Nojoto: Largest Storytelling Platform

New स्थानीय सरकार संचालन ऐन २०७४ Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about स्थानीय सरकार संचालन ऐन २०७४ from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, स्थानीय सरकार संचालन ऐन २०७४.

Stories related to स्थानीय सरकार संचालन ऐन २०७४

    LatestPopularVideo

savita singh Meera

Sunil Pande Writer Content Creator

मंच संचालन मतलब युद्ध संचालन #poem poetry #समाज

read more

BANDHETIYA OFFICIAL

स्थानीय स्वशासन! #leaf #विचार

read more
राजनीति में मत पड़ो.....
     राजनीति करते हो.....
    ताना/दिव्य ज्ञान
स्थानीय स्वशासन के नाम पर होने वाले
मुखिया,वार्ड आदि चुनाव
में कुछ ज्यादा ही उछाल मारता है।
फलतः आपसी वैमनस्य बढ़ने की प्रबल संभावना बन जाती है।

©BANDHETIYA OFFICIAL स्थानीय स्वशासन!

#leaf

Zindgi Ka Safar # priya

#NaaHaarenge #स्थानीय उत्पादन #Diwali

read more

Gautam Bisht

उत्तराखंड की स्थानीय कहानी #समाज

read more
एकदा।
"सांगुडे की गेंद"
भगवान भुवन भाष्कर अपनी तय निश्चित 12 राशियों का चक्कर लगा कर धनु राशि की यात्रा की थकान के बाद ज्यो ही मकर की संधि स्थल पर पहुँचे। तो पूरा ब्रह्मांड एक नई ऊर्जा में संगठित होने लगा। अजनाभखण्ड के नाम से प्रसिद्ध भूमध्य रेखीय भारतवर्ष में जैसे उत्सव और खुशियों की बाढ़ सी आ गई।  14 जनवरी को उस साल भी जब ये खगोलीय घटना पौराणिक सुखद संयोगों से मेल बना रही थी। गाँव के बच्चों के मन मे सांगुडे की गेंद की नई नई कथायें पनप रही थी। क्या पता है, इस बार सांगुड़ा मे किसकी धाक जमेंगी, लंगूर पट्टी  और मनियारस्यू  पट्टी के इस हार जीत में सारी न्यारघाटी का माहौल गर्म सा प्रतीत होने लगता। क्या बूढ़े क्या बच्चे क्या जवान, सब अपने अपने महकमे चर्चा का यही बिषय रखते। जानें क्यो, सीमा पर डटे फौजियों भुजाएं भी फड़कने लगती, लहू नसों में गर्म सीसा बन बहने लगता पहली बार की हार जीत याद करके मन के मंसूबे पुर जोर गाँव की तरफ खिंचने लगते। कि काश इस बार साल की पहली कि छुटियाँ मिल पाती तो अपनी मनियारस्यू में गाजे बाजे के साथ जरूर गेंद जीत कर लाता, फिर हाट, घाट, बाट, चौराहे पर उनकी ही तूती बोलती।  नन्ही नन्ही बच्चियां अपनी सहेलियों के साथ मेले में खीलोंनो की खरीदारी की चर्चा करने लगी थी। बूढ़े अपने दिन याद करके तास की महफ़िल में हार जीत का गणित बैठाने लगे थे। बच्चों में अलग ही जिरह चालू थी। पहली बार मेरे पापा ओर चाचा ने अकेले गिन्दी जीत ली थी। रजोगुण के प्रबल मनुष्य जलेबी की दुकान लगाने के लिये अपना हाथख़र्च आजमाने लगे थे। यूँ समझो चरखी से लेकर अनगिनित खिलौने की ठेलिया, पेठा, मूंगफली, पकोड़ी,जलेबी , मावा, समोसे, ओर एक पतली सी तार पर फिसलता प्लास्टिक का बंदर, हवा के उड़ते गुबारे, कहते है। इनमें भगवान अपनी पवित्र हवा भरते है। जरा हाथ से छोड़कर देखो बच्चू सीधे भगवान के घर चले जाते है। बालुसाई, बूढ़े की अंगुलिया, बुढ़िया के बाल , जाने क्या क्या मै तो कई बार जा चुका हुँ। पाँच साल का बूढ़ा स्याना, बच्चो के बीच शेखी बघार रहा था,
दूसरा जब मैं बड़ा हो जाऊँगा, एक हाथ से ही गिदी को इतनी दूर फेंक दूँगा की किसी को दिखाई नही दे। दूसरा तो क्या बाकी लोग देखते रहेंगे। अरे छोड़ यार,,, वहाँ तो बड़े बड़े पहलवान भी आते है। सब जोर लगाते है। जीतना बहुत मुश्किल है। अरे सुन भई मै अभी छोटा दिख रहा हूँ। जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तब मेरे हाथ पांव बड़े नही होंगे।  तू तो समझता ही नही। तू भी चलना मेरे साथ मैं तेरे पास भी फेंकूँगा। तू फिर मेरे पास ,  मैं भाग कर सड़क तक पहुँचा दूँगा। बस जीत गए। और बच्चों ने तो उठते ही डिगी के पीछे ही सांगुडे कि गेंद जीत ली थी। 
