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Manvi Singh manu
आज मेरा शहर मुझे हीं वीरान नज़र आया, बहुत देर तक देखी तब एक इंसान नज़र आया।सुना है की मौत की आहट है इन गलीयों में, फीर भी वर्दी में खड़ा एक भगवान नजर आया ।🙏🙏🙏 खाकी
खाकी
read moreFragrance
की वक्त पर जाे काम आये वाे भारतवासी है। आैर जाे सड़काे पर फरिश्ते है वाे खाकी है। खाकी
खाकी
read moreKailash Yede
बन्दुक तेरी खाली थी या निशाना तेरा चूक गया.. वो दो कौड़ी का आदमी खाकी पे कैसे थूक गया.. खाकी
खाकी
read moreRajesh rajak
ये हक़ीक़त है,कोई दिखावा नहीं, मै खाकी हूं,ये खाकी मेरी जान है,कोई पहनावा नहीं, जान से कुछ कीमती हो तो बता देना, वो भी कर देंगे कुर्बान,कोई पछतावा नहीं, बैठ कर एसी में नाटक नहीं करते, आज अगर हम भी तुम्हारे जैसा ढोंग दिखाते, ज़रा सोच भी लो,कितने मरते, इसलिए चुप बैठो तमासबीनो, बैठ कर एसी में दौड़ाओ कागजी घोड़े, पर कुछ शर्म बची हो तो,किसी गरीब का हक मत छिनो, मौत सामने खड़ी है,तुम्हे लूटने की पड़ी है, खुद गलत करके,अपनों से भी गलत करवाते हो, जब फसने की बारी आई तो,खाकी पर दोष लगाते हो, देश भक्ति खाकी में आज भी जिंदा है, पर अफसोस सफेद पोशो से हो रही शर्मिंदा है, खाकी,
खाकी,
read moreNaveen Ojha
पहचान बनी है जबसे वजूद हूआ है खाकी हर सोच जुङी है दिल से जो जात बन गई खाकी अब जीद यही है बस रंग हो खाकी हर दिन खाकी हर पल खाकी दिल की धडकन मे हे खाकी धक धक खाकी हम है खाकी खाकी #खाकी# poetry #lyrics for khakhi #pride of India #
Avinash Karn
दिन हूँ, रात हूँ,सांझ वाली बाती हूं, मैं खाकी हूँ। आंधी में, तूफ़ान में,होली में, रमजान में, देश के सम्मान में,अडिग कर्तव्यों की अविचल परिपाटी हूँ, मैं खाकी हूँ। तैयार हूँ मैं हमेशा ही,तेज धूप और बारिश, हँस के सह जाने को,सारे त्योहार सड़कों पे, ‘भीड़’ के साथ ‘मनाने’ को, पत्थर और गोली भी खाने को,मैं बनी एक दूजी माटी हूँ, मैं खाकी हूँ। विघ्न विकट सब सह कर भी,सुशोभित सज्जित भाती हूँ, मुस्काती हूँ, इठलाती हूँ,वर्दी का गौरव पाती हूँ, मैं खाकी हूँ। तम में प्रकाश हूँ,कठिन वक़्त की आस हूँ, हर वक़्त तुम्हारे पास हूँ,बुलाओ, मैं दौड़ी आती हूँ, मैं खाकी हूँ। भूख और थकानकी बात ही क्या, कभी आहत हूँ,कभी चोटिल हूँ, और कभी तिरंगे में लिपटी, रोती सिसकती छाती हूँ, मैं खाकी हूँ। शब्द कह पाया कुछ ही,आत्मकथा मैं बाकी हूँ, मैं खाकी हूँ। ✍️✍️-अज्ञात मैं खाकी हूँ
मैं खाकी हूँ #कविता
read moreRajesh rajak
अपने किए हुए हर बादों को तोड आया हूं, मै खाकी हूं, तुम्हारी खुशियों की खातिर अपनी माशुमु बच्ची को बिलखता छोड़ आया हूं, मै खाकी हूं,
मै खाकी हूं,
read moreहरीश चौहान
खाकी से आपको है ,अपेक्षा कृतज्ञता ,क्यों नहीं ? जुलूस हो,जलसा हो ; हो बाढ़ या त्रासदी सर्वत्र मौजूद रहती है जो , उसका कोई वजूद ,क्यों नहीं ? खाकी से आपको है अपेक्षा कृतज्ञता , क्यों नहीं ? माना कर्तव्य है, इसका, निभाती है अभिमान इसका सब कुछ तो कर लेती फिर समानता ,क्यों नहीं ? खाकी से आपको है अपेक्षा कृतज्ञता क्यों नहीं ? हाथ पैर सब बांध दिए ; कानून के कच्चे धागों से सबने चुप्पी साध ली इस पर आप भी चुप हो अब बोलते ,क्यों नहीं ? खाकी से आपको है ,अपेक्षा कृतज्ञता ,क्यों नहीं ? खाकी का दर्द
खाकी का दर्द
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