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Sagar Naggrewal
तुम बिन शाम भी थी धुआँ धुआँ रूह भी थी बहुत उदास, रातें भी तडपती रही तेरे इन्तज़ार में,,, फिर सुबह जब देखा तुम्हे इक नज़र दिल को धडकन, और मुझको साँसें मिल गई,,,,❤🤞 ©Sagar Naggrewal # मेरी आरज़ू
# मेरी आरज़ू #Poetry
read moreAnuj Ray
White आरज़ू अब कुछ नहीं" तुमको पाने के बाद , आरज़ू अब कुछ नहीं, सब झूठ है जमाने में रब के, बाद सिर्फ़ तू सही। ©Anuj Ray # आरज़ू अब कुछ नहीं"
# आरज़ू अब कुछ नहीं" #शायरी
read more꧁ARSHU꧂ارشد
उनकी मख़मूर निगाहों का हम पे वो हुआ असर .. मर मिटने को राज़ी हो गए मुख़्तसर सी आरज़ू पर !! ©꧁ARSHU꧂ارشد उनकी मख़मूर निगाहों का हम पे वो हुआ असर .. मर मिटने को राज़ी हो गए मुख़्तसर सी आरज़ू पर !! Anshu writer Ñådåñ•√} Mahi Ritu Tyagi Beena Kuma
उनकी मख़मूर निगाहों का हम पे वो हुआ असर .. मर मिटने को राज़ी हो गए मुख़्तसर सी आरज़ू पर !! Anshu writer Ñådåñ•√} Mahi Ritu Tyagi Beena Kuma #Shayari
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वो शख़्स जो कम कम मयस्सर है हम को... आरज़ू है की किसी रोज़ वो सारा मिल जाए... 🥰 ©꧁ARSHU꧂ارشد वो शख़्स जो कम कम मयस्सर है हम को... आरज़ू है की किसी रोज़ वो सारा मिल जाए 🥰 Riti sonkar sana naaz Ritu Tyagi radha Mourya Neelam Modanwal
वो शख़्स जो कम कम मयस्सर है हम को... आरज़ू है की किसी रोज़ वो सारा मिल जाए 🥰 Riti sonkar sana naaz Ritu Tyagi radha Mourya Neelam Modanwal #Shayari
read moreRabindra Kumar Ram
" जाने किसकी ख़्वाहिशों का तलबगार हो रहा हूं , मुहब्बत हूं प्यार से इश्क़ हो रहा हूं , छुपाते की ज़ाहिर करें अपने आरज़ू, जाने किसकी अज़िय्यत में मैं जी रहा हूं ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " जाने किसकी ख़्वाहिशों का तलबगार हो रहा हूं , मुहब्बत हूं प्यार से इश्क़ हो रहा हूं , छुपाते की ज़ाहिर करें अपने आरज़ू, जाने किसकी अज़िय्यत
" जाने किसकी ख़्वाहिशों का तलबगार हो रहा हूं , मुहब्बत हूं प्यार से इश्क़ हो रहा हूं , छुपाते की ज़ाहिर करें अपने आरज़ू, जाने किसकी अज़िय्यत #शायरी
read moreNeel
आज थामी थी कलम, लिखने को अपनी आरज़ू, कुछ पन्ने खाली रह गए, कुछ भीगे और बिखर गए। 🍁🍁🍁 ©Neel आरज़ू 🍁
आरज़ू 🍁 #शायरी
read moreRabindra Kumar Ram
*** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं , खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये , तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं , बात जो भी फिर कहा तक जार बेजार , तेरे ज़िक्र की नुमाइश की पेशकश की जाये , लो ज़रा सी इबादत कर लूं भी मैं , इश्क़ की बात हैं मुहब्बत कर लूं मैं , तेरे ख्यालों की नुमाइश क्या ना करता मैं , ज़र्फ़ तेरी जुस्तजू तेरी आरज़ू तेरी , फिर इस हिज़्र में फिर किस की ख़्वाहिश करता मैं , उल्फते-ए-हयात एहसासों को अब जिना आ रहा मुझे , जो तेरे ख्यालों के तसव्वुर से रफ़ाक़त जो कर रहा हूं मै . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मु
Amresh dangee
"अक्सर मेरा दिल उदास होकर रो दिया क्यों मेरा जख्म नासूर हो गया" एक आरजू अधूरी सी ©Amresh dangee एक आरज़ू अधूरी सी
एक आरज़ू अधूरी सी #शायरी
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