे लिए प्यार, हो सकता है उनका स्वभाव बुरा, पर दिल बुरा नहीं होता, संभालना उन्हें उनका आदर करना, उनके बिना परिवार पूरा नहीं होता, बुजुर्गों को देंगे अगर हम उचित सम्मान और स्थान, वृद्धा आश्रम का जग से मिट जाएगा नामोनिशान। मिली साह ©Mili Saha हमारे बुजुर्ग हमारी धरोहर हैं बड़े-बुजुर्ग हैं हमारी धरोहर, उनसे है हमारा स्वाभिमान, बुजुर्गों से रहती परिवार में शान, करें सदा उनका सम
Mili Saha
// पांँच शिष्य // गुरु बिना ज्ञान नहीं, ज्ञान बिना जीवन अंधकार, गुरु से ज्ञान पाकर ही जीवन को मिलता आकार, एक आश्रम में एक गुरु के थे पांँच होनहार शिष्य, गुरु की प्रबल इच्छा, उज्जवल हो इनका भविष्य, पांँच शिष्य थे इच्छा, बल,बुद्धि,धैर्य और विश्वास, सभी खुद को बलशाली कहते लड़ते थे दिन-रात, पांँचों में नहीं बनती थी गुरुजी हो गए बड़े परेशान, सोचा इस समस्या का कुछ होना चाहिए समाधान, गुरुजी ने पांँचों शिष्यों को बुलाकर एक कार्य दिया, तख्ते पर लगी टेढ़ी कील को सीधा करने को कहा, इच्छा, बल, बुद्धि,धैर्य,विश्वास सब बारी बारी आए, खूब लगाई ताकत पर कील को सीधा ना कर पाए, हार चुके थे बल लगाकर सब तब गुरुजी ने बुलाया, अलग-अलग तुम्हारा महत्व नहीं सबको समझाया, बिना इच्छा किसी कार्य की ना हो सकती शुरुआत, इच्छा अधूरी रह जाती है अगर मन में न हो विश्वास, बल और बुद्धि जब मिल जाते हैं तो बन जाती बात, किंतु कार्य तभी पूर्ण होता है जब धैर्य देता है साथ, तभी एक शिष्य बोला सब तो ऊपर वाला करता है, हम सबका रिमोट उस ईश्वर के हाथों में ही रहता है, गुरुजी बोले रिमोट जरूर ईश्वर के हाथों में होता है, किंतु कर्म किए बिना कोई सफल नहीं हो सकता है, कर्म इच्छा, बल, बुद्धि, धैर्य,और विश्वास से होता है, जिस इंसान में ये गुण है वो कभी हार नहीं सकता है, यह सब सुनकर सभी शिष्य समझ गए गुरु की बात, टेढ़ी कील को सीधा किया सबने मिलकर एक साथ, चेहरे पर सब की चमक थी गुरु की शिक्षा काम आई, सबका महत्व एक बराबर है यह बात समझ में आई, शिष्यों के जीवन की कोरी स्लेट पर पड़ा ज्ञान का प्रकाश, अंधेरा हटा मन से एक हुए इच्छा, बल, बुद्धि, धैर्य,विश्वास। ©Mili Saha // पांँच शिष्य // गुरु बिना ज्ञान नहीं, ज्ञान बिना जीवन अंधकार, गुरु से ज्ञान पाकर ही जीवन को मिलता आकार, एक आश्रम में एक गुरु के थे पां
Rohan dev samajik
Anil