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आदित्य रहब़र
जम्हूरियत का अनोखा खेल दिखा रहा जमूरा तोड़ दी कलमें, छिन ली किताबें गांजे, भांग का भोग लगा सबको पिला रहा नफ़रत का धतूरा सत्य की वो गांधी की लाठी अब दंगाइयों के हाथ है औघड़ बना फिर रहा सब,सियासतदार भी उनके साथ है शिक्षा का व्यापार बना, सरकार मस्त है पीकर सूरा सच बोलने वालों की खैर नहीं झूठे को मिला है मौका पूरा जम्हूरियत का अनोखा खेल दिखा रहा जमूरा जम्हूरियत का अनोखा खेल दिखा रहा जमूरा
जम्हूरियत का अनोखा खेल दिखा रहा जमूरा
read moreJyoti choudhary
क्योंकि किस्मत अनोखी है खिलौने है हम इसके जो ये चाहेगी हम वैसे ही घुमेंगे। #मदारी #जमूरा #yqbaba #yqdidi #nacheez #YourQuoteAndMine Collaborating with Saurabh Bhardwaj #infinitequotes #jyotichoudhary
#मदारी #जमूरा #yqbaba #yqdidi #Nacheez #YourQuoteAndMine Collaborating with Saurabh Bhardwaj #Infinitequotes #jyotichoudhary
read morewriter abhay
आखों की पलकें भारी हुई, जुबां पे मृषा की उधारी हुई. ना कुछ ख़रीदा ना ही बेचा, बेवजह सबसे कर्ज़दारी हुई मैं जमूरा हूँ इस जहाँ का, ये दुनिया मेरी मदारी हुई. ख़ुद को दाव पे लगा दिया, मोहब्बत मेरी जुआरी हुई. सच ना बोल दे इस डर से, आइनों से दोस्ती यारी हुई. सुकूँ से सोते देखा मुर्दे को, मौत ज़िन्दगी पे भारी हुई. बहुत ही ख़ुदगर्ज़ हूँ मैं, ख़ुद मे एक कर्ज़ हूँ मैं. अर्थ :- मृषा - झूठ जमूरा - बंदर
बहुत ही ख़ुदगर्ज़ हूँ मैं, ख़ुद मे एक कर्ज़ हूँ मैं. अर्थ :- मृषा - झूठ जमूरा - बंदर
read moreअनुज
तुम पुर्ण हों , तुझमें कुछ अधूरा नहीं, हां, यकीनन तुम बिन, मैं स्वयं पूरा नहीं, बिन तुम्हारे एक पल भी, हर जगह खाली लगे, मैं बनूं उपवन का पंक्षी, तू पेड़ की डाली लगे, सर्वस्व अर्पण कर भी दूं, फिर एक हिस्सा बच गया, मैं करूं पूरा मगर अब, एक किस्सा बच गया, न अब मैं पूरा हो सका, न तुम अधूरी सी रही, चलता रहे नित कार्य यह, सम्पूर्णता जरूरी नहीं, मैं समाहित तुझमें रहूं, स्वप्न यह स्वीकार्य है, इस प्रेम का अंत भी, होना सुखद अनिवार्य है, तेरा तुझको दे दिया, शेष क्या बाकी रहा, प्रेम खुद में पूर्ण हैं, उद्देश्य क्या बाकी रहा, दुनिया खड़ी ताली बजाएं, प्रेम कोई जमूरा नहीं, है सरल हम नीर से, कोई भरा-पूरा नहीं, तुम पुर्ण हों , तुझमें कुछ अधूरा नहीं..... ©अनुज तुम पुर्ण हों , तुझमें कुछ अधूरा नहीं, हां, यकीनन तुम बिन, मैं स्वयं पूरा नहीं, बिन तुम्हारे एक पल भी, हर जगह खाली लगे, मैं बनूं उपवन का पंक
तुम पुर्ण हों , तुझमें कुछ अधूरा नहीं, हां, यकीनन तुम बिन, मैं स्वयं पूरा नहीं, बिन तुम्हारे एक पल भी, हर जगह खाली लगे, मैं बनूं उपवन का पंक #Poetry #Hindi #poem #WorldOrganDonationDay
read moreरजनीश "स्वच्छंद"
कैसी कविता।। ना कवि हूँ, ना कविता लिखता, शब्द-भाव पिरोया करता हूँ। ये देख देख दुनिया अपनी, निजमन ही रोया करता हूँ। भावों की विह्वल धारा,
कैसी कविता।। ना कवि हूँ, ना कविता लिखता, शब्द-भाव पिरोया करता हूँ। ये देख देख दुनिया अपनी, निजमन ही रोया करता हूँ। भावों की विह्वल धारा, #Life #Truth #सच #kavita #nojotophoto
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