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sanjana ranjan
फिर पछताना पड़ सकता है प्रिय लेखको, आशा है आपने छन्दविचार के तहत मात्रा से संबंधित लेख पढ़ लिए होंगे। यदि नहीं पढ़े हैं तो ज़रूर पढ़ें। आइए, अब प्रैक्टिकल करके देखत
अनिता कुमावत
! स्वाभिमान से जीना यारो !! मुसीबतों से ना डरो कभी ! हँसकर समय बिताओ यारो !! प्रिय लेखको, आशा है आपने छन्दविचार के तहत मात्रा से संबंधित लेख पढ़ लिए होंगे। यदि नहीं पढ़े हैं तो ज़रूर पढ़ें। आइए, अब प्रैक्टिकल करके देखत
समय यात्री
कठिन है पर चलना होगा प्रिय लेखको, आशा है आपने छन्दविचार के तहत मात्रा से संबंधित लेख पढ़ लिए होंगे। यदि नहीं पढ़े हैं तो ज़रूर पढ़ें। आइए, अब प्रैक्टिकल करके देखत
Akshay Bhargava
प्रिय लेखको, आशा है आपने छन्दविचार के तहत मात्रा से संबंधित लेख पढ़ लिए होंगे। यदि नहीं पढ़े हैं तो ज़रूर पढ़ें। आइए, अब प्रैक्टिकल करके देखत
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} 'सनातन धर्म' एवं 'भारतीय संस्कृति' का मूल आधार स्तम्भ विश्व का अति प्राचीन और सर्वप्रथम वाड्मय 'वेद' माना गया है। मानव जाति के लौकिक (सांसारिक) तथा पारमार्थिक अभ्युदय-हेतु प्राकट्य होने से वेद को अनादि एवं नित्य कहा गया है। अति प्राचीनकालीन महा तपा, पुण्यपुञ्ज ऋषियों के पवित्रतम अन्त:करण में वेद के दर्शन हुए थे, अत: उसका 'वेद' नाम प्राप्त हुआ। ब्रह्म का स्वरूप 'सत-चित-आनन्द' होने से ब्रह्म को वेद का पर्यायवाची शब्द कहा गया है। इसीलिये वेद लौकिक एवं अलौकिक ज्ञान का साधन है। 'तेने ब्रह्म हृदा य आदिकवये'- तात्पर्य यह कि कल्प के प्रारम्भ में आदि कवि ब्रह्मा के हृदय में वेद का प्राकट्य हुआ। आत्मज्ञान का ही पर्याय वेद है। 1 वेदवाड्मय-परिचय एवं अपौरुषेयवाद 2 मनुस्मृति में वेद ही श्रुति 3 वेद ईश्वरीय या मानवनिर्मित 4 दर्शनशास्त्र के अनुसार 5 दर्शनशास्त्र का मूल मन्त्र 6 वेद के प्रकार 7 टीका टिप्पणी और संदर्भ 8 संबंधित लेख श्रुति भगवती बतलाती है कि 'अनन्ता वै वेदा:॥' वेद का अर्थ है ज्ञान। ज्ञान अनन्त है, अत: वेद भी अनन्त हैं। तथापि मुण्डकोपनिषद की मान्यता है कि वेद चार हैं- 'ऋग्वेदो यजुर्वेद: सामवेदो ऽथर्ववेद:॥'[5]इन वेदों के चार उपवेद इस प्रकार हैं— उपवेदों के कर्ताओं में 1.आयुर्वेद के कर्ता धन्वन्तरि, 2.धनुर्वेद के कर्ता विश्वामित्र, 3.गान्धर्ववेद के कर्ता नारद मुनि और 4.स्थापत्यवेद के कर्ता विश्वकर्मा हैं। ©N S Yadav GoldMine #Rajkapoor {Bolo Ji Radhey Radhey} 'सनातन धर्म' एवं 'भारतीय संस्कृति' का मूल आधार स्तम्भ विश्व का अति प्राचीन और सर्वप्रथम वाड्मय 'वेद' माना
Raju Mandloi
