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Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
भगवान राम और माता सीता का प्रेम भले कोई न समझ पाएं। पर सुख और दुःख दोनों ने मिल कर सहा है, अपनी प्रजा के लिए त्याग किया है। क्योंकि उन्होंने अपनी प्रजा उनकी संतान ही माना हैं। और संतान के लिए सब कुछ त्याग देते है। उन्होंने वहीं किया। राम के ह्रदय की बात सीता जानतीं थी। तो राम भी सीता के ह्रदय की बात को जानते थे। अपने पति को असमंज में न रहें कोई उन्हे गलत न कहे इसलिए सहर्ष ही वनवास स्वीकार किया। जब ऋषी वाल्मिकी के आश्रम में रही तो जो कंद मूल उन्होंने खाएं वो ही भगवान राम ने खाएं। जमीन पर कुशा के बिस्तर पर माता सीता सोई थी तो राम भीं महल में उसी कुशा के बिस्तर पर सोए लोगों को लगता हैं कि राम महल में और मां जंगल में रही तो एक तरह से वनवास दोनों ने भोगा है। राम और सीता का प्रेम जैसा प्रेम कहीं नहीं है। जो एक दूसरे के पूरक है। त्याग और समर्पण अदभुद है। जो हम मानव के लिए संभव है ही नहीं। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma राम सीता सा जीवन जीना इतना आसान नहीं होता है। इनको मानते सब हैं पर उनके आदर्शो पर चलना कोई नहीं चाहते हैं।#ramsita
Motivational indar jeet group
जीवन दर्शन 🌹 धार्मिकता का तत्वज्ञान हमें कर्तव्य परायण बने रहने और जीवन संग्राम के हर मोर्चे पर आदर्शों की लड़ाई लड़ने का शौर्य साहस प्रदान करता है !.i. I ©motivationl indar jeet guru #जीवन दर्शन 🌹 धार्मिकता का तत्वज्ञान हमें कर्तव्य परायण बने रहने और जीवन संग्राम के हर मोर्चे पर आदर्शों की लड़ाई लड़ने का शौर्य साहस प्रदान
Aashutosh Aman.
# हिंदी साहित्य# हिंदी कविता। # _____'_______&&&&&&- माना जीवन समझौता है पर ये कभी कभी होता है।। किया यदि समझौता हर पल तब ये कायर पन होता है।। आदर्शों से समझौता कर लिया मान गिर जाता है। आदर्शों के दो राहे पर स्वाभिमान घिर जाता है।। आदर्श रहित जीवन जीना ही अहंकार कहलाता है। ऐसा जीवन स्वयम स्वयं में हो जाता है।। आदर्शों का उच्च शिखर यदि मिलता है समझौता करना। आदर्शो का मोल लगे मत स्वाभिमान का सौदा करना।। स्वाभिमान बिन जीवन जैसे आदर्शी परिसीमन है। स्वाभिमान ही नहीं बचा तो वो जीवन क्या जीवन है।। जीवन को सौ बरस न मानो हाँ इसकी कीमत पहचानो। एक पल जियो सौ बरस चाहे पर जीवन कोजीवन मानो।। जीवन जैसे दीपक ज्योति सीप में जैसे रहता मोती। साँसे कम हों और अधिक हों सांस कभी ना जीवन होती।। जिस दीपक के तले अंधेरा उसकी ज्योति करे सवेरा। बिन ज्योति का दीपक कैसा ज्योति से प्रकाश है होता।। जलो एक क्षण पर प्रकाश दो ये जीवन तो प्रकाश ही होता। ज्योति और प्रकाश दीपक से कभी नहीं करते समझौता।। ज्योति और प्रकाश दीपक से ...... 🙏🙏🙏🙏🙏 __________&'&&&&&& ।। आशुतोष अमन।। _________&&&&&& ©Aashutosh Aman. # हिंदी साहित्य# हिंदी कविता। # _____'_______&&&&&&- माना जीवन समझौता है पर ये कभी कभी होता है।। किया यदि समझौता हर पल तब ये कायर पन ह
Rishika Srivastava "Rishnit"
Ajay Amitabh Suman
PRIYANKA GUPTA(gudiya)
Vikrant Rajliwal Show
Vikrant Rajliwal Show
Vikrant Rajliwal Show