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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सोरठा :- सूर्यदेव का ताप , नित्य ही बढता जाता । नर नारी सब आज , नजर घूंघट में आता ।। लियो मजा तुम खूब , सदा पक्की सड़को का । करना क्या है आज , पहाड़ो औ झरनों का ।। महल बने फिर चार , वृक्ष हो बिल्कुल छोटे । गेंदा चंपा छोड़ , वृक्ष सब लगते खोटे ।। हँसते घूंघट काढ , दिखे सारी बत्तीसी । फल कर्मो का आज, निकाले सबकी खीसी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सोरठा :- सूर्यदेव का ताप , नित्य ही बढता जाता । नर नारी सब आज , नजर घूंघट में आता ।।
Srinivas
बिना प्यार के महल भी रेगिस्तान लगते हैं, अपनों की बातें ही तो घर को गुलिस्तान बनाते हैं। ©Srinivas #Home बिना प्यार के महल भी रेगिस्तान लगते हैं, अपनों की बातें ही तो घर को गुलिस्तान बनाते हैं।
Sai Angel Shaayari
कोई स्त्री कभी ताज महल नहीं चाहती वो चाहती है सिर्फ मान-सम्मान, इज्ज़त और क़दर । No Woman Ever Wants The Taj Mahal. She Just Wants Respect , Honour And Appreciation. ©Sai Angel Shaayari कोई स्त्री कभी ताज महल नहीं चाहती वो चाहती है सिर्फ मान-सम्मान, इज्ज़त और क़दर । No Woman Ever Wants The Taj Mahal. She Just Wants Respect
- Arun Aarya
आज नहीं तो कल बनाना है, मुझें घर नहीं , महल बनाना है..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #beautifulhouse #महल बनाना है।
Mukesh Poonia
भव्य महल हो या हो छोटी सी झोपड़ी... घर उसी को कहते हैं जहां शांति और सुकून मिले... . ©Mukesh Poonia #GingerTea #भव्य #महल हो या हो #छोटी सी #झोपड़ी... घर उसी को कहते हैं जहां #शांति और #सुकून मिले...
Sabhy Bharat News
Krishna Deo Prasad. ( Advocate ).
Village Life भव्य महल हो या हो छोटी सी झोपड़ी.. घर उसी को कहते है , जहां शांति और सुकून का वास हो.. ©Krishna Deo Prasad. ( Advocate ). #villagelife #villagelifestyle_भव्य महल हो या हो छोटी सी झोपड़ी.. घर उसी को कहते है जहां शांति और सुकून मिले..
Naren K
राहुल को अपनी जान बचाने के लिए अब आगे बढ़ने की कोशिश करते हुए, उसने हवेली के अंदर की खोज की। वह दीवारों के पीछे छिपे हुए गुप्त रास्तों को खोजने लगा, लेकिन कोई उम्मीदवार नहीं मिला। समय बीत रहा था और भूत उसके पास आ रहा था। आखिरकार, राहुल ने अपनी टॉर्च को बाहर निकाला और भूत को प्रकाश में लपेटा। उसकी डरावनी चीख के साथ, भूत ने डगमगाते हुए पीछे हटकर अंधकार में ग़ायब हो गया। हवेली के दरवाज़े खुल गए, और राहुल भागते हुए बाहर निकल गया। वह सुरक्षित था, लेकिन उसके जीवन में वह भूतिया अनुभव सदैव याद रहेगा। उसने सीखा कि कभी-कभी, भूतों की कहानियों की बात सत्य हो सकती है, और कुछ रहस्य बेहतर हैं कि वे अनसुलझे ही रहें। ( End) ©Naren K भूतिया महल... (End)
Naren K
जैसे ही वह महल की मुख्य सीढ़ी तक पहुंचा, राहुल ने अंधकार में एक आत्मा की आवाज़ सुनी। डर के साथ फ्रोज़न होकर, उसने देखा कि आत्मा एक डरावना रूप लिया हुआ था। यह एक महिला का आत्मा था, जिसकी आँखों में नफरत और क्रोध था। राहुल को यह जानकर कि भूत उसे हानि पहुंचाना चाहता है, वह भागने के लिए मुड़ा, लेकिन दरवाज़े पीछे से बंद हो गए, जो उसे हवेली के अंदर बंद कर दिया। भूत उसके पास बढ़ रहा था, और उसके लिए दौड़ने का कोई रास्ता नहीं था...(part-3) ©Naren K भुतीया महल .. ( part-3)
Satish Ghorela