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Brok Boy
#Pehlealfaaz हमारी कविताएं पढ़कर बस इतना ही बोले वो कलम छीन लो इनसे हर शब्द दिल चीर दे रहा है। S upadhyay कलम छीन लो
Raone
बहुत लिखा है इश्क़ मुहब्बत प्यार वफ़ा पर पर क्या इसका अर्थ भी आप समझ पाओगे वो डायरी मेरी खोल के देखो, जिसमें मेरी तुम तलाश लिखी हो ज़रा दिल से पढ़ना उन अल्फ़ाज़ों को जिसमें पूरी की पूरी बस आप छपी हो पर अफ़सोस की शायद तब भी तुम समझ न पाओ कि किनती उसमें पीर लिखी है सच है तुमने जा चाहा था वक्त के साथ मैं मर जाऊँ आपके श्राप से तिनका तिनका सा मैं उड़ जाऊँ ख़ून से अपने, हमने ये तो गीत लिखा है दिल से देख तू ऐ ज़िन्दग़ी, पूरे पन्नों में बस तू हीं छिपा है राone@उल्फ़त-ए- ज़िन्दग़ी (भाग-2) (भाग-2)
PRATIK MATKAR
ऊन कोवळे कडक जाहले असे सोहळे कधी न पाहिले कुणी म्हणाले टळेल वेळ ही कुणी म्हणाले बसेल मेळ ही कुणा वाटतो घटकेचा खेळ ही कुणा वाटते कायमची जेल ही अशी निराशा वाट्याला येते इमले सारे पाडुनी जाते भाग 2
Satish Mapatpuri
रोटी देखन में बस छोटी । कितनों ने इसको पाने में , नीयत भी कर ली खोटी । रोटी देखन में बस छोटी । जब तक पेट रहेगा तन में । रोटी की धुन रहेगी मन में । अच्छा होता पेट के बदले , दो - दो पीठ ही होती । रोटी देखन में बस छोटी । इन्सां का भगवान है रोटी । दीन - ईमान विधान है रोटी । इसकी नींद से जागे दुनिया , इसको लेकर सोती । रोटी देखन में बस छोटी। कोई मिहनत करके पाता । कोई इसको ठग कर लाता । कोई पाए बेच के अस्मत , बहन लगे या बेटी । रोटी देखन में बस छोटी । -- सतीश मापतपुरी ©Satish Mapatpuri 2 जून की रोटी
Adv.Sanjay singh Bhadouria
दिनांक -2/जून/2022 2 जून और सुकून की रोटी किसी को मिलती रहे इस संसार में वही आज सबसे सुखी और समृद्ध है ©sanjay singh Bhadouria #2 जून की रोटी
Naushad Sadar Khan
ये दुनिया है, यहाँ पर जो भी है सब कुछ पराया है, ना लेकर जाएगा कोई ना कोई साथ लाया है, तुमको लगता है कि मुट्ठी में समेटे बैठे हो कायनात को साँस रुकी जिस लम्हा कफ़न ही हिस्से आया है ना लेकर जाएगा कोई ना कोई साथ लाया है , ये दुनिया है, यहाँ पर जो भी है सब कुछ पराया है, दुनिया भाग 2
निम्मी की कलम से
भाग 2 वो सामने खड़ी कभी मुस्कुरा रही थी,तो कभी रो रही थी। मैं अंदर ही अंदर सिहर रहा था,कुछ बोलना और पूछना चाह रहा था पर एक शब्द जुबां से निकल न पाया।भयभीत होकर भी एकटक उसको ही देखे जा रहा था अपनी आंखों में तमाम सवाल लिए। "तुसी आ गए हरीश! मैं तेरा ही इंतजार कर रही थी।मुझसे डरने की जरूरत नहीं है।आज के बाद मैं इन सड़कों पर नजर नहीं आऊंगी।मुझे तुमसे कुछ कहना है हरीश।हमारी बच्ची मेरे साथ मरी नहीं थी, उसको कोई उठाकर ले गया था मेरे मरने के बाद।तुम उसको ढूंढकर अपने पास ले आना,तभी मेरी आत्मा को शांति मिलेगी।" और इतना कहते वो गायब हो गई। मैं कुछ सोचने समझने की स्थिति में नहीं था,बस बहुत तेजी से गाड़ी आगे भगाई और उस सूनसान सड़क को पार कर शीघ्र अपने घर पहुंचा मां को लेकर। मां बहुत ज्यादा डरी हुई थी।अपने नवजात पोते को देखने के बजाए सीधे अपने कमरे में चली गईं। बड़ी दीदी ससुराल से यहां आई हुई थीं,मैने उनको मां के पास भेज दिया और खुद भाभी के कमरे में जा पहुंचा नए मेहमान को देखने। "छोटे भैय्या क्या हुआ अम्मा जी को?इतना क्यों घबराई हुई हैं वो?उनकी तबीयत तो ठीक है ना?इतना खुश थीं लल्ला के जन्म का सुनकर,फिर क्या हुआ?" भाभी ने सवालों की ढेर लगा दी। "कल सब बताऊंगा भाभी।अभी आप अपना और लल्ला का ध्यान रखें।" क्रमशः........ ©निम्मी #वहांकौनहै भाग 2