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Himanshu Prajapati
देखने में लगता हूं शरीफ सा बालक, यकीन ना हो तो जाके देख लो, जैसे आलू गोभी पालक..! ©Himanshu Prajapati #Funny देखने में लगता हूं शरीफ सा बालक, यकीन ना हो तो जाके देख लो, जैसे आलू गोभी पालक..!
Shivkumar
Vishnu Bhagwan वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए । क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से नयना सोए ।। जगत पालक जगतपति, की महिमा जटिल महान । लक्ष्मी पति बैकुण्ठ पति का, कोई क्या गाए गुणगान ।। धर्म उन्ही से कर्म उन्ही से, सबके पालनहार । सदा करे भक्तो की रक्षा, ले जग मे अवतार ।। चतुर्भुजा नीला वरण, तन पीताम्बर सोहे । हृदय बसे माता लक्ष्मी, माया से सबको मोहे ।। नाभि कमल से ब्रहम हुए, करने जगत संचार । सदा जपे हरि हर को, हर जपे हरि हर बार ।। कमल नयन पद्म चरण, सुंदर छवि बलवान । सबके स्वामी नारायण को, कोटी कोटी प्रणाम ।। ©Shivkumar #vishnubhagwan #विष्णु #Nojoto #nojotohindi #दोहा #दोहे #मन्त्र वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए । क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से न
Krishna Rai
मनोज मानव
वंदना ....
Shipra Pandey ''Jagriti'
कभी माँ के आँचल ने धूप और ताप में संभाला तो कभी लड़खाड़ाते कदमों को पिता ने सहारा दिया जो ना देख पाये नन्हें कदम दुनिया चल के तो पिता के कंधों ने ख़ुद पर बैठा लिया माँ ने मेरे हर ख़्वाब को पलकों से लगा लिया कभी जादू की झप्पी तो गुस्से वाली थपकी को भी दुलार से पिला दिया सुख हो या कि हो दुःख की स्याह घनघोर घटा दोनों ने हर पल साथ रहकर हौसला दिया उसे बाँट लिया दुनिया जहां की बेतुकी बातों को मंद शीतल पवन सा बहा दिया नादाँ बचपन हो या हो अल्हड़ जवानी या फिर जर्जर होता बुढ़ापा ज़रूरत ना हो हमें हमारे पालक/ संरक्षक कीकभी ऐसा नहीं होता। हे अभिभावक...! हमारे अंतिम क्षण में हमारे अंतिम श्वास में भी आप ही हो दुनिया आपके अभाव में मेरी सदा है अधूरी आप हैं तो कभी कोई आस नहीं रहती अधूरी हे पालक...! आपको कोटिशः प्रणाम..! आपको कोटिशः प्रणाम..! ©Shipra Pandey ''Jagriti' #maaPapa कभी माँ के आँचल ने धूप और ताप में संभाला तो कभी लड़खाड़ाते कदमों को पिता ने सहारा दिया जो ना देख पाये नन्हें कदम दुनिया चल के तो
Homenese kitchen
Sarita Shreyasi
कोविड के शहीदों को श्रद्धांजलि वे कर्मभूमि के हैं शहीद, हम उनकी थाती संजोयेंगे, संकल्प यही, मिटे निशान नहीं, उनकी बगिया में मुस्कान फिर बोयेंगे। (पूरी कविता caption में) जन जीवन सब ठहर गया, गलियाँ भी सुनसान हुई, उस दिन भी सूनी सड़कों पर, वे निकले थे सूरज बन कर। लोग पास आने से कतराते थे, छू जाने से घबराते थे,
Hrishabh Trivedi
Welcome to Ajoobanagar (Part 2) डिस्क्लेमर:- कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक हैं, इन्हें अपने ऊपर ना लें, और प्लीज़ मुझे भी इनसे ना जोड़े...... धन्यवाद 😊 Part 1👉 #hr