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Shravan Goud
स्वार्थ शब्द का एक और अर्थ है, स्व+अर्थ यानी स्वयं का अर्थ लगाना। --अज्ञात स्वार्थ शब्द का एक और अर्थ है, स्व+अर्थ यानी स्वयं का अर्थ लगाना। --अज्ञात
कलीम शाहजहांपुरी (साहिल)
उसकी रंगत है जैसे कोई खिलता गुलाब, उसकी बातों से टपके इल्हाम की बारिश.! ©कलीम शाहजहांपुरी (साहिल) शायरी ( इल्हाम का अर्थ होता है अल्लाह,ईश्वर का शब्द)
Kavita jayesh Panot
शब्द वही होते है वर्ण माला के, लेकिन वक्त के बदलाव के साथ , तार बदल जाते है। कभी सुख ,एहसास खुशी का दिला जाता है तो कभी वही सु और ख से सूखापन बन जाता है। जो एक नकारात्मकता का बोध है। कविता जयेश पनोत ©Kavita jayesh Panot #शब्द#भेद#वक्त#अर्थ
Hasanand Chhatwani
*सीमित शब्द हो और* *असीमित अर्थ हो...* *लेकिन इतना ही हो कि* *शब्द से न कष्ट हो...* #सिमित शब्द #असीमित अर्थ #
Chetan Jaat
शब्द आत्मा है और उनके अर्थ उस आत्मा की अभिव्यक्ति, इसलिए शब्द और अर्थ दोनों का बोध अनिवार्य है । ©Chetan Jaat #notjo #शब्द #अर्थ #अभिव्यक्ति
Abhishek shukla
मैं शब्द हूँ तू मेरा अर्थ बन जा।।। #nojoto #love #nojotohindi #शब्द '#अर्थ
pearls of shayari
प्रेम केवल शब्द था, शब्दों में था उसका प्रचार। तेरे मिलने से ही अर्थ मिला, तू ही है अब प्रेम का सार।। ❤ #प्रेम #शब्द #प्रचार #अर्थ #सार
Ek villain
भर्तियों को लेकर उत्तर प्रदेश के अभ्यार्थियों की आक्रोशित होते हैं तो इसे गंभीरता से लेकर इसके कारण पर ध्यान देना जाना चाहिए यह सुनकर यह अजीब लगता है कि माध्यमिक सेवा चयन बोर्ड 11 साल बाद भी अशासकीय सहायता प्राप्त की डीडी मध्यम विद्यालयों के लिए प्रधानाचार्य की भर्ती को पूरा नहीं कर सका यह भर्ती 2011 में बसपा सरकार में शुरू हुई थी और इसके बाद दो सरकारों का कार्यकाल और पूरा हो गया इसमें कई अध्यापक तो प्रधानाचार्य बनने का सपना देखते देखते रिटायर भी हो गए और अब तक सिर्फ 6 मंडलों में ही प्रधानाचार्य का चयन किया जा सका यही हाल 2013 के प्रधानाचार्य भर्ती का भी है इसमें अब चयन प्रक्रिया शुरू हुई है भर्तियों में विलंब के कारण हो सकता है कि लेकिन सबसे बड़ी जिम्मेदारी उस संस्था की होनी चाहिए जिन जिस पर प्रक्रिया की पूरी जिम्मेदारी है ऐसी संस्थाओं को जवाबदेही बनाना चाहिए चाहे ताकि अभ्यर्थियों में स्वाद भावना पैदा हो संस्थाओं में आंसू अभी आरती ही हाईकोर्ट का आरा लेने का विवश होते हैं माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ना सिर्फ आ सकते सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के लिए प्रधानाचार्य का चयन करता है बल्कि शिक्षकों का चयन करना भी उसकी जिम्मेदारी का काम भी बहुत ही दिमाग से हो रहा है इस बात पर विचार किया जाना चाहिए कि ऐसा क्यों ऐसे विद्यालयों में भेजा जाए जहां पद रिक्त स्थान नहीं थे 2016 की भर्ती में बड़ी संख्या में शिक्षक से लेकर शिक्षा अधिकारी तक भटकने के लिए मजबूर हैं ©Ek villain # भर्तियों में विलंब #fog