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LOL
साल की कमर से दिसम्बर ठीक वैसे ही निकल रहा है जैसे कभी बचपन में अपनी बिना गैलिस की पतलून धीरे-धीरे सरक कर निकल जाया करती थी! ©KaushalAlmora #दिसम्बरwithkaushalalmora #रोजकाडोजwithkaushalalmora #गैलिस #yqdidi #साल #year #latenightthoughts #पतलून
Vineet Raj Kapoor
वो शख्स क्या जाने आवारगी क्या होती है जिस की पतलून ने रफुकारी देखी ही नहीं #stitch #vagrant #vagrancy #pants #trousers #poverty #life #lifel
LOL
बज़्म में तुम आ गए मियां पहने चुस्त लाल पतलून लगता है जैसे कि घूम आये हो रंगून सींकिया टांगो को लिए इधर-उधर बेवजह रहे हो घूम कटी पतंग सा डोल रहे हो बन कर अफलातून सोचते होगे यूं बनकर मिर्च तुम होशोहवास उड़ा दोगे सबको करके हक्का-बक्का मचा दोगे धूम और मैं सोच में हूँ कि सुन लूं तुम्हें या कर दूं तुम्हारा खून!! ©KaushalAlmora खूनी दरिंदा!!🤣😂🤣😂🤣😂🤣🤣😂 Hahaha #पतलून #fun #रोजकाडोजwithkaushalalmora #बज़्म #yqdidi #365days365quotes #poetry
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
उसी की याद अब तुमको बड़ा सूकून देती है । लिफाफे बंद करके जो नये मजमून देती है । चलो पढ़कर सुना भी दो लिखा जो लेख है उसने- यहाँ तो आज भी हमको फटे पतलून देती है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR उसी की याद अब तुमको बड़ा सूकून देती है । लिफाफे बंद करके जो नये मजमून देती है । चलो पढ़कर सुना भी दो लिखा जो लेख है उसने- यहाँ
Sumeer Bhati
मन कृष्ण पुकार बैठा है। आँखें खोलो दुशासन दरबार सजाये बैठा है। पतलून का नाड़ा खोल ने को मर्दानगी समक्षे बैठा है। समाज नग्नता का चोला पहने बैठा है। घर , माँ , बहन सब भूला बैठा है। बाजारों में नारी की आबरू को तोले बैठा है। दग्ध हो मन मुझ से बोल बैठा है। प्रेम कहाँ है? भूख बन जिस्म हर हृदय में घर कर बैठा है। ©सुमीर भाटी मन कृष्ण पुकार बैठा है। आँखें खोलो दुशासन दरबार सजाये बैठा है। पतलून का नाड़ा खोल ने को मर्दानगी समक्षे बैठा है। समाज नग्नता का चोला पहने ब
Rahul Mishra
शुभी
नेताजी आप गजब ढा रहे हो. (check caption) नेताजी आप गजब ढा रहे हो, होता नही खाना हजम और आप चारा खा रहे हो. अभी तक तो हम चुप थे, थोड़ा अपने आप में गुम थे. आँखों से हटा पर्दा तो देख
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- हँसाना आजकल बच्चे बहुत मुश्किल हुआ यारो । समझता भी नही कोई जहाँ संगदिल हुआ यारो ।।१ कमाई चार आने की करें परिवार का पोषण । सँकूँ पाया नही फिर भी यही हासिल हुआ यारो ।।२ झगड़ने रोज बैठे सब बनाकर अब यहाँ मुज़रिम । लुटाकर जान वह जिन पर सदा क़ातिल हुआ यारो ।।३ चढ़ाओ आप सूली पर बुला कर आज सब अपने । नहीं मैं काम का कोई बड़ा बुज़दिल हुआ यारो ।।४ उठाए बोझ जो फिरता सदा परिवार का अपने । वही तो देख नज़रों में सदा काहिल हुआ यारो ।।५ परोसे हैं सभी उसको शिकायत की भरी थाली निवालें कैसे जाएँ अब पेट कामिल हुआ यारो ।।६ छुपाता ही रहा सबसे फटी पतलून को अपनी । मगर फिर भी नकारों में वही शामिल हुआ यारो ।।७ करो ही बात मत उसकी कभी भी तुम सुनो मुझसे । उसे तो कुछ फिकर ही न वह तो ग़ाफ़िल हुआ यारो ।।८ तमाशे रोज करने से अहम इक फैसला वह ले । प्रखर तो उनकी नज़रों में बड़ा जाहिल हुआ यारो ।।९ २०/१०/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR हँसाना आजकल बच्चे बहुत मुश्किल हुआ यारो । समझता भी नही कोई जहाँ संगदिल हुआ यारो ।।१ कमाई चार आने की करें परिवार का पोषण । सँकूँ पाया नही
