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♥️heaRtbeAt♥️
आईने बेचती थी, तो आता ना था कोई, रखने लगी मुखौटे जबसे, फुर्सत ही नही रही। #heaRtbeAt
आईने बेचती थी, तो आता ना था कोई, रखने लगी मुखौटे जबसे, फुर्सत ही नही रही। #Heartbeat
read morejoshi joshi diljala
मां फूल बेचती है मेरी हमारी भूख के लिए कादिर| मैं जमीन पर बैठकर दिलजले मुकद्दर लिखती ,हूं| ©Aanshi Digital photo Film studio #मां फूल बेचती है मेरी हमारी भूख के लिए कादिर| मैं जमीन पर बैठकर दिलजले मुकद्दर लिखती ,हूं|
#मां फूल बेचती है मेरी हमारी भूख के लिए कादिर| मैं जमीन पर बैठकर दिलजले मुकद्दर लिखती ,हूं|
read moresîdňôôr.
आईने बेचती थी तो कोई ना आता था रखने लगी मुखौटे तो फुर्सत ना रही 😏😏😏😏😏😏😏 आईने बेचती थी तो कोई ना आता था रखने लगी मुखौटे तो फुर्सत ना रही
आईने बेचती थी तो कोई ना आता था रखने लगी मुखौटे तो फुर्सत ना रही
read moreVaishnav Singh Kshatriye
दिव्यश्वेत
चाहिए थे मुझे कुछ काले मोती गुजर रही थी जहा से मैंने देखा ,छोटी सी लड़की फुटपाथ पर बेच रही थी रंग-बिरंगे मोती मैं बोली बिटिया दे दो मुझे कुछ काले मोती गुस्से से बोली वह, जाओ नहीं बेचती मैं काले मोती मैंने उसके सिर पर हाथ रखकर पूछा क्यों नहीं बेचती हो तुम काले मोती बोली एक दिन मेरे पापा रात में पीकर आए थे वैसे तो रोज पीते थे , पर उस दिन कुछ ज्यादा पी कर आए थे माँ ने तो बस इतना ही बोला था इतना क्यों पीते हो बच्चों पर बुरा असर पड़ेगा खींच लिया था उन्होंने मांँ का मंगलसूत्र बिखर गए थे सारे काले मोती मेरी सहमी आंखों ने देखा यह भयानक नजारा। दूजे दिन मेरे पिता ने दूजा ब्याह रचा डाला। दूसरी औरत के गले में थे अब काले मोती। छोड़ आई मैं अपना घर अपना गांव अब बेचती हूंँ, रंग-बिरंगे मोती पर नहीं बेचूंगी कभी काले मोती मैंने गुड़िया से खरीद लिये सारे मोती उसके लबों पर हल्की सी मुस्कान आई थी पर उस रात मुझे नींद नहीं आई थी। चाहिए थे मुझे कुछ काले मोती गुजर रही थी जहा से मैंने देखा ,छोटी सी लड़की फुटपाथ पर बेच रही थी रंग-बिरंगे मोती मैं बोली बिटिया दे दो मुझे
चाहिए थे मुझे कुछ काले मोती गुजर रही थी जहा से मैंने देखा ,छोटी सी लड़की फुटपाथ पर बेच रही थी रंग-बिरंगे मोती मैं बोली बिटिया दे दो मुझे #nojotohindi #kalemoti
read moreAK__Alfaaz..
