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Pratibha Kumari
प्रेम शब्द भी है.. प्रेम सबकुछ भी है.. प्रेम वो नहीं जो दिमाग से हो .. प्रेम वो है जो दिल से एहसास हो.. प्रेम से किए गए हर वो कार्य प्रेम है जिसे हम बिना कोई अपेक्षा के दूसरों के लिए करते हैं..। प्रेम ही जीवन है ..प्रेम ही प्रकृति है..। प्रेम किसी के अधीन मे नहीं है.. वो स्वतन्त्र है। प्रेम धूल में भी है और पार्थ मे भी है.. । हमारे हृदय में भी है और दिमाग में भी है..।अंधरों मे भी है और रौशनी में भी है..। आग में भी है और पानी में भी है..। प्रेम वो चिज है जो टुटने और बुझने से बचाता है।प्रेम एक साहस है..प्यार एक जरूरत है..। प्रेम एक पहचान है और खुद मे बहुत महान है.। प्यार जीत है तो प्यार हार भी है..। प्यार कोई जंग नहीं बल्कि ये एक कुशलतम व्यवहार है..।प्यार एक अटूट विश्वास का बंधन है ..जो पल के लिए रूष्ट हो जाती है पर खत्म कभी नहीं होती..। अगर अंधेरा है कहीं तो मनुष्य के भीतर है.. जो हमारे ही मन के भार से दबे हुए हैं..। हम अपने महत्वकांक्षाएं को पूरी करने में कुछ इस तरह उलझ गए कि अपने मन के भीतर की दिए ही बुझ गए..।अपने महत्वकांक्षाओं को पूरे करने के लिए अत्यंत कठिनाइयों और परेशानियों के करीब जाते हैं..।इसके लिए न जाने कितने अनैतिकता को अपनाते हैं.. योजना, षड्यंत्र, याचना.. इत्यादि..।मन को अहंकार के भार से छुटकारा दिजिये और एक प्यार से भरे हुए दिपक को प्यार से जलाइए.. जीवन कष्टमय नहीं बल्कि सुखमय होंगे..।मेरा साहस मुझमें कितना है अपने अंदर की साहस को पहचानना उतना ही जरूरी है जितना कि प्यास मिटाने के लिए पानी की..।.. रचनाकार प्रतिभा कुमारी.. ©Pratibha Kumari प्रेम.. शांति के मार्गदर्शन.. #stay_home_stay_safe
Drg
ज्ञान के सागर में तैरना सिखाये, जीवन का कठोर पाठ पढ़ाए, मुश्किल राहों को आसान बनाए, सारथी बन साथ निभाए, भक्ति मार्ग पर चलना सीखाए, धैर्य से हर एक चीज़ अनगिनत बार समझाए, मन में उपजती हर एक शंका को पल भर में ही दूर भगाए, सत्य का बोध कराए, संस्कारों की अपनी धरोहर को, हमारी झोली में निःस्वार्थ रख जाए, बुद्धिहीन को भी ज्ञान से प्रबल कर जाए, 'गुरु' ही जीवन का सार समझाए शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं भगवान को पूजने से पहले पूजा जाता है गुरु को, गुरु के मार्गदर्शन से ही खुलता भगवान का द्वार है #शिक्षक #शिक्षकदिवस #yqbaba #yqdidi #teacher
Shravan Goud
इस महामंत्र की महिमा अपार। जो करे जाप उसका हो उध्दार।। मां गायत्री मंत्र गुरु या कोई अनुभवी के मार्गदर्शन में जाप करना उचित होगा।
Prerit Modi सफ़र
आये हो मेरा उद्धार करने हे मेरे गुरुदेव आप के मार्गदर्शन का अभिलशी हूं हे मेरे गुरुदेव मेरी अंदर की लौ को पहचानो हे मेरे गुरु देव छू दो मुझ को इस तरहा की पवित्र हो जाऊँ दुनिया की इस भीढ़ में ना खो जाऊँ अब बसालो मुझ को हृदय में अपने जैसे, सीप मे मोती हो चांद में चांदनी हो आप के बिन मैं अधूरा हूं मुझे पुरा करदो... हे मेरे गुरु देव एक कविता मेरे गुरु को अर्पित आये हो मेरा उद्धार करने हे मेरे गुरुदेव आप के मार्गदर्शन का अभिलशी हूं हे मेरे गुरुदेव मेरी अंदर की लौ को पहच
ankit pal
Divyanshu Pathak
आपसे उपहार स्वरूप बर्षभर का प्रीमियम पाकर बड़ी प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूँ। निःशब्द हूँ इसलिए यही कहूँगा कि- "लिखते रहिए" आपके इन शब्दों में जादू है सा। 💐💐💐 जहाँ तेरे नक़्शे क़दम देखते हैं। खियाबाँ खियाबाँ इरम देखते हैं। 01 (ग़ालिब) 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 तेरे सरू कामत से इक कद्दे आदम! क़यामत के फ़ित्ने को कम देखते हैं। 02(ग़ालिब) 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 Dedicating a #testimonial to Aरिफ़ Aल्व़ी जी। लेखन की इस पृष्ठ भूमि पर विचारों के पौधे लगाकर उनके विकास और संरक्षण में जो भूमिका आपने निभाई
Bharat Bhushan pathak
प्रकृति निहाल हो उठी,चहुँओर असीम शान्ति का उद्भव हुआ। निदाघ के भयावह चाबुकों से मुक्त हो समस्त वसुंधा आनंद सागर में हिलकोरे खाने लगी। धरतीपुत्र अंबर के शुभाशीष से द्रवित हो उठे। समस्त जलस्रोत इस अमृतमय बूँदों में स्नान कर अपने मनोभाव को सकल चराचर से साझा करने को उद्वेलित हैं। उनमनों की विकलता का अब शमन हुआ। केकी भी सपरिवार कहीं सघन द्रुमालय में आह्लादित है। जनमानस भी इस आशीर्वाद को ग्रहण कर अपने कर्मपथ में अग्रसित हो चुका है,समस्त चराचर की भावनाओं का दर्शन आइए एक नूतन छंद में हम आज कर सकते हैं या स्वतंत्र मनोभाव भी हम रखें। इस प्यारे छंद का नाम राधेश्यामी छंद है,आइए इस मनहर ऋतु पर हम अपने प्रेरक भाव रखकर वर्षारानी का स्वागत करें। इस छंद का विधान है गुरुजनों के मार्गदर्शनानुसार:-32 मात्रा प्रति चरण,16-16 मात्रा पर यति,चार चरण दो चरण समतुकांत,चरणांत गुरु। वर्षा रानी निकली घर से,पालकी चढ़ी बूँदों वाली। गर्जन करके मेघा बोले,अब आई जग में मतवाली।। हरी-भरी अब होगी धरती,नहीं रहेगी अब गर्मी ©Bharat Bhushan pathak प्रकृति निहाल हो उठी,चहुँओर असीम शान्ति का उद्भव हुआ।निदाघ के भयावह चाबुकों से मुक्त हो समस्त वसुंधा आनंद सागर में हिलकोरे खाने लगी। धरतीपु
Sandeep Kothar
डिक्रिप्शन अवश्य पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में लिखें। ©Sandeep Kothar वसुधैव कुटुंबकम् दोस्तों, अब तक का सबसे सफल शिखर सम्मेलन G20 रहा है, जहाँ सभी देशों ने 73 मुद्दों पर सहमति व्यक्त की और एक संयुक्त घोषणा (द
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