#सनातन_टैटू आज युवाओं में टैटू बनवाना खासा प्रचलित हो रहा है लेकिन बहुत ही कम लोगों को ही है ज्ञात होगा कि टैटू परंपरा सनातन हिंदू भारत से ही निकलकर संपूर्ण विश्व में फैल गई आइए इसी प्रकार के कुछ टैटू देखते हैं तथा उन्हें समझने का प्रयास करते हैं कि किस प्रकार भारत में योद्धा, उच्च पदों पर बैठे पदाधिकारी, व्यापारी तथा आम जनमानस अपने विभिन्न अंगों पर टैटू का प्रयोग करते थे। यंत्र या सक यंत पारंपरिक दक्षिणपूर्व एशियाई टैटू का एक रूप है जो सनातन हिंदू यंत्र डिजाइनों का उपयोग करता है, जिनमें से कुछ, क्रॉस, एक्सिस मुंडी, शक्ति और सुरक्षा का एक सार्वभौमिक प्रतीक है, ऐसा माना जाता है कि पहला धर्म, स्पर्शवाद, और दुनिया भर में व्यावहारिक रूप से सभी प्राचीन संस्कृतियों के लिए आम हैं। अन्य पवित्र ज्यामितीय डिजाइन, जानवरों और देवताओं का उपयोग आमतौर पर लिखित वाक्यांशों के साथ किया जाता है, जो पहनने वाले को शक्ति, सुरक्षा, भाग्य, चमत्कार और अन्य लाभ प्रदान करने के लिए कहा जाता है। साहस और चमत्कार वे सनातन योद्धाओं, सेनानियों, और सत्ता के पदों पर बैठे लोगों तथा सभी जातियों में सामान्य थे, योद्धाओं में यह आमतौर पर एक दूसरे का सामना करने वाले दो बाघों के साथ दर्शाया जाता है। -छवि का श्रेय उनके संबंधित लेखकों को जाता है। दिनांक - ०५.१२.२०२२ ---#राजसिंह--- ©Raju Mandloi #सनातन_टैटू आज युवाओं में टैटू बनवाना खासा प्रचलित हो रहा है लेकिन बहुत ही कम लोगों को ही है ज्ञात होगा कि टैटू परंपरा सनातन हिंदू भारत से
Anjuola Singh (Bhaddoria)
#anjula #singh #bhadauria देवभूमि उत्तराखंड, एक अविस्मरणीय संस्मरण By ©Anjula Singh Bhadauria नमस्कार/ਸਤਿ ਸ਼੍ਰੀ ਅਕਾਲ/आदाब/Hello दोस्तों, सर्वप्रथम आप सबसे अनुरोध है
Anisha Dodke
दिवाळी लेख.............माझ्या लेखणीतून✍️ पहिल्या दिव्याचे वंदन जिजाऊ मातेच्या पुत्राला शिवाजी महाराजांच्या त्यागाला गड किल्ले आणि बलुतेदार अलुतेदारांच्या पराक्रमाला शेतात राब राब राबणाऱ्या त्या माझ्या बळीराज्याला..........! दुसऱ्या दिव्याचे वंदन तथागत गौतम बुद्धाच्या मूर्तीला परमपूज्य बाबासाहेब आंबेडकरांच्या संघर्ष मय जीवनाला त्याग मूर्ती रमा मातेच्या त्यागाला संविधानातील पाना पानाला.......! तिसऱ्या दिवाचे वंदन करू साहित्याच्या बानाला अण्णा भाऊ च्या लेखणीला .... फकिराच्या शौर्य गाथेला .... लहुजींच्या बलाढय सैन्याला आणि मुक्ताईच्या वेदनेच्या निबंधाला......! चौथ्या दिव्याचे वंदन समाजाला जुगारून शिक्षणाची ज्योत पेटवणाऱ्या फुले दाम्पत्यांना .....! पाचव्या दिव्याचे वंदन तुम्हा आम्हा सर्वांना ज्यांनी दिवाळीचा हा दिवस दिला अश्या आपल्या आई वडिलांना.....! या दिवाळीच्या दिव्याचे वंदन अमूल्य जीवनातील अमूल्य व्यक्तींना...... तुम्हाला व तुमच्या परिवाराला........💐 दिवाळीच्या अनंद शुभेच्छा....! कवयित्री लेखिका कु :अनिषा दिलीप दोडके ©Anisha Dodke दिवाळी लेख दिवाळी लेख #Diwali
Nidhi''नन्ही क़लम''
क्या ख़बर धोखाधड़ीकी, यूँही नादान-से हम ज़ाहिर हो गए । पर्दानशीं थे, अब घूँघट कहाँ ? संबंधित खेलमें अब माहिर हो गए । #संबंधित #nanhikalam
Amit Singh
जो पत्थरो मे जुबा ढूंढे हम वो चीज है दोस्त, है मर्ज ख्वाब सजाना तो हम मरीज है दोस्त। हमे कहानिया लिखने दो बहते पानी पे, ये बेवकूफिया हमे बहुत अजीज है दोस्त।। #अमित# लेख