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M.Barua
eak fakhir eak gaw ka bhar bhatha tha .usi gow ka fakir na sandasa bhijbaya lakin sandasa kuch is pakar tha jo aap janta ko samajh na aya.eak gilas bhar kar pani bhaja tha. jo admi is eak gilas pani ko lajana bala tha.wo fakir sa puch na laga ya kaya hai .tho fakir na muskurata hua kha tum gow k bhar bhatha fakir sa puch lana.tho wo admi ghara par sabar hokar gow k bhar bhata fakir ko eak gilas pani da diya.or kha ki gow k andar jo fakir hai wo aap ka liya bhajha hai.tho fakir muskuraya or tho ra sa chini laka ghal diya.or us admi sa kha ki gaw k andar jo fakir hai usko jakar da do.us admi na kha mana gow ka andar bhatha fakir sa v pucha ya ki prakar ka sandasa hai.tho us fakir na aap sa puch na ka lya kha.kaya aap bathana ka kasta karanga? tho gow ka bhar bhatha fakir na kha is ma sandasa ya hai ki.gow ma phala sa hi bahut fakir hai or aap ka liya jhaga nahi hai.tho mana is ma thora chini milaya keyu ki gilas tho phani sa bhara hai chini pani ma jasa ghul jata hai basa hi maa v ghul jaunga. ©M.Barua #Sukha do फकीरों की bath chit
Härsh Päñdëy
वो मौसमी परिंदा तो उड़ चला छोड़कर तन्हा मोहब्बत के फकीरों में... ना जाने अब किस अजनबी को लिखा होगा ख़ुदा ने फिर क़िस्मत की अधूरी लकीरों में... वो मौसमी परिंदा तो उड़ चला छोड़कर तन्हा मोहब्बत के फकीरों में... ना जाने फिर किस अजनबी को लिखा होगा खुदा ने अब इन अधूरी लकीरों में... #yq
Dr.Minhaj Zafar
तू अपने कशकोल तो खोल प्रिय लेखको! यह अप्रैल का महीना नैशनल पोएट्री राइटिंग मंथ के तौर पर मनाया जाता है। जिसे #NaPoWriMo के रूप में भी जाना जाता है। वर्तमान में
kavi manish mann
स्वतंत्रता का मोल चुकाया, खोकर लाख सपूतों को। खोया हमने लाजपत और...., भगत सिंह से पूतों को। जलिया वाला बाग याद है...., कुंड भरा था लाशों से। कैसे कहूंँ मिली आजादी............, गांधी के प्रयासों से। सुखदेव, भगत सिंह, राजगुरु, हंसकर फांँसी झूले थे। पूरा भारत रोया था तब.........., नहीं दिवस वे भूले थे। झलकारी, चेमन्ना रानी................., गोरों से टकराई थी। लक्ष्मी और अंग्रेजो से भी........, जमकर हुई लड़ाई थी। बिरसा मुंडा, मंगल पाण्डेय........., और हज़ारों वीरों ने। अपने प्राण अर्पित कर दिए...., साधु संत फकीरों ने। बिस्मिल और सुभाष चन्द्र का, नारा याद दिलाता हूंँ। खून आज़ादी इंकलाब 'मन'...., सारा याद दिलाता हूंँ। यहांँ पावन भारत भूमि पर..., जन्म पाकर इतराता हूंँ। वीर शहीदों के चरणों में...., शत शत शीश झुकाता हूंँ। स्वतंत्रता का मोल चुकाया, खोकर लाख सपूतों को। खोया हमने लाजपत और...., भगत सिंह से पूतों को। जलिया वाला बाग याद है...., कुंड भरा था लाशों से।
alex akash
