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poet ziya ansari
OMG INDIA WORLD
💖💖कश्ती के मुसाफिर ने समन्दर नहीं देखा,💖💖 💖💖आँखों को देखा पर दिल मे उतर कर नहीं देखा, 💖💖पत्थर समझते है मेरे चाहने वाले मुझे,💖💖 💖💖हम तो मोम है किसी ने छूकर नहीं देखा।💖💖 ©OMG INDIA WORLD #OMGINDIAWORLD 💖💖कश्ती के मुसाफिर ने समन्दर नहीं देखा,💖💖 💖💖आँखों को देखा पर दिल मे उतर कर नहीं देखा, 💖💖पत्थर समझते
#OMGINDIAWORLD 💖💖कश्ती के मुसाफिर ने समन्दर नहीं देखा,💖💖 💖💖आँखों को देखा पर दिल मे उतर कर नहीं देखा, 💖💖पत्थर समझते #शायरी
read morevikas thakur
अब से सादगी में जीने का प्रयास करना है, अब आशिकी दिलबरी❣️ लिखने से उबरने का यत्न करना है, आज बस आखिरी, गौरतलब हो हमने जब-जब गजल लिखा नियम और कायदे के अनुसार ही लिखा, नियम अभी के ग़ज़ल के उदाहरणार्थ ही:- गजल के चार प्रमुख अंग हैं:- (१) रदीफ़- गज़ल के प्रत्येक शे'र के अंतिम वाक्य के अंतिम शब्द समूह समान होने चाहिए। जैसे- नहीं देखा, नहीं देखा... (२) काफ़िया- वह शब्द है जो प्रत्येक शे'र में रदीफ़ के पहले आता है, शेर का आकर्षण काफ़िया पर ही टिका होता है। जैसे- समंदर,दिलबर,पत्थर,खंजर... (३) मत़ला-गजल का सबसे पहला शे'र जिनकी दोनों पंक्तियां समान रदीफ़ और क़ाफिया के लिए होती है। जैसे-उतर कर नहीं देखा, समंदर नहीं देखा... (४) मक्त़ा- आखिरी शे'र को कहते हैं जिनमें शायर अपने नाम का उपयोग करता है। जैसे- जो छोड़ दिया ""विकास"" फिर उसे मुड़कर नहीं देखा #krisu_mg Megha Garg✨ दिल में रहा, दिमाग में उतरकर नहीं देखा, कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा.. बे-वक्त अगर जाऊंँगा तो सब चौंक पड़
#krisu_mg Megha Garg✨ दिल में रहा, दिमाग में उतरकर नहीं देखा, कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा.. बे-वक्त अगर जाऊंँगा तो सब चौंक पड़
read morePoonam Aggarwal'मीता'
कश्ती तू बैठ मुसाफिर कश्ती में तेरा माझी तुझे पुकारे काहे भटके यहाँ वहां तेरी नैय्या प्रभु सहारे । #मुसाफिर#कश्ती#नैय्या#प्रभु #nojotohindi#nojotopost
Shashank Rastogi
कोई आवारा तो कोई बंजारा है कोई खुश तो कोई उदास है किसी की आंखों मैं खुशी के तो किसी की आंखों में गम के आंसू है कोई राही , कोई गुरु, तो कोई काफिर है सब यहां सिर्फ एक ही कश्ती के मुसाफिर है मुसाफिर #मूसाफिर #काफिर #जिंदगी #कश्ती #खुशी #गम #आंसू
Pankaj Singh Chawla
चला हूँ मुसाफिर बनकर मंजिल का पता नही, राह भटक पहुंच गया किनारे समंदर के, बीच भंवर में फंसा हुआ हूँ, रास नही कुछ आता है, न किनारा भाता है ना समंदर में बसेरा बन पाता है, डूबती कश्ती को मशक्त कर देख, मन बावरा समझ जाता है, जीवन है संघर्षो का खेल, फिर तू क्यों घबराता है।। #मुसाफिर #कश्ती #समंदर #संघर्ष #yqbaba #yqdidi #yqbhaji #pchawla16
Shreya Mishra
यूं अगर मंजिल की आधी - अधूरी तलाश लिए सफर तय किया है, तो बस रुक ही जाओ क्योंकि आधी मंजिल और अधूरी तलाश लिए मनुष्य केवल स्वयं को तृप्त कर सकता हैं अपने अंदर बैठे आत्मा को नहीं... _श्रेया मिश्रा #मंजिल के मुसाफिर
#मंजिल के मुसाफिर
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