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- बना दो बेजुबां मुझको बहुत तकरार घर में है । कहीं पागल न हो जाऊँ यही डर आज दिल में है ।। बना दो बेजुबां मुझको .... सितम किसने किया मुझपर गिनाऊँ क्या यहाँ पर मैं । नसीबा ही सुनो रूठा बताऊँ क्या यहाँ पर मैं ।। जिसे मिलता गया मौका वही छलता गया मुझको । बचा जो आज मुझमें है वही डर आज दिल में है ।। बना दो बेजुबां मुझको .... गरीबी में जिए है हम अमीरी ख्वाब क्यूँ रक्खूँ । नमक से पेट हूँ भरता मलाई क्यूँ यहाँ चक्खूँ ।। तुम्हारे ख्वाब़ है लाखों मगर मुझसे न हो पूरे । नहीं तुम माँगते मुझसे मगर वह आज दिल में है ।। बना दो बेजुबां मुझको ... फटी पतलून में टहलूँ न आए लाज अब मुझको । रहो बनकर परी तुम सब यही तो ख्वाब़ थे मुझको ।। बुरा फिर क्या किया हमने खफ़ा जो आज तुम सब हो । बताओ आज सब खुलकर छुपा क्या राज दिल में है ।। बना दो बेजुबां मुझको .... बना दो बेजुबां मुझको बहुत तकरार घर में है । कहीं पागल न हो जाऊँ यही डर आज दिल में है ।। २०/१०/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR बना दो बेजुबां मुझको बहुत तकरार घर में है । कहीं पागल न हो जाऊँ यही डर आज दिल में है ।। बना दो बेजुबां मुझको .... सितम किसने किया मुझपर
Priyanshu Modi
जीत की खबरों को सुनकर मिल रहा सुकून है, फिर चली गोली सरहद पर बह रहा फिर खून है। इस पार हिंदुस्तान तो उस पार पाकिस्तान है, मर रहा इस पार भी उस पार भी इंसान है, गोलियों की गूँज से फिर गूंजा सारा देश है, पर जवानो के ही घर क्यों आज भी सुनसान हैं। लाल दिखता है यहाँ, तो लाल ही वहाँ खून है। फिर चली गोली सरहद पर बह रहा फिर खून है। उस बाप को भी देखलो फिर जिसकी वो संतान है, जो अपने ही बेटे को लेकर जा रहा शमशान है, उसकी आँखों का समंदर भी कभी थमा नहीं, आज तिरंगे में लिपटी क्युकी उसकी जान है। बेटे के लहू से रंगी बाप की पतलून है, फिर चली गोली सरहद पर बह रहा फिर खून है। आँख में आंसू भरे काँधे पर अपनी रूह लिए, चल रहा काँधे पे वो वतन की आबरू लिए, जो हो नहीं पायी थी पूरी जंग से पहले कई, उसका बेटा है खड़ा अधूरी गुफ्तगू लिए। चुप्पी साधे है खड़ा जो मिजाज़ से बातून है, फिर चली गोली सरहद पर बह रहा फिर खून है। भारी है मन दिल भी उसका काफी टुकड़ो में टूटा है, लगता है भाई का हाथ, हाथ से उसके छूटा है, कौन करेगा प्यार उसे अब कौन करे रक्षा उसकी, सरहद पर राखी का बंधन देखो फिरसे टूटा है। कहा बांधे राखी अब, कलाई पर ही खून है, फिर चली गोली सरहद पर बह रहा फिर खून है। जल रहा है दिल उसका घर बना मसान है, आंसुओ का ले रही जैसे वो इम्तेहान है, इस तिरंगे के ही खातिर तोड़ दी हैं चूड़ियां, हो गयी विधवा वो फिर भी चेहरे पर मुस्कान है। लाल मेहँदी से भरे उस पत्नी के नाखून हैं, फिर चली गोली सरहद पर बह रहा फिर खून है। Priyanshu Modi जीत की खबरों को सुनकर मिल रहा सुकून है, फिर चली गोली सरहद पर बह रहा फिर खून है। इस पार हिंदुस्तान तो उस पार पाकिस्तान है, मर रहा इस पार भी