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Mahesh Lokhande
उन्हाळा थंडगार वार्याची झूळूक कुठे गेली गरम गरम हवेने भूमीही तप्त झाली चिंब भिजण्याची आस पाखराला थंडगार वारा सांगा कुठे गेला करपली पाने वाढला उन्हाळा दाहीदिशा धावे मृग मृगजळा अंग सारे झाले घामाघूम व्याकूळ झाला जीव तहानेन पाण्यासाठी झाली सूरू वणवण आटल्या विहिरी तलाव पाण्यावीण आहे ते पाणी वापरा जपून पाणी आहे जीवन अमृतासमान पंखा लावुनीही गरम हवा येते लाईट गेल्यावर घालमेल होते कोकम सरबत ज्युस लस्सी थंडावा लिंबूपाणी थंड हवा गारवा थंडगार सावली गुरे शोधू लागली झुळझुळ झर्यालाही किंमत आली द्रोणपाणी भरूनी ठेव पाखराला पाणीदान करूनी जप मानवतेला उन्हाळा
Amita
ग्रीष्म... ग्रीष्माची साक्ष देतो, हा सूर्य तप्त होऊनी वाराही तेव्हा रुसून बसतो, अज्ञात राहूनी.... किरणे प्रखरतात, धवल निळ्या नभातुनी आतपाच्या रेषा तेव्हा, झेपावतात धरेवरी.... साध्वी मही सदैव, सामावून घेते ज्वाळा वृक्षछायेत मिळतो, असीम शीत जिव्हाळा.... करपते काया, स्वेद बिंदू स्त्रवतात तृषार्त होता कंठ, ओंजळी पसरतात.... ग्रीष्म ऋतू हा असा, आगळा वेगळा चटके सोसल्यावर, मग येतो पावसाळा.... अमिता✍️ ©Amita #मराठीकविता #उन्हाळा
KrishnaSharma
कविता का शीर्षक:- बसंत ऋतु का आगमन लेखक:- कृष्णा शर्मा स्वरचित पेड़ों पर कलियाँ फूट पड़ी मन सरसों सा लहराया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है फूलों में रंग लगा भरने कोयल की कूक सुनाई दे वह पवन बसंती है देखो मनवा को जो पुरवाई दे हरियाली खेतों में है आमों पर बौर लगा आने देखो पलाश के फूलों को आकर्षित हैं करने वाले मन बना बसंती झूम रहा क्या मस्त बहारें लाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत ये आया है हो गर बसंत जीवन में तो हर मौसम में खुशहाली हो पतझड़ चाहे जीवन हो पर अंतर्मन में हरियाली हो भंवरा बन कर के फूलों पर जीवन को यूं महका जाऊं फिर बना बसंती खुद को मैं सारे जग को बहका जाऊं एक बसंती पवन ने ही मेरे मन को महकाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है इस फगवा और बसंती का जग में है मेल निराला सा मदमस्त सभी को करता है मुझको कर दिया शिवाला सा सबके मन को ही भाता है देखो बसंत जब आता है जीवन को रंग बिरंगा कर यह नई बहारें लाता है इस एक अनोखी ऋतु ने ही सारे जग को महकाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है जय शारदे मां ©KrishnaSharma कविता का शीर्षक बसंत ऋतु का आगमन #Morning
Penman
ना कोई ऐसी ऋतु है कि तुझे भुला सके हम, तेरा नाम के बिना हर मौसम कैसे बिताए हम। ©Tarun RAJPUt #ऋतु
Shivam Choudhary
कोई ऋतू तो होगी जिसमे प्यार की सोंधी सोंधी खुशबू होगी कोई मौसम तो होगा जिसमे मोहब्बत का इजहार होगा आखिर कब तक रोकूं मैं खुद को कोई रूह तो होगी जिसे मुझसे प्यार होगा ©Shivam Choudhary #ऋतु
teri mohabat
तरस जाएंगी आंखें आपकी एक तन्हाई सी रह जाएगी थोड़ी तन्हाई थी, थोड़ी तन्हाई है थोड़ी तन्हाई सी रह जाएगी हो जाती अगर किसी से यारी हो जाती अगर किसी से यारी ... तो यादों में गहराई सी रह जाएगी मांगी ना खुदाई किसी से मांगा ना कुछ भी, रहेगा कुछ भी नहीं इस , दिल में रुसवाई सी रह जाएगी आयेंगे कई मौसम, पर ज़िन्दगी में तन्हाई सी रह जाएगी सिख गई हैं बेगैरत आंखें मेरी के शरमाई सी रह जाएंगी तरस जाएंगी आंखें आपकी एक तन्हाई सी रह जाएगी ☝😓#RiTu# #ऋतु