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Veena Choubey
वेद शास्त्रों में पढ़ लो मेरी अजर अमर गाथा। सुन्दर सृष्टि संसार की रचना यही नारी की परिभाषा । कोमल हृदय मन अविरल आँखों में अश्रु समाए हूँ । प्रेमवास हृदय में चंचल मुक्त कण्ठ आजमाये हूँ । मौन हुँ कमजोर नहीं मैं बस आँखों में सपने हैं और कुछ आशा। वेद शास्त्रों में पढ़ लो मेरी अजर अमर गाथा। नारी रूपअम्बिका दुर्गवासिनी वर्दायिनी शक्ति का कोई पार न पावें बन जाए चंडालनी प्रेम प्यार की मूरत है और ममता सी अभिलाषा । सुन्दर सृष्टि संसार की रचना नारी की परिभाषा माँ बेटी,बहन,पत्नी हर रूप में बसती नारी छवि निराली देख हृदय विशाल सा इसका देवों ने नारी की रचना कर डाली। तीन लोकों के नर नारायण ने चरणों में इनके टेका माथा। वेद शास्त्रों में पढ़ लो अजर अमर मेरी गाथा। नारी शक्ति पर कविता
Archana pandey
एक दफ़ा फ़िर से चलो सखियों भिगा दो ख़ुद के ही आगोश में हमको डुबा दो तन भी मन भी डूब जाए भाव सरिता तैरने दो प्रेम अरु श्रृंगार कविता...... अर्चना'अनुपमक्रान्ति' 😍 ©Archana pandey श्रृंगार कविता... स्वरचित..
mau jha
दिल में उसके एक तमन्ना बाकी है अभी कहानी का एक पन्ना बाकी है वो लक्ष्मी है तुम भगवान तो बनो वो सीता है, तुम राम तो बनो, हर जुल्म पर जो बोल उठे ऐसी आवाम तो बनो,किसी की चीख किसी की कराह लिखूँ एक मुस्कुराते हुए चेहरे की सिसकती हुई आह लिखूँ क्योंकि ये सब कुछ उसके अंदर है वो औरत नहीं, समंदर है. ©mau jha नारी कविता
mau jha
पाई-पाई जोड़कर वो तुम्हारे घर को बनाती है हाथ उठाते उसपर तुमको शर्म नहीं आती है,भूख उसे भी है पर खाना उसने खाया नहीं पता लगाओ देखो शायद पति दफ्तर से आया नहीं ,हर दिन की देरी उसके लिए समस्या भारी है इसी समर्पण सहित तपस्या उसकी जारी है भाग्य मनाओ फिर भी तुमको छोड़ वो नहीं जाती है हाथ उठाते जिसपर तुमको शर्म नहीं आती हऐ ©mau jha नारी कविता
Raone
मेरी कविता तेरा श्रृंगार इक दिन ऐसा होगा ऐ ज़िन्दग़ी तेरे मुखड़े पर झुर्रियाँ आ जायेंगी माथे पर सिकन, दरारें उभर आयेंगी तेरे बादल से स्याह लम्बे ज़ुल्फ भी सफ़ेद बर्फ की चादर सी हो जायेगी आँखों से धुंध दिखने लगेगा आवाज़ निकलने से पहले होंठ कांप जायेंगे बस बदलेंगी नहीं तो कुछ चीजें तुम, हम और ये हमारी कवितायेँ ये हमेशा अपने जवाँ प्यार की नज़्म बन गुनगुनायेंगे । इसलिए जहाँ भी रहना ख़ुद से नहीं मेरी कविताओं से इश्क़ करना क्यूँ कि तुम बेशक़ बूढ़े हो जाओगे पर मेरी कविता तुम्हें हमेशा जवाँ रखेगी ।। राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी मेरी कविता तेरा श्रृंगार
Alankrita Shah
मेरी तन्हाई को मैं कैसे परिभाषित करू प्रिये, कहने को तो ये एक महज उर्दू का लफ्ज है, पर मेरे लिए ये सांप के उस विष की तरह है, जिसका प्रभाव समय के साथ बढ़ता ही जाता है , और अंत मे मौत हो जाती है। तुम्हारी......... ©Alankrita Shah #ककविताएँ #कविता #श्रृंगार #कविशाला