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꧁ARSHU꧂ارشد
मोहब्बत जुर्म दिल मुजरिम और दर्द गवाही ... साबित न हुई बेगुनाही अता की गई रिहाई ... ©꧁ARSHU꧂ارشد मोहब्बत जुर्म दिल मुजरिम और दर्द गवाही .. साबित न हुई बेगुनाही अता की गई रिहाई ... NIKHAT (दर्द मेरे अपने है ) Sethi Ji Anshu writer sana n
Niraj Srivastava
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
अजीब अक्ल लगाते हैं लोग,आता जाता कुछ नही मगर सियासत चलाते हैं लोग//१ जो हँस रहे हैं*हक की *शिकस्त पर,वो मक्कारी से हकीकत छिपाते हैं लोग//२ जो चालबाजी से बन बैठे है*जरदार,वोही वतन को करके*फरोख्त बिकाते है लोग//३ गर हों नफरतों की जीत का जश्न,तों हराकर उल्फ्तों को*उत्पात मचाते हैं लोग//४ गजब है*जम्हूरियत में सियासते दस्तूर,के अपनी*अवाम को ही*मातहत में लाते है लोग//५ बनके बगुला भक्त बताकर खुदको दूध का धुला, बेदाग बेगुनाह किरदार को*तोहमत लगाते हैं लोग//६ "शमा"लिखती है अपने *सुखन को बेबाक अंदाज में, के उसके सुखन पे भी सियासत चलाते हैं लोग//७ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #saath अजीब अक्ल लगाते हैं लोग,आता जाता कुछ नही मगर सियासत चलाते हैं लोग//१ जो हँस रहे हैं*हक की *शिकस्त पर,वो मक्कारी से हकीकत छिपाते हैं
Nitu Singh जज़्बातदिलके
तुम ख़ता करके भी खामोश रहो मैं बेगुनाही की भी माँग लूँ माफ़ी कुछ अजीब नहीं लगती तुम्हें यह ज़िद तुम्हारी... तुम शर्तों के घेरे में कैद कर दो मुझे मैं बेशर्त मगर मुहब्बत करूँ तुमसे कुछ अज़ीब नहीं लगती तुम्हें यह जरूरत तुम्हारी... तुम नज़रअंदाज़ कर दो मेरी हर ख़्वाहिश मैं पूरी करती रहूँ मगर हर जिद भी तुम्हारी कुछ अज़ीब नहीं लगती तुम्हें यह नीयत तुम्हारी... तुम कोशिश भी न करो मुझे मनाने की मैं रूठ के भी मगर मनाती रहूँ तुम्हें ही कुछ अजीब नहीं लगती तुम्हें यह हठ तुम्हारी... तुम बढते रहो नये रास्तों पे मैं ठहरी रहूं मोड़ पर उसी कुछ अजीब नहीं लगती तुम्हें यह चाल तुम्हारी... तुम नित बदलो रंग चेहरा अपना मैं चाहती रहूँ तुम्हें एक जैसा ही कुछ अजीब नहीं लगती तुम्हें यह उम्मीद तुम्हारी... तुम न पढ़ो न समझो सवाल मेरे मैं तुम्हारी ख़ामोशी में ढूँढती रहूँ जवाब मेरे कुछ अज़ीब नहीं लगती तुम्हें यह आदत तुम्हारी... ©Nitu Singh जज़्बातदिलके तुम ख़ता करके भी खामोश रहो मैं बेगुनाही की भी माँग लूँ माफ़ी कुछ अजीब नहीं लगती तुम्हें यह ज़िद तुम्हारी... तुम शर्तों के घेरे में कैद कर
Poet Maddy
बेगुनाह होकर भी अक्सर, गुनहगार बन गए हैं हम.......... जब से उनकी मोहब्बत के, तलबगार बन गए हैं हम.......... कुछ लोगों को चुभते हैं हम, अब नुकीले कांटों की तरह....... कुछ ज़ख़्मों पर मरहम जैसे, असरदार हो गए हैं हम........... ©Poet Maddy बेगुनाह होकर भी अक्सर, गुनहगार बन गए हैं हम.......... #Innocent#Criminal#Love#Habitual#SharpThorns#Balm#Wound#Effective........
Dr. Asha Yashshree
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
फलक पर मजलूम की आहफुगा जरूर जाती है सितमगर_ए _सजा जरूर रंग लाती है//१ उलजुलूल जुनू का खामियाजा,बकाया है उसीपे ऐसी हुकूमतो में ही जुनू_ए _खता जरूर रंग लाती है//२ मेरी हुकूमत,मेरा कानून मैंही मुद्दई,मैंही मुंसिफ,हमे एतबार थाजब होती है रब_ए_वबा,जरूर रंग लाती है//३ करवा दिए कई बेगुनाहों के कत्ल,अब मस्ती में बवाल न कर,के मकतूल_ ए_सदा जरूर रंग लाती है//४ यकीं न होतो इक लम्हा मेहशर से डर,के अर्श से अदल की अज़ा जरूर रंग लाती है//५ जो खामोश है,वो तेरे सितम से चूर है,मगर खामोशी_ए_कारवां जरूर रंग लाती है//६ "शमा"पर सितम करने वाले सीतमगरो तुम्हारी यही दुग्गल_ए _अदा जरूर रंग लाती है//७ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Chalachal फलक पर मजलूम की आहफुगा जरूर जाती है, सितमगर_ए _सजा जरूर रंग लाती है//१ उलजुलूल जुनू का खामियाजा,बकाया है उसीपे,ऐसी हुकूमतो में ह