वो फूलों सी लड़की, फूल बेचती, मंदिर की सीढियों पर, हर बार चढ़ती-उतरती, कहती खनकती आवाजों मे अपनी, ऐ माई...ऐ बाबू, ले लो जरा ताजे-ताजे फूल यहाँ, बड़ी दूर से आयीं हूँ, संग महकते फूल लायीं हूँ, चरणों में चढ़ाकर ईश्वर के अपने..पूरी कर लो, हर प्रार्थना..हर मिन्नतें अपनी, मेरे फूलों से तो भगवान भी, खुश हो जाते हैं, तुम क्यों रूठते हो..? चार पैसे दाम क्यों नही चुकाते हो..? रोती भी है..गिड़गिड़ाती भी है, बिक जाने पे सारे फूल, वो फूलों के जैसे ही मुस्कुराती भी है, सोचता हूँ, भाग्य ने उसको कैसा व्यापारी बनाया, एक हाथ में भूख...तो दूँजे मे पूँजी स्वरूप बचपन थमाया, सोचता हूँ मै वो क्या बेचती है..? फूलों में अपना..फूलों सा बचपन बेचती है, या......, फूलों की आड़ में रोटी खरीदती है, समझ नही आता, जिन फूलों से मंदिरों में भगवान खुश हो जाते हैं, उनके...ये फूल, समाज में क्यों भूख और नियति से, लड़ते नजर आते हैं...।। -AK__Alfaaz.. #फूल_बेचती_वो_लड़की... वो फूलों सी लड़की, फूल बेचती, मंदिर की सीढियों पर, हर बार चढ़ती-उतरती, कहती खनकती आवाजों मे अपनी, ऐ माई...ऐ बाबू,
#फूल_बेचती_वो_लड़की... वो फूलों सी लड़की, फूल बेचती, मंदिर की सीढियों पर, हर बार चढ़ती-उतरती, कहती खनकती आवाजों मे अपनी, ऐ माई...ऐ बाबू, #yqbaba #yqdidi #bestyqhindiquotes
read moreBambhu Kumar (बम्भू)
10. मैं निमंत्रण दे रहा हूँ- आएँ मेरे गाँव में तट पे नदियों के घनी अमराइयों की छाँव में गाँव जिसमें आज पांचाली उघाड़ी जा रही या अहिंसा की जहाँ पर नथ उतारी जा रही हैं तरसते कितने ही मंगल लंगोटी के लिए बेचती है जिस्म कितनी कृष्ना रोटी के लिए -अदम गोंडवी "मैं #चमारों की #गली तक ले #चलूँगा आपको" मैं #निमंत्रण दे रहा हूँ- आएँ #मेरे #गाँव में तट पे #नदियों के घनी #अमराइयों की छाँव में गाँव जि
Bambhu Kumar (बम्भू)
धर्म संस्कृति और नैतिकता के ठेकेदार को प्रांत के मंत्रीगणों को केंद्र की सरकार को मैं निमंत्रण दे रहा हूँ- आएँ मेरे गाँव में तट पे नदियों के घनी अमराइयों की छाँव में गाँव जिसमें आज पांचाली उघाड़ी जा रही या अहिंसा की जहाँ पर नथ उतारी जा रही हैं तरसते कितने ही मंगल लंगोटी के लिए बेचती है जिस्म कितनी कृष्ना रोटी के लिए! धर्म संस्कृति और नैतिकता के ठेकेदार को प्रांत के मंत्रीगणों को केंद्र की सरकार को मैं निमंत्रण दे रहा हूँ- आएँ मेरे गाँव में तट पे नदियों क
धर्म संस्कृति और नैतिकता के ठेकेदार को प्रांत के मंत्रीगणों को केंद्र की सरकार को मैं निमंत्रण दे रहा हूँ- आएँ मेरे गाँव में तट पे नदियों क #poem
read moreNitin Kr Harit
भले ही उसे कांटें मिले हों पर वो फूल बेचती है, ताकि भर सके हर रोज उस राह पर रखे दियों में तेल, जिस राह से उसे आज भी उम्मीद है बच्चों के घर लौट आने की..! पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़ें वैसे दो बच्चे हैं उसके, पर दोनों परदेस में हैं. शायद भूल गए हैं मां को, पर मां कहां भूलती है? भले ही उसे कांटें मिले हों पर वो फूल बेचती है
वैसे दो बच्चे हैं उसके, पर दोनों परदेस में हैं. शायद भूल गए हैं मां को, पर मां कहां भूलती है? भले ही उसे कांटें मिले हों पर वो फूल बेचती है #Mother #lifelessons #yqdidi #yqquotes #NitinKrHarit #yqlifelessons
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