ख़्याल रखना इम्तियाज़ के बाद, ज़रूरी है मुलाक़ात एक मुलाक़ात के बाद, लोग हैं कि नज़रें फेर कर गुज़र जाते है, कुछ शख़्स हैं जो आदतन पहचाने जाते है, हुलिया बदलने से ऐहसास नहीं बदलते, ज़ख्म हैं कुछ जो ज़िन्दगी भर नहीं भरते, ढलता है वक़्त तक़दीर बदल जाती है, दी हुई पुरानी निशानी बहुत तड़पाती है, दुआ तो फकीरों से पढ़वाई जाती है, दिल टूटने वाली की बदुआ बहुत असर खाती है। ख़्याल रखना इम्तियाज़ के बाद, ज़रूरी है मुलाक़ात एक मुलाक़ात के बाद, लोग हैं कि नज़रें फेर कर गुज़र जाते है, कुछ शख़्स हैं जो आदतन पहचाने ज
saurabh
ना पूझ जमाने ने क्या - क्या दिया मुझे राह ,मंजिल, इश्क ,महूबब दिया मुझे जुदाई आंसू गम बहुत खूब दिया मुझे ख्वाब, तिश्नदी, जीने का फितूर दिया मुझे ना पूझ जमाने ने क्या - क्या दिया मुझे पहले जाते थे मैकदे में अब कहां जाएं तुम्हारी आंखें ही इक नशा है हम कहां जाएं अब तो रातों को ख्वाब में भी हो आने लगती लगे जो नींद तो बोलो कि
Tera Sukhi
कुछ नही होता दिल का गम खुद में छुपाने से दर्द बस बढ़ता जाता है दर्द खुद में दबाने से हंसी लिए होठों पर दिल में गम छुपा कर हम जी रहे है वँहा जहां सब डरते है मर जाने से FULL READ IN CAPTION 👇👇👇 * कुछ नहीं होता * कुछ नही होता दिल का गम खुद में छुपाने से दर्द बस बढ़ता जाता है दर्द खुद में दबाने से हंसी लिए होठों पर दिल में गम छुपा
Tera Sukhi
समय बोहत बड़ा अत्यधिक बलवान है ज़िंदा रहेगा वही यंहा मुर्दा लोगो मे भी जिसे होगा समय से ज्यादा खुद पर यकीन है FULL READ IN CAPTION 👇👇👇👇 FULL READ IN CAPTION 👇👇👇 . समय बोहत बड़ा बलवान है समय से ना कोई बुद्धिमान है समय चाहे तो फकीरों को महलों में बिठा दे बिना किसी गोले बारूद के
श्री कन्हैया शास्त्री जी
आज़ भी हूं 😓 ना में उसके मुस्कुराने की वजह हूं ना मुझे उसके आंसुओ का हक पर वो कहती है की उसके सब जज्बातों का सबब आज भी हूं ना भीड़ में मेरी तलाश उसे और न अकेले में मेरी कोई ख्वाहिश उसे पर वो कहती है कोई नही जितना उसके करीब उतना अजीज भी हूं ना मुझे पाने का कोई जुनून उसे ना मुझे खोने का कोई डर उसे पर वो कहती है की मैं उसके लिए फकीरों सी चाहत आज भी हु..!! ना में उसके मुस्कुराने की वजह हु ना मुझे उसके आंसुओ का हक पर वो कहती है की उसके सब जज्बातों का सबब में आज भी हु ना भीड़ में मेरी तलाश उस
Harshita Dawar
Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #Jazzbaat# ना जाने किस रूई से बुने है । ना जाने किस सुई से सिले है। ये कुछ धागे तेरे मेरे एहसास के।। ना नसीबो से मिले है ना फकीरों से मिलें है। ये रब से तकदीर में लिखवाएं है। कागजी कार्यवाही से ना मिलवाएं है। ना लोगों ने तारूफ करवाए है। ये जज्ज्बात है जो जज्बातो से मिले है। ना दिखावे ने ना मासूमियत से हम मिले है। ये दिल है जो दिलो। से मिले है। ये दिल है जो दिलों से मिले है। #कलेब #प्यास_इश्क_की #यादें #मूलाकात #distancebetween #lovequotes #truelove Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #Jazzbaat# ना जाने किस रूई स