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Arora PR
मैंने देखे है जीवन में. ऐसे भी लोग जो दुसरो के सुखो में तो शामिल होते है... लेकिन दुखो में साथ नहीं देते ऐसे लोगो की अच्छाई सनदिग्ध मानी जा सकती है. ऐसा आदमी स्वर्ग के द्वार तक़ तो पहुंच ने में सफल हो जाता है पर स्वर्ग के दरवाज़े ताले की चाबी से वंचित रह जाता है ©Arora PR संदिग्ध
Arora PR
White एक व्यक्ति दहाड़े मार कर रों रहा है. और एक दूसरा आदमी गला फाड़ कर. कोई पुराना गीत गा रहा है अब ये पता लगाना सन्धिग्ध है. कि इन दोनों मे कौन खुश है और कौन गमगीन है ©Arora PR संदिग्ध
Parasram Arora
न मालूम कितने पथरो के सामने सर झुके....... और न जाने कितने शब्दों मे उसकी प्रार्थना रची गईं .... और न जाने कितने शास्त्र उसकी प्रशस्ति मे लिखें और पढ़े गए..... लेकिन जिसे ईश्वर या खुदा कहा जाता है वो स्वर्ग से नीचे उत्तर कर धरती पर आया नहीं है..... उसका ये संदिग्ध अस्तित्व मानव को युगो से भृमित कर रहा है. संदिग्ध अस्तित्व.........
Parasram Arora
है ईश्वर... मै जनता हूँ.... तेरी इछा हीसे मेरी माँ ने मुझे जन्माया होगा...... और ये भी कटु सत्य है कि तेरी इच्छा से ही मुझे. मृत्यु के हाथो सौपा जायेगा.... लेकिन मै हैरनहु ये देख कर क़ि क्यों मेरी इच्छा के बगैर मुझे जन्माया जाता है और मुझसे पूछे बिना मृत्यु को सौप दिया जाता है ..... क्या मेरा वजूद कोई मायने नहीं रखता.... तेरी न्यायप्रियता संदिग्ध है मेरी दृष्टि मे ईस्वर क़ि न्यायप्रियता संदिग्ध क्यों है........
Bilal Khan
बिसवां के मोहल्ला जोशी टोला में एक विवाहिता ने संदिग्ध परिस्थितियों में आग लगा ली जिससे उसकी मौत हो गई। ©Bilal Khan संदिग्ध परिस्थितियों में आग से विवाहिता की मौत
Ashiq Momin
अब खत्म सारे हमारे हुक़ूक़ हो गए बाज़ार ए इश्क़ में वो मशकूक हो गए हुक़ूक़ - अधिकार मशकूक - संदिग्ध #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #हुक़ूक़ #wordoftheday #writinggyan #yqdidi #yqbaba #yqbhaijan
RAVINANDAN Tiwari
शातिर मरहले तक शरीक कहाँ होता है? माहिर मनचले में मशकूक कहाँ होता है ? भड़काकर भावना दिलों से खेलते है,कि फ़रेबी मजनूँ सा माशूक कहाँ होता है!! ©RAVINANDAN Tiwari #toyheart शातिर मंजिल तक साथ नही होता है। चालाक संदिग्ध नही होता और फरेबी सच्चा प्रेमी नहीं होता है !
Shubham Saini Raahi
ये अंधेरों में पनपते ख्यालों में क्या है बहती हवाओं में उड़ता किसका इमां है देखते होगे तुम भी अपने छत से उसे या तेरे आगे भी बस धुआं धुआं है ©Shubham Saini Raahi बहता है समा किसके अरमां में संदिग्ध लहजा है तेरी ज़ुबां में बेजुबां भी कोई लहजा होता है तो कोई बोलता नहीं है गुमां में 😇😇😇😁😁😁 #ishq #lates
Ravendra
Ravendra