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Pratibha Tiwari(smile)🙂
बचपन और लुका-छिपी कल हम आपस में लुका छीपी खेलते थे, आज जिंदगी हमसे लुका छिपी खेलती है, सफलता खो जाती है और हम दर बदर ढूढते रह जाते हैं। _pratibha's writting🙈🙊 #nojoto #nojoto हिंदी #बचपन और लुका छिपी 🙊🙈
Jasim Sk
बचपन और लुका-छिपी बुलाएंगे सारे मित्रो को, और हम लुका_छिपी खेलेंगे, पूरे दिन हल्ला मचाएंगे, और हम लुका_ छिपी खेलेंगे, थक के चुर हो जाएंगे, और हम लुका_ छिपी खेलेंगे, जब तक सबके घर से , बुलावा ना आए, तब तक हम, लुका_ छिपी खेलेंगे!! लुका छिपी
Ankit Srivastava
तुम लुका-छिपी खेलते रह जाओगे , कोई और उसे eye-spies कर जाएगा #NojotoQuote लुका-छिपी #love #humour #nojoto #nojotohindi
Kajalife....
बचपन और लुका-छिपी बचपन में अपनों से छिपा करते थे , कभी अपनी जिद मनवाने के लिए तो कभी उनके चेहरे पर अपनी फिक्र देखने के लिए आज भी छिपते हैं मगर अपनों से नही लोगों से ।। मगर अब छिपने की वजहें बदल गई है ।।। # लुका - छिपी
Biswajit Panda
बचपन और लुका-छिपी बचपन की यादें याद है हमें बचपन की यादें थी मिट्टी से लिपि आज मोबाईल में लिपती हमारी दुनिया कभी खेला करते थे लुका - छिपी बचपन के दिन मासुमीयत से भरी थी खेलती हुई दुनिया हमारी चलती थी खेल से शुरू होती हमारी सुबह खेलते - खेलते ढलती थी वह मासूम चेहरा कहीं फुर हो गई हम बचपन से और बचपन हमसे दुर हो गई बचपन और लुका - छिपी
शिवानन्द
लुका छिपी का खेल कब तक होगा यारा.... इश्क़ भी अब बर्बाद हो रहा तुझे देख कर! लुका छिपी का खेल कब तक होगा #यारा.... #इश्क़ भी अब बर्बाद हो रहा तुझे देख कर! #नमस्ते_इंडिया #writer #yqbaba #yqdidi #nightthoughts #yqquo
Sonam Jain
लुका छिपी खेले हम , विचलित कर दे मेरा ध्यान ढूंढू तुझे में आसमां मै , छिप जाए बादल में मेरा चांद Sonam लुका छिपी 😍🌙✌️ #चांद #चांदनी #chand #chaand #chandni #moon #30Jan #nojoto #nojotohindi #love
Amit Mishra
हर रोज टूटे अरमानों को हम रफ़ू करते हैं रात ख़्वाबों में फिर उन्ही से गुफ़्तगू करते हैं लफ्जों की लुका छिपी जारी है कुछ नया पेश करने की तैयारी है... #rafoo #guftgu #maun #yqbaba #yqdidi
CalmKazi
बरसात की सर्द दोपहरी में, ठंडी होती चाय की भाप की तले; कुछ ख़यालों की आँच में सोच लेता हूँ। मेरी खिड़की पर बिखरती बूँदों सी हर मंज़िल को मिलता और बिछड़ता हूँ; और इन्हीं मोड़ो पर कहीं बस आहों में सांसें बिसर जाती हैं। ड्योढ़ी पर धूप सी एक रोज़ वो दबे पाँव आ कर, कंधों पर आहटों सा सहला कर आँख-मिचौली का “हप्पा” दे जाएगी। फिर भागूँगा मैं उसके पीछे और एक नया बहाना हाथ आएगा। जीने के हज़ारों बहाने हैं। एक जो लुका-छिपी का खेल जारी है, वो हर बार नया कुछ हाथ दे जाता है। मैं भाग रहा हूँ अब भी, देखें क्या हाथ आता है। #
||स्वयं लेखन||
बचपन और लुका-छिपी बचपन के खेल हजार खेले, एक लुका - छिपी भी खेला। आज वो हमारे साथ खेलते हैं यही खेल। बचपन के खेल हजार खेले, एक लुका - छिपी भी खेला। आज वो हमारे साथ खेलते हैं यही खेल। #विचार #बचपन #कहानी #याद