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B.P. Godara
घर में बोल बा स्यू पहचान मिल सी बारे जदे मान मिल सी घणी रुपाणी, रुप की एकता रेवेली जदे ही तो.... 8वीं अनुसूची में स्थान मिल सी । ©B.P. Godara Rajasthani दिवस
Rajasthani दिवस
read moreMadhusudan Shrivastava
अंग्रेजों के थे पराधीन तब तंत्र भी थे उनके अधीन । देकर वीरों ने अपनी जान स्वाधीन हुए पाए थे मान।। जय लोकतंत्र जय संविधान जय लोकतंत्र जय संविधान।। प्रबुद्ध सुबद्ध सभा बैठी एक लिखित विधान बनाने को। नव सृजित राष्ट्र में जनहित को सुख और सुशासन लाने को । नेहरू, वल्लभ भाई, कलाम, अंबेडकर ने लिखा विधान ।। जय लोकतंत्र जय संविधान जय लोकतंत्र जय संविधान।। है यह अखंड एका भी है संप्रभु भी है, समता भी है । है यह तटस्थ मत–पंथों से समरस, न्यायिक प्रभुता भी है । हैं भिन्न लोग मत भिन्न मगर समभाव है इसमें विद्यमान ।। जय लोकतंत्र जय संविधान जय लोकतंत्र जय संविधान।। ©Madhusudan Shrivastava #RepublicDay गणतंत्र दिवस
#RepublicDay गणतंत्र दिवस
read moreGhanshyam Ratre
युवा शक्ति के प्रेरणा स्त्रोत युवा दिवस स्वामी विवेकानंद जी को शत् शत् नमन! सभी भारतवासियों को युवा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,! ©Ghanshyam Ratre युवा दिवस स्वामी विवेकानंद जी जन्म दिवस
युवा दिवस स्वामी विवेकानंद जी जन्म दिवस
read moreAnuj Ray
Unsplash समस्त नोजोतो परिवार को विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ©Anuj Ray #विश्व हिंदी दिवस
#विश्व हिंदी दिवस
read moreअल्फाज - @ - honey
White डियर दिसंबर जो कभी तेरे आने पे अदावत करता था अब ये दिल तेरे होने की इबादत करता है कल तक तेरे ठहर जाने पे थी रंजिश अब कुछ पल तो थम जा की ख्वाहिश बावरा मन जाने क्यूं तेरी हसरत करता है जो ख्वाब -ए - खाक हुए, तुने नए सपने संजोए जो आईना बन जिंदगी का खुद से खुद को रुबरु करवाए नई उम्मीदो नई सपनो की तु ही तो इनायत करता है ढल रहा खूद फिर जाने क्यूं हादसो का इलजाम रखता है तेरे गुजरने कि गुजारिश अब बेमानी सी लगती है कि तुझसे जुड़ी जिंदगी की हर कहानी लगती है कि इस बार अलविदा नही कहेंगे अगले साल हम फिर बेहिसाब मिलेंगे ©honey # दिसंबर
# दिसंबर
read moremeri_lekhni_12
Unsplash ए दिसम्बर तू जा,अब तुझे अलविदा कहना चाहती हूँ, गए वर्ष मे क्या क्या खोया, उसे याद नहीं करना चाहती हूँ। ए दिसम्बर तू जा........ कुछ सपने थे जो टूट गए, कुछ अपने मुझसे रूठ गए, कुछ आस्तीन के साँपो से अब सारे बंधन छूट गए, अब कहना सुनना ख़त्म हुआ, अब थोड़ा आराम करना चाहती हूँ.... ए दिसम्बर तू जा... कितने बच्चे अनाथ हुए, कितने माँ बाप निसंतान हुए, कितनी बेटियां भेडियो का शिकार हुई, कितने घर बर्बाद हुए, कितने जीव मनुष्य का शिकार हुए अब सहन शीलता ख़त्म हुई, अब मै खुद का आईना बनना चाहती हूँ। ए दिसम्बर तू जा...... ©meri_lekhni_12 दिसंबर /december
दिसंबर /december
read moreAshutosh Mishra
Unsplash शीतकाल में शीतल पवन तन में तीर चुभाऐ बिरहन के व्याकुल मन को पी का संग ही भाऐ शीतलहर का बढ़ा प्रकोप हिमपात से धरा ढकी नव-युगल जोड़ियों के सपनों को प्रेम के पंख लगे क्या शहर क्या देहात शीतलहर की चली बयार तेज ठंड़ से सब हैरान और परेशान बूढ़े बच्चे और जवान सब को पर्दे वाला और संस्कारी बनाए क्या नर क्या नारी सब को लगी कपड़ो की अल्फाज मेरे✍️🏽🙏🏼🙏🏼 ©Ashutosh Mishra #snow #हिंदीनोजोटो #हिंदी_कविता #कोहरा #शीतलता #हिमपात #दिसंबर #आशुतोषमिश्रा Neelam Modanwal .. M.K.kanaujiya Sharma_N ANOOP PANDEY Pr
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