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New परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम सम्भवामि युगे युगे Quotes, Status, Photo, Video

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Stories related to परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम सम्भवामि युगे युगे

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चन्देल साहिब

"परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्" "धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे"

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Gaurav Kumar Sagar

#krishna_flute यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मस #Poetry #writing #nojotoofficial #kavita #विचार #vichaar #fellings

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Anuj

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भ #कृष्ण #जन्मोत्सव

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यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे
जब-जब धर्म का क्षय व अधर्म में वृद्धि होती है, तब-तब मैं धर्म की स्थापना हेतु अवतरित होता हूँ यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भ

Rakesh Patidar

संघे शक्ति युगे युगे,,,,

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RSS (हां में संघी हूं)

संघे शक्ति युगे युगे🚩🚩🚩 #समाज

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Vicky Kumar

#शायरी

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raj Ahir hajipuri

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जिंदगी मिली है खुल कर जिओ डर डर कर जिएंगे कायर कहलाएंगे
जो बातों को खुलेआम बोले और खुलकर बोले वही शायर कहलायेंगे
लेखक राज अहीर हाजीपुरी

©raj Ahir hajipuri च

Premlal Mujalde

#कविता

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Guddu Chaubey

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देख भैया जब बुलेट का पड़े साया तो समझ लेना की तेरा बाप ब्राह्मण आया

jio शेरा royal पंडित च

Divyanshu Pathak

😊🙏😊 सुबह सुबह कुछ अपने लिए भी बनता है। सत्ता उल्लू सीधा करती भाड़ में जाती जनता है। 😀😝 सुप्रभातम #पाठकपुराण Divyanshu Pathak : ‘परित्राणाय स

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मैं ग़लतियों का पुतला।
भुगतान करता हूँ,
ग़लतियों के मुताबिक़।
समझौता नही कर पाता,
ख़ुद से न सामने वाले से।
जो है उसे स्वीकार करता हूँ,
जो नही है उसे ढूंढता हूँ।
मैं बस मैं हूँ।
अच्छा भी बुरा भी।
आप मुझसे सहमत हों न हों,
ये आपकी अपनी मर्ज़ी है।
मैं अपनी बात कहता हूँ,
आपकी बात समझने की,
कोशिश करता हूँ। 😊🙏😊
सुबह सुबह कुछ अपने लिए भी बनता है।
सत्ता उल्लू सीधा करती भाड़ में जाती जनता है।
😀😝
सुप्रभातम #पाठकपुराण Divyanshu Pathak 
:
‘परित्राणाय स
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