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कृष्णा वाघमारे, जालना , महाराष्ट्र,431211
Anil kumar jatav
ASIF ANWAR
कल रात जो ईंधन के लिए कट के गिरा है चिड़ियों को बहुत प्यार था उस बूढे शजर से! ©ASIF ANWAR कल रात जो ईंधन के लिए कट के गिरा है चिड़ियों को बहुत प्यार था उस बूढे शजर से! #Gulaab
Gautam Kumar
महज पुछना काफी होता है , उम्र की लम्बी आड़ में , इतनी लंबी रात खाली-खाली सी रह जाती होगी बूढे मां-बाप का । महज पुछना काफी होता है , उम्र की लम्बी आड़ में , इतनी लंबी रात खाली-खाली सी रह जाती होगी बूढे मां-बाप का । #nojoto #gautamkumar #shayari #
JALAJ KUMAR RATHOUR
खूंन के आंसू रो रही मेरे देश की माटी, बेटे के बलिदान पर फ़क्र कर रही, वो बूढे बाप की लाठी, शहीद बेटों का बदला मांग रही कश्मीर की घाटी, समझ नही आता सिंहासन का मोह कब छोड़ेगी , ये छप्पन इंच की छाती.... #जलज_राठौर #छोड़ चुनाव पाक मे लाओ तनाव #NojotoQuote खूंन के आंसू रो रही मेरे देश की माटी बेटे के बलिदान पर फ़क्र कर रही वो बूढे बाप की लाठी शहीद बेटों का बदला मांग रही कश्मीर की घाटी समझ नही आ
Insprational Qoute
कौन हैं शिक्षक???? ******************** क्या है? शिक्षक की परिभाषा, जानने की हैं यह सबकी अभिलाषा, हर डिग्रीधारक शिक्षक नही होता, दे जाए काम का ज्ञान वहीं असली शिक्षक होता, मिल जायेगा आपको यह शिक्षक हर मोड़ हर रूप मे, बूढे से लेकर बच्चे स्वरूप में, शिक्षक का सर्वोत्तम गुण जीवनभर वह रहता, एक सक्रिय अधिगमकर्ता, ज्ञान बांटे जगत में वही हैं असली कर्ताधर्ता। क्या है? शिक्षक की परिभाषा, जानने की हैं यह सबकी अभिलाषा, हर डिग्रीधारक शिक्षक नही होता, दे जाए काम का ज्ञान वहीं असली शिक्षक होता, मिल जा
Asha Giri
मैं भी सफल entrepreneur...😍😄 कुछ दिनों से पतिदेव से demand कर रही हूँ कि मुझे एक personal laptop दिलवा दे। मैं एक अच्छी लेखिका हूँ, और deserve करती हूँ laptop रखने पास।
संगीत कुमार
(जीवन) कैसा ये जीवन बन गया। सब मानव कार्य छोड़ चला।। शाम-सुबह को तरस रहा। काम धंधा न मिल सका।। कैसा ये जीवन बन गया। दिन तिमिर में बदल गया। भूख-प्यास को मन तरस रहा।। दिमागी बुखार सिर चढ़ पड़ा। प्राण उदासी से भर गया।। कैसा ये जीवन बन गया । बच्चे-बूढे भूख से बिलख रहें। करवट इधर-उधर बदल रहें।। राशन-पानी सब खर्च हो गये। हयात मुश्किल में बदल गये।। कैसा ये जीवन बन गया। जग मातम से छा गया। घर वेदना से भर गया। जीवनरुपी प्यास न बुझ रहा। जान खण्डहर में बदल गया।। कैसा ये जीवन बन गया। प्रकृति तूने ये क्या कर दिया?। जीवन मरण सा हो गया।। कैसा ये कहर फैल गया। पानी पीने को मन तरस गया।। कैसा ये जीवन बन गया। (संगीत कुमार /जबलपुर) ✒️स्व-रचित कविता 🙏🙏 (जीवन) कैसा ये जीवन बन गया। सब मानव कार्य छोड़ चला।। शाम-सुबह को तरस रहा। काम धंधा न मिल सका।। कैसा ये जीवन बन गया।