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HarshVardhan Tag
मुख़ातिब शब्दों से हुँ मे उसके....(१) दिल मे जहर अब भी हम रखते है एक दीदार को तरसते थे जिसके....(२) अब खुद पर इख़्तियार भी हम रखते है, रू-पोशी देख हमको वो करते....(२) उसके ज़ुल्मत पे सख़ावत भी हम रखते है।। ©HarshVardhan Tag मुख़ातिब :- ध्यान देना इख़्तियार :- नियंत्रण रूपोशी :- मुँह छिपाना सख़ावत :- उदारता #no #viral
Vedantika
कुजा रूपोशी हैं मेरे मुक़द्दर से ख़ुशियाँ मेरी, जैसे कि ग़म की स्याही पन्नो पे बिखर गई। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "रूपोशी" "ruuposhii" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है गायब होना, मुँह छुपाना, फरार होन
Suchita Pandey
जब आँखे बातें करने लगे, ख़ामोशी अच्छी लगती है। अब होश को रख कर क्या करना, बेहोशी अच्छी लगती है। कोई देख न लें, कोई सुन न ले और शामों मे ख़ामोशी बिख़री हों, मदहोशी अच्छी लगती है। ये चाँद है और ये कहता है, रूपोशी अच्छी लगती है। ये ख़ामोशी अच्छी लगती है.. #napowrimo में आज ग्यारहवाँ दिन है। आज का विषय है #ख़ामोशी #सुचितापाण्डेय #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi जब आँखे बातें
Durgesh Dixit
चेहरा तेरा बिलकुल धूप के माफिक लगता है पल में उजला पल में बिलकुल बादल सी रुपोशी है दिल क्या है, एक दरिया है कलकल कलकल बहता है याद जो तेरी आ जाए तो लंबी सी खामोशी है लहरे जब टकरा कर के बिखर जाती है किनारे पर इनको देख के याद आया ये बिलकुल मेरे जैसी हैं ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "रूपोशी" "ruuposhii" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है गायब होना, मुँह छुपाना, फरार होन
Durgesh Dixit
तेरा चेहरा बिल्कुल धूप के माफिक लगता है पल में उजला पल में बिलकुल बादल सी रुपोशी है ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "रूपोशी" "ruuposhii" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है गायब होना, मुँह छुपाना, फरार होन
साहस
रूपोशी बन जाने कहां भाग निकली। मिलती नही,मदहोशी जगा बदली।। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "रूपोशी" "ruuposhii" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है गायब होना, मुँह छुपाना, फरार होन
Harshita Dawar
Written by Harshita Dawar ✍️✍️ बार बार कितनी बार कहती रही। बार बार कितनी बार सहती रही। बार बार कितनी बार अपने पे कीचड़ उचहलवा ती रही। बार बार कितनी बार तड़प ती रही। बार बार कितनी बार बेबस रही। बार बार कितनी बार चीखती रही। बार बार कितनी बार मीट ती रही। बार बार कितनी बार भरभर रो ती रही। बार बार कितनी बार बे मौनी सी लगी ये ज़िन्दगी। बार बार कितनी बार ज़िन्दगी की राह खतम करने ही चली थी। बार बार बस अब मेरी चुन्नी को कोन्ना अटका पा ती रही। हर बार मेरी बेटी को देखकर रुकती रही । हर बार अपने को रोक ना पाती थी। बार बार नहीं हर बार मेरी बेटी ही जीने की राह बन रही है। जीना सिखा रही है। हासा रही है ।रुला रही है। जीने सिखा रही है।।। कहने को ये दो शब्द हैं मगर किसी भी बात से जुड़ जाते हैं और कविता बना देते हैं। #बारबार #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with