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fateh singh sodha
अब हम हर लड़की के है भाई क्यूँकि मिल गई है हमारी लुगाई ©fateh singh sodha पर अभी नहीं हुई सगाई #luv
जयश्री_RAM
कितने दिनों से वे दोनों इस पल का इन्तजार कर रहे थे मगर घर वालों की बन्दिसें इतनी थी कि मुश्किल लगने लगा।एक दिन ऐसा हुआ कि किरन ने दीप को फोन किया कि आज मेरे घर वाले किसी काम से बाहर जा रहे हैं तो जबाव में दीप ने भी कहा कि उसके मम्मी पापा दोनों किसी शादी में शामिल होने जा रहें हैं और रात से पहले उनका घर बापस आना मुश्किल है। अब दोनों ने घर से बाहर मिलने की योजना बनायी,दीप ने अपनी बहन से कहा कि वो अपने दोस्त के पास किसी काम से जा रहा है जल्दी लौट आयेगा।किरन किससे कहती अपने घर की अकेली लड़की थी.ज्यादा सुन्दर नहीं पर नाक नक्श बहुत प्यारा था जिसे उसका सलीके से पहनावा और खूवसूरत किये था। फिलहाल दोनों अपने अपने घर से निकल कर एक निश्चित ठिकाने पर मिले और काफी देर तक यह तय नहीं कर पाये की कहाँ जायें।अंततः वे दोनों एक छोटी सी नदी की तरफ चल दिये और वहाँ पहूँच कर किनारे पर बैठ गये।किरन गौर से पानी की गहराई देखते हुए कहती है जैसा हमारे साथ हो रहा है उससे तो इसी नदी में डुब जाऊं मन कर रहा है।दीप ने तुरन्त किरन के मुँह पर उँगली रखकर कहा -पागल हो यार तुम ....सच ....कुछ दिन में हमारी शादी है ।कुछ देर खामोशी रहती है...फिर किरन दीप के कन्धे पर सिर रखते हुए गहरी सी आह भरती है।दीप उसके बालों को सहँआता है।दूर ढलता हुआ सूरज हर तरफ नारंगी रंग बिखेर रहा था।किरन को बातों बातों में पता ही नहीं चला कब वो दीप की गोद में सिर रखे रेत से खेल रही थी और दीप ने अपनी बाँहों को पीठ पर रखकर गाल टिका रखे थे।पीठ से किरन की गूँजती आवाज बहुत प्यारी लग रही थी।पहली बार दोनों इस तरह से एक दूसरे से मिल रहे थे।दोनों की सगाई को चार माह हो गये मगर घर वालों ने मिलने से सख्त मना किया था बस एक दूसरे से घण्टों बात करते थे।अब जबकि साथ में हैं तो कोई भी बोल नहीं रहा बस इस पल को जी रहा है।एक बोल रहा है तो दूसरा हूँ ...हूँ ....बस। फिर अचानक किरन गीली गीली घास पर पीठ के बल लेट गयी..दीप ने रोका भी कि कपडे़ खराब होंगे लेकिन उसने अनसुना कर दिया और सूरज के डूबने के साथ अंधेरा होने लगा था।किरन दीप की उँगलियों से खेल रही थी और दीप आसमान की ओर देख रहा था...तभी वो भी गीली जमीन पर लेट गया..और दोनों पता नहीं कब तक ऐसे ही पडे़ रहे। राम उनिज मौर्य #सगाई
Praveen
सगाई - तुम्हे अपना बनाने तक, तुम्हे अपना मान लिया । थोड़े सपने सजाने तक, थोड़े सपनों को जान लिया ।। हर कदम साथ चलने का वादा लिए , मेरी उंगली ने तेरी उंगली को थाम लिया । मिले तो रास्ते आपस में हैं , रस्म में बस अंगूठियों को नाम दिया ।। बंट गए सारे दुःख, आज से हमारे बीच । खुशियों की चादर ने, आज से ही फैलना जान लिया ।। सफर सात फेरों तक सगाई का रहेगा भले । ज़िन्दगी संग बिताएंगे, ये अभी से है ठान लिया ।। तुम्हे अपना बनाने तक, तुम्हे अपना अभी से है मान लिया ...! ~ प्रवीण कुमार #engagement #सगाई