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Sethi Ji
Black 💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞 💞वक़्त का गुज़रना , इंसान का बदलना💞 💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞 दिन गुज़र जाते हैं , महीने निकल जाते हैं वक़्त के साथ इंसान बदल जाते हैं ख्वाबों और जज़्बातों का क्या है जनाब एक दिन वोह भी जिस्म के साथ जल जाते हैं जितना प्यार करते हो अपने बेवफ़ा सनम से दोस्तों उतनी मोहब्बत में आज कल भगवान पिघल जाते हैं ♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️ 🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 ©Sethi Ji 💝💝 मोहब्बत की वजह 💝💝 💝💝 मोहब्बत की जगह 💝💝 किसी से वफ़ा करना भी एक कला होती हैं आँखों की अदा , दिल की रज़ा होती हैं ।। उतर जाए जो हमारी धड़क
Shaurya kumar
KUNWA SAY
White दिल का दर्द छुपाने की कला बस एक है, रूख जाते हैं आँसु, उस वक़्त बिताने की कला बस एक है। ©KUNWA SAY #nightthoughts दिल का दर्द छुपाने की कला बस एक है, रूख जाते हैं आँसु, वक़्त बिताने की कला बस एक है।
Manish Raaj
कला ------ बहते आंसुओं को दरकिनार कर सब्र के साथ आगे बढ़ जाने की कला हर किसी को नहीं आती वाक़िफ-ए-तकलीफ़ से गुज़र क़ाबिल-ए-तारीफ़ से आगे निकल जाने की कला हर किसी को नहीं आती बंजर ज़मीं से हो कर लहलहाते खेतों बीच घरौंदा बनाने से ऊपर उठ जाने की कला हर किसी को नहीं आती मकां और मुक़ाम के सफ़र से हो कर किसी के दिल में पनाह पाने और रूह का सुकूं हो जाने की कला हर किसी को नहीं आती बेइमानों की बस्ती से हो कर ईमानदारों की महफ़िल से आगे बढ़ जाने की कला हर किसी को नहीं आती गरीबी से गुज़र अमीरों से आगे निकल जाने की कला हर किसी को नहीं आती जज़्बात की गिरफ्त से निकल जज़्बे को मिसाल बनाने की कला हर किसी को नहीं आती कल के सपनों को पिछे छोड़ अपने आज के आधार को आकार और धार देने की कला हर किसी को नहीं आती कविः मनीष राज ©Manish Raaj #कला
Sethi Ji
💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗 💗 ज़िन्दगी के रंग , ज़िन्दगी के संग 💗 💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗 आज की दुनिया में लोग गिरगिट की तरह अपने रंग बदलते हैं सुना हैं मोहब्बत की तन्हाई में पत्थर से पत्थर दिल भी पिघलते हैं जो हासिल करना चाहते हैं ज़िन्दगी में अपना मक़ाम वोह हर सुबह अपने घर से मंज़िल की ओर निकलते हैं और जो रह जाते अकेले वोह अपनी शायरी में अपने दिल के जज़्बात उगलते हैं 💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 ©Sethi Ji 🩷🩷 शायर की कला 🩷🩷 🩷🩷 शायरी की अदा 🩷🩷 लोगों को हॅसना भी एक कला हैं रहता हूँ अपनी मस्ती में यह दिल मेरा अलबेला हैं ।। चाहता हूँ एक सच्चा औ
Santosh Jangam
Vikrant Rajliwal
Sarvesh Kumar Maurya
Sangeeta Kalbhor
काळीज तुटता तुटता.. काळीज तुटता तुटता तुटून जातो माणूस का अन् कशासाठी प्रश्नात अडकतो माणूस वहायचे असते आत्मफूल आत्मा नाही सापडत अंधार करुन भवताली अखंड असतो चाचपडत नशीब म्हणून जयाचे लागेबांधे जो जपतो कमनशिबी बनण्याचे खापर तोच पचवतो प्रेम करुनिया वैकुंठी रिक्त ज्याची ओंजळ भाव तयाचे असतात किती किती प्रांजळ हे राम तुम्ही म्हणता मर्यादाचे कर पालन अपनत्व इच्छा मनी अवगुणांचे व्हावे क्षालन कसे आणि कोठून उधार घ्यावयाचे धैर्य जयाच्या मनी सदैव असतच नाही स्थैर्य काळीज असणाऱ्यांचा काळोख दाटून उरतो प्रेम हवे म्हणूनिया प्रेमाचा रोमरोम थरथरतो त्या वेदनेला कुठून यावी ग्लानी शांततेची काळजाला कला अवगत काळीज जोडण्याची..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #hibiscussabdariffa काळीज तुटता तुटता तुटून जातो माणूस का अन् कशासाठी प्रश्नात अडकतो माणूस वहायचे असते आत्मफूल आत्मा नाही सापडत अंधार करुन