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kumar sandhyanand

हम कभी समझ नही पाए | kumar Sandhyanand #hindiurdushayri #poem #shayariquotes #writer #sandhyanand love #Quotes #Poetry #Emotions #SAD

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छोटी सी उस बात पर
 नाराज हो कर हम दुर चले गए 
आखरी मिलना था वो हमारा
 हम  कभी समझ नही पाए |

जाते वक्त खुद-दारी मानी थी
आज तोबे मे हम खाक हो गए
रिश्तों मे क्या एहमियत होता है ? 
 हम  कभी समझ नही पाए |

लोगो का कहा-सुना माना हमने
दिल कि बात  सुनना हम भुल गए
भरोसा वो रिश्तें पर का कहा गया? 
 हम  कभी समझ नही पाए |

ना मै बढ पाया जिदंगी मे आगे
ना वो बढ पाए
फिर भी एक दुसरे से क्यो जुदा रह गए
 हम  कभी समझ नही पाए |

पेहले एक-दुसरे को समझने का दावा किया करते थे
अब पेहचान ने से भी इन्कार करते रह गए
एक वक्त के बाद येसा क्यो हुआ जिदंगी मे? 
 हम  कभी समझ नही पाए |

बिछडना रिश्ते का इम्तिहान था
हम दोनो भी इसमे  अब नाकाम हो गए
एक दुसरे के बिना आखिर क्यो  जि नही सकते ? 
 हम  कभी समझ नही पाए |

© Kumar Sandhyanand हम  कभी समझ नही पाए |
kumar Sandhyanand
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kumar sandhyanand

तू भूल गई... #hindiurdushayri #poem #shayariquotes #writer #sandhyanand #feelings love #Quotes life #poem

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दुनिया को अलविदा कहा तुमने
मुझसे केहना, तु भुल गई 
अभी भी इंतजार बैठा हु तेरे
ठिकसे बिछडना भी तु भुल गई |

सासे, अब भी बाकी है वैसे
पर अब मै, जिंदा नही
रूह, जो तेरे साथ चली गई  
उसे वापिस देना,भी तो भुल गई|


आधा-अदमरा करके , चली गई तु
ठिकसे कत्ल करना भी, भुल गई  |
खुद तो तु आझाद हो गई
मुझे आझाद करना तु भुल गई

जिंदगी  बेवफा निकली थी  तेरी ,
बेवफा तु थी नही
ईस लिए ,रिश्ता मै अपना आज भी निभा रहा हूँ ,
जिसकी मंजिल भी कोई नही

तेरे बिन जिना सिख लिया ,अब तुमसे कोई गिला नही 
बस थोडा वो हिसाब करना , तुम भुल गई
मेरे, हिस्से मे आई मोहब्बत को निभा रहा हु मै
मगर तुम निभाना भुल गई |

©kumar sandhyanand तू भूल गई... 


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PREETA

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Aksar log kisi bewafa k piche rote he,
Bekar me isi k piche waqt khote he .
Kash wafai tumhare chahne wale se ki hote
to bewfai ka e Jakam hi dil pe na wo de पाते.

©PREETA #paper 

#paper

Tooba's diary

ہماری زندگی کے ہر فیصلے کا مقدر 
کاغذ کے چند ٹکڑوں سے ہی کیوں جڑا ہوتا ہے؟.

©Tooba's diary #Toobasdiary 
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Krishna Magesh

Heart = Paperucan #paper #healer #Life

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Manjit

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Bhushan Thakare

#paper

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भाकरी फिरवता फिरवता
 तवाच फिरला...
आप्तस्वकीयांचा वेगळा मनसुबा
जागेवरच विरला...

तेल लावलेला पहिलवान शेवटचा डाव
कुणालाही सांगत नाही..
म्हणूनच सगळ्यांना करतो चितपट
हातात कुणाच्या लागत नाही..

✍🏻भुषण ठाकरे

©Bhushan Thakare #paper

Jairam Dhongade

नाटक

एक मेंढी तेवढी ढकलावयाला पाहिजे,
मागुती जातात बाकी आकलाया पाहिजे!

केवढे अन्याय अत्याचार होती सारखे
रक्त आता जाणत्यांचे सळसळाया पाहिजे!

दूध प्याले वाघिणीचे पुस्तकांना वाचुनी
भुंकणे नाही बरे बा गुरगुराया पाहिजे!

बाप थकला मायची तब्येत नाही ती बरी, 
श्रावणासम लेकरांनी त्या झुराया पाहिजे!

घेत जा अन् घेत जा तू घ्यायचे ते मोकळे
घे वसाही दानतीचा द्यावयाला पाहिजे!

केवढ्या शाळा इथे अन् शिक्षणाची पंढरी
लोपले संस्कार जे शिकवावयाला पाहिजे!

नाटकाचे अंक नाही नाट्य व्हावे नेटके
लाभला जो रोल तो वठवावयाला पाहिजे!

जयराम धोंगडे, नांदेड 
(९४२२५५३३६९)

©Jairam Dhongade #paper

Gopu

paper #लव

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Jairam Dhongade

शिकस्त 

सुखात होते सोबत सारे संकट समयी दिसले नाही,
गप्प राहिले मिळून अवघे तीळ मुखीचे भिजले नाही! 

आले त्यांना घास भरविला करू कशाला उहापोह तो,
खरे सांगतो माझ्याखातर कधी त्याकडे शिजले नाही! 

बाप मुलीचा दीनवाणा नि सतत काळजी उजवायाची,
कधी कुठे ना बाप पाहिला ज्याचे जोडे झिजले नाही! 

भल्या घरी ती लेक पडावी त्यासाठी मग रान जिवाचे,
काळजातले भाव दाटले उगाच डोळे थिजले नाही! 

स्वप्न पाहिले भव्य दिव्य अन् सपाटाच बघ पूर्णत्वाचा,
तहानभूक नि भुललो सारे नयन जराही निजले नाही! 

माळ यशाची खुणावते तर शिकस्त सारी कसून करतो,
हुलकावणीस काय बिथरणे यत्नकुंड बघ विझले नाही! 

बरे जाहले सुचू लागले लिहू लागलो मी स्वच्छंदी,
वाचक माझा अन् माझेही रसिकमन कधी विटले नाही! 

® जयराम धोंगडे, नांदेड (९४ २२ ५५ ३३ ६९)

©Jairam Dhongade #paper
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