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रिंकी✍️
तपाक से रोटी चकले पर बेली और सटाक से तवे पर बेलन पर बैठ गई उसकी हथेली बेलन– चकले की सहेली थोड़े सने आटे हाथो में थोड़े अनमने ढंग से लगे उसके कुछ बालों में बन रहे है हाथों में कुछ गोल गोल से एक बराबर बनाए गये जैसे तोल मोल के फिर बेलन –हाथो का कमाल घूम रहा चकले पर जैसे कोई थाल। गर्म– गर्म ,नरम –नरम से .... तवे पर सिकती तेरी हाथो की रोटी चूल्हे से निकली ✍️रिंकी ऊर्फ चंद्रविद्या तपाक से रोटी चकले पर बेली और सटाक से तवे पर बेलन पर बैठ गई उसकी हथेली बेलन– चकले की सहेली थोड़े सने आटे हाथो में थोड़े अनमने ढंग से लगे
Mudit sand
बर्तन, डिब्बे, थाली सब खाली लेकिन बिटिया संग शोर मचाते चकले बेलन पागल रोती प्यार परोसती प्याली बर्तन, डिब्बे, थाली सब खाली लेकिन बिटिया संग शोर मचाते चकले बेलन पागल रोती प्यार परोसती प्याली By mudit sand
Amit Kumar
आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते हैं लेकिन आप अपनी आदतें बदल सकते हैं और निश्चित रूप से आपकी आदतें आपका भविष्य बदल देंगी। जहर से भी खतरनाक होती है ये मोहब्बत जरा सा कोई चख ले तो फिर मर मर के जीता है। ©Amit Kumar सॉरी खतरनाक होती है यह मोहब्बत जरा सा कोई चकले तो मर मर के जीता है। अमित राज के साथ। #meltingdown
Abeer Saifi
नशा बाद -ए- सबा तेरा ख़ुमार है मुझको, करूँ क्या इश्क़ इश्क़ इश्क़ बेशुमार है मुझको اا तू आ जा ना की बस तुझ पे दिल है फ़िदा मेरा , नहीं तो चाहने वाले दिलबर हज़ार हैं मुझको اا तू मरहम जानेजाँ जाना कि आ लगजा गले मेरे, न जाने कब से ए चारागर बुख़ार है मुझको اا मैं चाहूँ चल चलूँ चकले चंचल चित चराने को, ख़्याल आए क्यों फ़िर तेरा बार-बार है मुझको اا ये कैसा ग़म है मेरे सीने में समझ नहीं आता, मयस्सर नहीं रोना भी ज़ार-ओ-क़तार है मुझको, वादा कर के वो शरीक-ए-सफ़र साहिलों का, छोड़ गया तन्हा 'अबीर' सर-ए-मंजधार है मुझको اا बाद-ए-सबा - सुब्ह की हवा, ख़ुमार - सुरूर, चारागर - डॉक्टर, चकले- कोठा, चित-मन, ज़ार-ओ-क़तार - चिल्ला के रोना, शरीक-ए-सफ़र - हमराही #yqdidi
Abeer Saifi
नशा बाद -ए- सबा तेरा ख़ुमार है मुझको, करूँ क्या इश्क़ इश्क़ इश्क़ बेशुमार है मुझको اا तू आ जा ना की बस तुझ पे दिल है फ़िदा मेरा , नहीं तो चाहने वाले दिलबर हज़ार हैं मुझको اا तू मरहम जानेजाँ जाना कि आ लगजा गले मेरे, न जाने कब से ए चारागर बुख़ार है मुझको اا मैं चाहूँ चल चलूँ चकले चंचल चित चराने को, ख़्याल आए क्यों फ़िर तेरा बार-बार है मुझको اا ये कैसा ग़म है मेरे सीने में समझ नहीं आता, मयस्सर नहीं रोना भी ज़ार-ओ-क़तार है मुझको, वादा कर के वो शरीक-ए-सफ़र साहिलों का, छोड़ गया तन्हा 'अबीर' सर-ए-मंजधार है मुझको اا बाद-ए-सबा - सुब्ह की हवा, ख़ुमार - सुरूर, चारागर - डॉक्टर, चकले- कोठा, चित-मन, ज़ार-ओ-क़तार - चिल्ला के रोना, शरीक-ए-सफ़र - हमराही #yqdidi
Divyanshu Pathak
A good man without good training is like a gem Hidden in sands or a flower withering in the forest . Bad environment spoils a man with inborn goodness Similarly A bad man changes into a pure and a holly man by good upbringing . #पाठकपुराण #अध्यात्म☕💓#संस्कार🍉🍫🍫#विरासत💓🍵#रोटी☕☕#अकड़🏺🐿#घमण्ड🍉😀 बेलन रोटी को बेलकर जैसे ही फ्री हुआ रोटी हसने लगी और चकले से बोली ! आये चकले
Odysseus
शहर (Mumbai) जंगलों सा घना, बयाबान सा खुश्क लावे सा गर्म, काजल सा स्याह नश्तरों सा तेज़, पत्थरों सा सख्त मौत सा निर्मम, वक्त सा बेरहम ये मेरा नगर, ख्वाबों का शहर वो संकरी गलियाँ, वो बौनी झुग्गियाँ वो तंग मुहल्ले, वो गंदी नालियाँ वो मजबूर रूहें, वो मायूस चेहरे वो लंबी कतारें, वो बेहाल सड़कें, वो ठेले, वो रेहड़ी, वो ऊँचीं दुकानें वो दफ्तर, वो माॅलें, वो कल-कारखाने (Extended in Caption #NojotoQuote शहर जंगलों सा घना, बयाबान सा खुश्क लावे सा गर्म, काजल सा स्याह नश्तरों सा तेज़, पत्थरों सा सख्त मौत सा निर्मम, वक्त सा बेरहम ये मेरा नगर,
AK__Alfaaz..
इक दिन मैंने, पत्थर पर इक पौधा उगा देखा, उसके सुर्ख रक्तिम फूल, चमक रहे थें, ओस की बूँदों में, पेड़ की ओट से झाँकती, सुनहरी सिंदूरी किरणों के सहारे, कौतूहलवश मैंने भी, घर के आँगन की मिट्टी खोदी, व..उसमे लाकर रोप दिए, कुछ गोल पत्थर, कुछ तिकोने, और.. कुछ अनगढ़ से पत्थर, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #पत्थर.. इक दिन मैंने, पत्थर पर इक पौधा उगा देखा, उसके सुर्ख रक्तिम फूल, चमक रहे थें,