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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Village Life ग़ज़ल :- रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है । अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१ नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर । चलूँ अब चाल मैं उनकी की चाहत का महीना है ।।२ चुनावी हो रहे दंगल गली घर में लगे पर्चे । करो मतदान तुम बस अब सियासत का महीना है ।।३ लड़ेगी आँख तेरी भी किसी दिन तो हसीनों से । जिगर तू थाम लेना बस मुहब्बत का महीना है ।।४ अभी आयी जवानी है सँभलकर तुम जरा चलना । कदम बलखा न जाये अब नज़ाकत का महीना है ।।५ खिले जो फूल गुलशन में उन्हें कच्ची कली मानों भँवर को भी बता दो अब हिफ़ाज़त का महीना है ।।६ प्रखर से सीख लो कुछ इल्म झूठी इन रिवायतों के । बता देगा तुम्हें वो भी तिज़ारत का महीना है ।।७ २८/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है । अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१ नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर । चलूँ अब चाल मैं
amnewsnational
am news national ©amnewsnational प्रणाम इंडिया फाउंडेशन ने गवर्नमेंट पॉलीटेक्निकल कॉलेज में युवा मतदाताओं को ज़रूर वोट देने के लिए प्रेरित किया। जगदीप सिंह राणा ए ऐम नियु
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- पिता की बात जब भी तू समझना सीख जायेगा । कठिन से भी कठिन राहे तू चलना सीख जायेगा ।। बनाओ नेक को साथी बुराई त्यागकर सारी । नहीं भाई तुम्हारा भी बिगड़ना सीख जायेगा ।। अदाओ का हमें अपनी दिखाओ आज तुम जादू । सुना है इक इशारे पे वो हँसना सीख जायेगा ।। सँवर कर और अब ऐसे नहीं निकला करो बाहर । दीवाना देखकर तुमको मचलना सीख जायेगा ।। मिलेगी जब उसे ठोकर यहाँ हालात से जिसदिन । यकीं मानो उसी दिन से वो चलना सीख जायेगा ।। अभी नादान है देखो नहीं घर की फिकर कोई । पडेगा बोझ जब घर का सँभलना सीख जायेगा ।। चुनावी दौर है आया प्रखर मुमकिन नहीं कुछ भी । कहानी आज वो झूठी भी गढ़ना सीख जायेगा ।। २२/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- पिता की बात जब भी तू समझना सीख जायेगा । कठिन से भी कठिन राहे तू चलना सीख जायेगा ।।
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी देखो विनोद अठारह घण्टो की मेहनत का प्रतिफल अरबो का चन्दा आ रहा है राष्ट्र निर्माण की जगह ,पार्टीऔर दलों का कोष भरा जा रहा है आटे दाल दूध टेक्स के दायरे में महँगाई के तड़के से जनमानस मरा जा रहा है पेंशन रोजगार नॉकरी के लिये नही बजट सबसिडी से जनता को बे दखल किया जा रहा है चुनावी चन्दा मुखर हो चला है अब अपराधों से उसे बहार किया जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #binod चुनावी चन्दा मुखर हो चला है अब #nojotohindi
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है । बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१ गिरा जो आँख से पानी नहीं है । बयां करना भी आसानी नहीं है ।।२ लगाओ खूब नारे हिंद के अब । यहाँ कोई भी यूनानी नहीं है ।। ३ जरा सा हौसला करके तो देखो । कोई भी दरिया तूफ़ानी नहीं है ।।४ तुम्हीं से पूछने आये चले हम । हमीं पे क्यूँ मेहरबानी नहीं है ।।५ चुनावी खेल चालू हो गये तो । दिखा कोई भी अभिमानी नहीं है ।।६ लगे आरोप झूठे सैनिकों पे । हमारा देश बलदानी नहीं है ।।७ अदब से सर झुकाते हैं उन्हें बस । प्रखर की वह महारानी नहीं है ।।८ १२/०३ २०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है । बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१ गिरा जो आँख से पानी नहीं है । बयां करना भी आसानी नहीं है ।।२
N S Yadav GoldMine
😃 चुटकुले 😃 :- पापा बेटे से- तुम्हें लड़की वाले देखने आ रहे हैं, सैलरी ज्यादा बताना। लड़की के पिता लड़के से: बेटा कितना कमा लेते हो? लड़का- जी वैसे तो मेरी सैलरी 1.5 करोड़ है, लेकिन कट कटा के सिर्फ 8000 मिलते हैं !! ©N S Yadav GoldMine #GingerTea 😃 चुटकुले 😃 :- पापा बेटे से- तुम्हें लड़की वाले देखने आ रहे हैं, सैलरी ज्यादा बताना। लड़की के पिता लड़के से: बेटा कितना कमा ले
Pawan
जय श्रीकृष्ण ©Pawan चुनावी सभा पर मधुमखियो का हमला