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महांकाल का भक्त

#गंगा

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Sabir Khan

बच्चों के लिए जो धरती माँ,,
सदियों से सभी कुछ सहती है।
हम उस देश के वासी हैं,,,
हम उस देश के वासी हैं,,,,,,
जिस देश में गंगा बहती है।
 
#NoCaa,NoNrc
🇮🇳जय हिंद🇮🇳 #गंगा

Ram Yadav

नदी ने शहर को बनाया

शहर ने नदी को मिटाया



माँ गंगा
🥹

©Ram Yadav #गंगा

OnlyFacts

गंगा #जानकारी

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Sanjeev Jha

#गंगा

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देखा, गंगा को तकलीफ सह कर बहना
जैसे कोई कराह हो या हो प्रसव-वेदना
कचरे कई नालों से उतरते हुए देखा
शौचालयों के मुंह का न है कोई लेखा
मां बचपन में धोती थी अब कब तक धुलाना
देखा, गंगा को तकलीफ सह कर बहना

©संजीव #गंगा

ranjit winner

#गंगा

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सनुो मझुे तुम फिर याद आयी .,
शाम ढले इक चिट्ठी आयी .…
पता तुम्हे मालमू न था,.
फिर मझु तक कैसे पहुँचायी ,,,
सनुो मझुे तुम फिर याद आयी ..
खत में मेरा नाम लिखा है.,
साथ में ये पगैाम लिखा है…
तमु भी मझुे भलू न पायी ,.
याद तुम्हे भी मेरीआयी ., 
आगे तमु कुछ यूँ लिखती हो.,
तुम्हे पता  है कब­ कब आयी ???
जब­ जब तमुने चाँद को देखा .,
जब भी तमुने शमा जलायी ,..
जब­ जब तमु बारिश में भीगी,. 
और तब भी जब भीग न पायी .,,
याद तुम्हे भी मेरी आयी ,.
जब­ जब तमु को माँ ने डाँटा,. 
और तब भी जब आखँ भर आयी .,
जब­ जब तमु उलझन में थी., 
और जब भी तमुको नींद न आयी .,
सबुह भी आयी,. शाम भी आयी,.
जब­ जब तमु ने चाय बनायी,.
याद तुम्हे भी मेरी  आयी ,
सारे जग से बात छुपायी,,
पर खदु को फुसला न पायी
तमु भी मझे भलू न पायी,,..
पता तुम्हे उस खत से मिला,�
जो गंगा में तुम बहा न पायी
और फिर ये चिट्ठी भिजवाई 
                                                          ..जीत #गंगा

प्रवीण कुमार

गंगा #कविता

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ना भूलूंगा भागीरथी मैं यह उपकार तेरा ।                                     मुझअधम पापी को तुमने दिया निकट बसेरा ।।  

                            क्या महिमा मैं गाऊँ तुम्हारी  गा ना पाया कोई।                          निजी निर्मल पावन जल से तुम सब के पाप धोई।।     

                क्यों न हो यह महिमा तेरी प्रकटी विष्णुपद से।                           जिन चरणों का आश्रय लेकर तरते लोग भव हैं से।।    

           कृतकृत्य हुआ उपकार से तेरे मां भगवती हे गंगे।                          निज चरणों से दूर न करना रखना अपने संगें।।   




                     विनती तुझसे एक और है कृपा तू इतनी कर दे।                          जिन चरणों से प्रकटी मां तुम उन चरणों में धार दें ।।   

               "अमित "वंदन करता हूं मां चरणों में मैं तेरे।                                     हर ले मैयां  जितने भी हैं दुरितों को तू मेरे।।

                         
                                                        विद्यार्थी अमितोपाध्यायः गंगा

Anil Mishra Prahari

कितना पावन शान्त  है, गंगा  जी  का  तीर
जहाँ प्राण पुलकित करे, शीतल,मंद समीर।

©Anil Mishra Prahari #गंगा

Suresh Kumar

Anuradha Priyadarshini

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