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दिनेश कुशभुवनपुरी
वर्णिक छंद: अरसात सवैया– जन नायक 211 211 211 211 211 211 211 212 राह मिला उसको निष्कंटक जो चलता पग फूंक सदा यहाँ। साथ चला उसके जग ही जन नायक जो बन साथ चला यहाँ। पार किया उसने भव सागर जो जन पंथ का' पीर सहा यहाँ। हाथ मला वह मानव ही जिसने तन आलस पाल लिया यहाँ॥ Dinesh Pandey ©दिनेश कुशभुवनपुरी #वर्णिक_छंद #अरसात_सवैया #जन_नायक #adventure एक अजनबी Madhusudan Shrivastava {[PREET]} poonam atrey कला व्यास पथिक.. Asmita Singh Richa Mi
मनोज मानव
शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन )
ये कौन ज्ञानी थे जिन्होंने नारी को निम्न बनाया, सृष्टि ने तो नारी को नर से अधिक समर्थ बनाया| आखिर कब,क्यूँ ओर किसने नारी को बस वस्तु बनाया, सृष्टी ने तो समय को करने गतिमान दोनों को काल-चक्र बनाया| 26:08:2023 ©शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) #womanequality #Hindi #हिंदी #हिंदीपंक्तियाँ #sheetalchoudhary #मेरेशब्दसंकलन Sheikh imran Sonia Anand Priyanka Dwivedi कला व्यास sana naaz
सुनील 'विचित्र'
खिलखिलाता छंद सुमधुर ज़िन्दगी है l गीत का इक बंद सुमधुर ज़िन्दगी है l ख़ूबसूरत रंग बिखरे हर तरफ़ जब, फिर भला क्यों द्वन्द सुमधुर ज़िन्दगी है l ©सुनील 'विचित्र' #मुक्तक_विचित्र अmit कोठारी "राही" विवेक ठाकुर "शाद" मनोज मानव सचिन सारस्वत Asmita Singh Kumar Shaurya Madhusudan Shrivastava RAVINANDAN T
मनोज मानव
दिनेश कुशभुवनपुरी
विधा- गीतिका आधार छंद- जयकरी/चौपई छंद समांत- आल, पदांत- अपदांत। मातु शारदे करें निहाल। चले लेखनी करे कमाल॥ सच्चाई की जब हो बात। झूठे हो जाते बेहाल॥ नेता जब जाते हैं जीत। हो जाते तब मालामाल॥ येन केन मिल जाये वोट। जाति धर्म की चलते चाल॥ वादा करते हैं भरपूर। खूब बजाते अपना गाल॥ रहकर घोटालों में लिप्त। करते भारत को कंगाल॥ करके तुष्टीकरण अनाप। जन में नेता करें बवाल॥ नेताओं के कारण आज। देश हुआ अपना बदहाल॥ मँहगाई अरु भ्रष्टाचार। काल हुआ इनसे विकराल॥ आया बहुत कठिन अब दौर। कैसी है ये मायाजाल॥ नेता का हो सही चुनाव। तभी हटेगा सब जंजाल॥ Dinesh Pandey ©दिनेश कुशभुवनपुरी #गीतिका #मातु_शारदे #नेता Anshu writer -"Richa_Shahu" Babli Gurjar Naveen Kumar Richa Mishra Ritu Tyagi Priya Rajpurohit Raj Guru Mysterio
सुनील 'विचित्र'
सुनी आहट बहारों की, चमन फिर मुस्कुराया है l कहीं फूटा कोई गुंचा, भ्रमर ने गीत गाया है l ज़माने के लिये मौसम सुहाना अब हुआ होगा, सुहाना है मेरा मौसम, तू जबसे पास आया है l ©सुनील 'विचित्र' #मुक्तक_विचित्र Disha ANOOP PANDEY Sonika pal Ra J सचिन सारस्वत Parul Rawat विवेक ठाकुर "शाद" दिनेश कुशभुवनपुरी Asmita Singh कला व्यास मन
प्रशांत की डायरी
दिनेश कुशभुवनपुरी
कुण्डलिनी छंद: खग खग भी दिखते हैं नहीं, अब तो अपने गाँव। वन दोहन ऐसा हुआ, ख़त्म हो गये छाँव॥ ख़त्म हो गये छाँव, हुए सूने सारे डग। ऐसा चला समीर, खो गए हैं न्यारे खग॥ Dinesh Pandey ©दिनेश कुशभुवनपुरी #कुण्डलिनी_छंद Puja Udeshi Anupriya Raj Guru ANOOP PANDEY Subhash Chandra Ritu Tyagi एक अजनबी Madhusudan Shrivastava कला व्यास मनोज मानव
सुनील 'विचित्र'
बात निकले तो तोल कर निकले l हो सके तो टटोल कर निकले ll कैसे काबू में रखते हम दिल को, जब गली से वो डोल कर निकले l खीर हमने पकाई उल्फ़त की, रंजिशें लोग घोल कर निकले l हमने बाज़ार में ग़ज़ल रक्खी, लोग अनमोल बोलकर निकले l मुश्किलों से ये ज़ख्म तुरपा था, आप तुरपाई खोल कर निकले l ©सुनील 'विचित्र' #ग़ज़ल_विचित्र Parul Rawat ANOOP PANDEY मनोज मानव अmit कोठारी "राही" ~pragya कला व्यास gaTTubaba RAVINANDAN Tiwari विवेक ठाकुर "शाद" Dish