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पूर्वार्थ
मानता हूं उसके तपस इतनी है ओरे की उसके जायज है उसके चाहने वालो की तादात का होना ©purvarth #औरा
HARSH369
मै और मेरी परछाई अक्सर ये बाते करते है हम लोग दो नही,हम एक है एक जान एक पहचान दो दिखने वाले पर एक इन्सान.. क्या मुझमे बुरा क्या तुझमे अच्छा तू ही तो है मुझसे बात करने वाला मेरी तेरी तन्हाई, मै और मेरी परछाई..!! ©Shreehari Adhikari369 #मै औरा मेरी परछाई
HARSH369
दर्द...जितना मनुस्य को होता है, उतना हि जीवो को भी होता है वो लोग भी कराहते है,चिल्लाते है, उन्हे भी प्यारा चाहिये आपसे दुत्तकार नही फिर क्यू हम इन्हे प्यार से नही देखते, बकरे,मुर्गि मुर्गे,खरगोश, अन्य जीव कि बली देते है, जीवो से प्यार करो,इनकी भावनाओ कि कद्र करो ये भी अपना कर्तव्य निभाते है,तो क्यू ना हम भी निभाये आओ प्यार करे..इन जीवो से ©Shreehari Adhikari369 #दर्द...जीवो का #सीखना औरा सीखाना
Arunima Thakur
बहुत मुश्किल है इस तूफान में औराक़-ए-परेशाँ को संभालना बेहतर हैं उड़ जाने दो इन्हें, नयें पन्नों पर नयी इबारत लिखेंगे #collabwithकोराकाग़ज़ #yqbaba #yqdidi #wordsoftheday #औराक़-ए-परेशाँ # उर्दू
xyz
//औराक़-ए-परेशाँ// ज़िन्दगी के सभी लम्हें औराक़-ए-परेशाँ से जान पड़ते हैं, जिन्हें समेटकर ज़िन्दगी की किताब में हमें ही संजोना है। जीना है हर लम्हें को खुलकर; क़िस्मत का क्या भरोसा, क्योंकि रब ने तो समझा इंसान को सिर्फ़ एक खिलौना है। Pic Credit- Google औराक़-ए-परेशाँ:- बिखरे हुए पन्ने //औराक़-ए-परेशाँ// ज़िन्दगी के सभी लम्हें औराक़-ए-परेशाँ से जान पड़ते हैं, जिन्हें समेटकर ज़
Arunima Thakur
समेटने ने आए थे वह औराक़ -ए -परेशाँ, मेरे मन के बचे खुचे पन्ने कुछ फाड़कर कुछ जलाकर चल दिये #collabwithकोराकाग़ज़ #औराक़-ए-परेशाँ #yqbaba #yqdidi #wordsoftheday #urdu
Sandeep Kumar vishwas
AhMeD RaZa QurEsHi
............................. औराक-ए-परेशां/बिखरे हुए पृष्ठ चश्मे नाज़/नखरे वाली आंखे #AhMeD_RaZa_QurEsHi @MiyA unknown indira Er. Ambesh Kumar ishi HOLOCAUST Gori
दिल-ऐ-मुसाफ़िर!
पुरनम आँखे अब किस अहबाब को देखे, दफ़्तर-ऐ-गुल के उजड़ जाने पर किस ख्वाब को देखें! मचलती रही एक महफ़िल एक शमा के सहारे, नुजूम के टूट जाने पर किस आफ़ताब को देखे! नौहा करती होगीं कफ़न की हर सूत मेरी, मय्य्यत पर पड़े हैं अब किस इत्तेफाक को देखे! होगा कंही “मुसाफ़िर” जो कल तक रोकता था, औराक-ऐ-परेशाँ फट गए अब क्या कातिब को देखें!! पुरनम- filled with tears अहबाब-dear ones दफ़्तर-ऐ-गुल- bed of flower नुजूम-Stars नौहा-mourning औराक-ऐ-परेशाँ-scattered pages कातिब-writer