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pr world
मेरी मातृभाषा 'हिंदी' सबसे सहज और सरल भाषा है हिन्दी साहित्य का सागर है हिन्दी, नैतिकता का पैमाना है हिन्दी हिन्दी भारतीयों की पहचान औऱ हमारे हिंद की शान है। बड़े दुःख की बात है...हिन्दी बोलने वालों से ज्यादा इंग्लिश बोलने वालों को मिलता सम्मान है? आखिर कब....आखिर कब.... हम अपनी सोच बदलेंगे। हमारा देश,हमारी मिट्टी की खुशबू ,हम अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी के महत्व को समझेंगे। कराह रही है हिन्दी.... कह रही है हिन्दी मैं हिन्दी भाषा हूं.... हिंद मेरा शरीर तो मैं उसकी आत्मा हूँ ना करो अलग शरीर से उसकी आत्मा को पहचानो अपनी राष्ट्राभाषा को ©pr world #hamarihindi #myquotesmyvoice #prworld #HindiDiwas2021 #hindi #rashtrabhasha #rashtrabhashahindi #Hindidiwas
Sonam Chaudhari
#OpenPoetry वो जाते-जाते एहवात लाल वस्त्र,तिरंगे में लिपटी भारत की बेटी,मां देखो कुछ बोल रही, रहे स्वर्ग सा देश ये मेरा,हैं बोल रहीं, आज तिरंगे की शान को बढाया है, मां के जाते-जाते भारत भी संपूर्ण भारत कहलाया है,झुकने ना देंगे हम भारत की शान को हर वो देशभक्तों में जोश जगाया हैं। जय हिंद 🇮🇳🙏 07/08/2019 #RashtraMata
Muskan Satyam
*राष्ट्रपिता गाँधी* ================== न ऋषि, न पंडित, न ही वो कोई महंत था। वो अहिंसा का पुजारी तो, साबरमती का संत था।। जिसके जीवन का एकमात्र लक्ष्य, भारत की परतंत्रता का अंत था। सत्य के साथ प्रयोग करना, जिसके जीवन का मूलमंत्र था।। वो अहिंसा का पुजारी तो, साबरमती का संत था। ऐशोआराम से भरा जीवन, जिसे तनिक भी न पसंद था। भाया न जिसको तनिक भी, राजनीति का लुभावना तंत्र था।। भारत के दो टुकड़े करना, जिसकी नज़रों में ख़ुद का ही विध्वंस था। भारी हृदय से अलग किया उसे, जो उसकी रूह का एक पाक अंश था।। असहयोग की नीति अपनाकर, पाया जिसने जनता का भरपूर सहयोग था। सत्याग्रह की राह पर चलना, जिसका अनूठा प्रयोग था। सविनय अवज्ञा से अपनी माँगों को मनवाना, जिसके व्यक्तित्व का संयोग था। गाँधी रूपी इस आँधी से ही आया भारत में, स्वतंत्रता का सुखद सुयोग था ऐसे महात्मा को राष्ट्रपिता के रूप में पाना, हर भारतीय के पुण्य कर्मों का योग था।। ©Muskan Satyam #Rashtrapita #MahatmaGandhi
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read moreVinni Gharami
चेहरे पर तेज ऐसा, विष्णु के चक्र जैसा। आंखों में अग्नि, मानो महाकाल की करनी। जनेऊ धारी मूछों पर ताव, सरल था उस युवक का भाव। हे वीर तुम आजाद हो आजाद थे और आजाद ही रहे, तुम्हारी शौर्य गाता हरदम युवाओं में जोश भरते रहे। सूर्य का प्रकाश बने तुम, चंद्र सा उजास बने तुम। इस उजड़े हुए गुलशन के, गुल बने तुम। जन्मे इस मिट्टी पर हमारे लिए, आजादी का पाठ पढ़ाकर शहीद बने तुम। हे वीर पुरुष क्या वीरगाथा लिखूं तुमपर, गुलामों की तरह जी रहे हम तुम तो मरे भी आजाद बनकर। हाथों की पिस्टल कनपटी पर रखा, अपनी अंतिम गोली पर अपना ही नाम लिखा। बोले तुम गुलामी की बेड़ियों में मैं नहीं रहूंगा, अपने हाथों मरना मंजूर लेकिन मैं तानाशाही नहीं सहूंगा। "मित्रों आप को आजाद की आजादी मुबारक हो, राष्ट्रीय हित के लिए जन्मे राष्ट्रपुत्र की जन्मतिथि मुबारक हो" #rashtraputra_Azad(shradhanjali)
#rashtraputra_Azad(shradhanjali) #कविता
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