Find the Latest Status about मंजिलों की शायरी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, मंजिलों की शायरी.
Ramcharan
मंजिलों की परवाह किसे है जनाब 😎 हमें तो सफ़र में ही मजा आ रहा ... रास्ता बहुत साफ है इसलिए मुझे सिर्फ Goal नजर आ रहा..🎯 ऐसा लग रहा है मानो कोई हमसफ़र नजर आ रहा .... मंजिलों की परवाह....
Rahul Yadav
एक सफ़र मंजिलों की ओर अभी तो सफ़र शुरू किया है अभी से थक कर रुकना क्या है अभी तो चंद कदम ही बड़े है मन्जिलो की ओर अभी से पीछे मुड़ना क्या है अभी तो ऊँचे-ऊँचे पहाड़ है मुश्किलों के चढ़ने के पहले ही घबराना क्या है अभी तो ना जाने कितनी रातों से लड़ना है मुझको अपनी मन्जिलो को पाने के लिए इन खामोश सी रातों से डरना क्या है आधी जिन्दगी गुजार दी उलुल-जुलुल सी बातो मे अब इन बातों मे पड़ना क्या है गर सपनो के बिन ही जिन्दा हो तो मर चुके हो तुम जीना इसको कहते हैं तो मरना क्या है R. K. Yadav #ek सफ़र मंजिलों की ओर #Books
Maithili Baria
🌼🌼🌼 तु मंज़िल किसी और की... मेरे रास्ते में आके थम गई... मैंने तो मान ही लिया था... की तु ही मेरी मंज़िल हैं... पर नहीं यार... जब नज़रे उठा कर सामने देखा... तो समझ आया... मेरी मंज़िल तो अभी बोहत दूर हैं... तु तो मेरा आधा सफ़र भी नहीं था... 🌼🌼🌼 ©Maithili Baria बातें मंजिलों की...🌼🌼🌼 #WritingForYou
anurag saxena
मंजिलों पे डालों पर्दे ,सफ़र पे निकल चलो टूटी फूटी पगडंडियों पे, गिरो पडो उठे चलो क्या छूटा,क्या मिला , इसकी परवाह न करो दुःख मिला या सुख मिला,इसकी चर्चा न करो समय को व्यर्थ करके, जिंदगी जीते चलों या जिंदगी को व्यर्थ करके, समय गिनते चलों ग़लती माफी भूल सब , छोड़ दो अतीत पे गेरबंदिशो में जीयो, सब लूटा दो प्रीत पे आख़िर में मृत्यु ,एक प्रश्न बनकर आएगी जिंदगी तुम्हें ,ज़बाब देकर चली जाएंगी ---------अनुराग सक्सेना  मंजिलों पे ---
Nik JAT
मंजिलो का सफर हम ख्वाबों में ही करके आए हैं,, (सफर किस तरह किया सुनिएगा) कि सूरज गुम हुआ और चांद की जब मुंह दिखाई थी,, तब आंखें बंद थी और मंद सी मेंहकी फिजाएं थी।। ~nik...jat✓ #मंजिलों का सफर
Ombir Kajal
कहदो इन मंजिलों से, मुझसे दूर जाने का इरादा ना करें, मैं भी बहुत अनाड़ी हूँ वापिस लौट गया तो इन्हें पुछेगा कौन? 😊😊😊 Ombir kajal ©Ombir Kajal कहदो मंजिलों से
Ateet
आज सुबह उठकर एक किताब लिख रहा हूं, लगता है जैसे खुद के ही ख्वाब लिख रहा हूं। अलसाई सुबह को उठकर ये बात सोचता हूं, कि जाना नहीं जहां क्यों उस राह चल रहा हूं। #मंजिलों से दूर
Vasundhara Chaudhary
#मंजिलों की तलब रखने वाले अक्सर रास्तों से कतराते हैं