इस पावन दिन  सूर्य के मकर राशि के प्रवेश से ही देवताओं का दिन उत्तरायण शुरू हो जाता है। और जहाँ ये योगमाया का मनुष्यों का बाजार सजने वाला है। वो पौड़ी जनपद के आदि माँ भुवनेश्वरी माता का एक पौराणिक मंदिर स्थल है। जहाँ की खेती के कोतवाल भैरवगढ़ी के महाकाल के भैरव कहलाते है । कहते है। वे ही पहले के किसानों के खेती के नियम और समय का निर्धारण करते थे। एक बार एक किसान ने दोपहरी को भी बैल अपनी जोत से नही खोले, तो पहले भैरव बाबा ने नाम लेकर आवाज लगाई तो किसान ने अनसुना कर दिया , तब बाबा ने एक गेंद जैसे पत्थर को फेंका। जो हल के आगे फल में अटक गया, फिर बैल पूरे जोर लगा कर टस से मस नही हुये। किसान ने बहुत जोर लगाया पर उसे हिला न सका, उंसके बाद ग्रामीणों लोगो ने भी सबने जोर आजमाया पर वे उसे निकाल न सके थे। ये पावन भूमि सतपुली देवप्रयाग रोड पर, सतपुली से लगभग सात आठ किलोमीटर की दूरी पर  बांघाट से आगे देषण बिलखेत गाव की संधि स्थल पर है। अब यहॉं माँ भवनेश्वरी का पावन धाम अपने बृहद रूप में स्थित है। यहाँ नव ग्रह मंदिर ,पुराने पीपल के तले आकर्षण का केंद्र है। अंदर शिला लेख के जरिये सारी जुड़ी कहानियां उदृत करवाई गई है। कभी हार जीत के लिये जी जान लगा देने वाले गढ़वाली भड़  ( बीरों ) का ये शक्ति प्रदर्शन का मेला था। उस समय जवानों के रग पटो में बीरता बहती थी। अब सब मोबाइल की भेंट चढ़ गया। 200 मीटर दौड़ने के बाद बच्चे हांफने लगते है। आज भी स्मरण है। गाँव से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर नदी में जब किसी धमाके की आवाज होती तो , घर से दौड़कर मच्छी मारने वालो से पहले गाँव के बच्चे  नदी की तलहटी से मच्छी निकाल लाते थे। उंसके शारीरिक संरचना और बल का इसी से अनुमान लगाया जा सकता, फिर क्या कहाँ कैसे हवा, आकाश, जल के पावन देवता इन धरती पुत्रों का अनहित कर सकता था। आजकल मोबाइल गेम खेलते जरा बाहर आंगन में निकल गया तो कहते हवा लग गई। किधर से किधर तक कि दौड़ में हमारे नोनिहाल अब दौड़ रहे है। चलने के लिये बाइक, खाने के लिये पिज्जा, क्वे के से घोसले  जैसे बाल बनाये, आजकल का युवा फेसबुक पर  कई नई आई डी बनाकर किस मुग़लफते में जीवन गुजार रहा है। राम कृष्ण के पद चिन्ह छोड़, गाय बैलो से दूर कुत्ते की जंजीर पकड़ कर, टोनी मोनी बन गया। ऐसा भविष्य तो हमने नही देखा था। कुछ दिन बाद ये सांगुडे की गिन्दी छीनने की बात तो दूर उस को उठाने के काबिल न रह पाएंगे। आज की भाषा मे  कहे ये भविष्य अब डिलीट होने की कगार पर है।  चेत मुसाफिर भोर भई , जग जागत है। तू सोवत है। जो जागत है। वो पावत है। जो सोवत है। वो। खो,,,व,,,त  है।,,,. ,,,,,, इति  गौतम बिष्ट।

©Gautam Bisht उत्तराखंड की स्थानीय कहानी

Ek villain

#सक्षम बनी स्थानीय विकास #Hope #Society

read more
शहरों की दिशा सुधारने का समय शीर्षक से प्रकाशित तरुण गुप्ता के आलेख समाधान इंदौर के सबसे विकराल समस्या में से एक को रेखांकित करता है लेखक महोदय का यह कहना उचित है कि अपने मशहूर शहर में शिक्षा स्वस्थ एवं रोजगार के प्राप्त अफसरों का अभाव ही लोगों को बड़े शहरों में पलायन के लिए विवश करता है प्लेन का यह आता है जो सिलसिला पहले से ही दबदबे से जूझ रहे भीम काय शहरों के बुनियादी ढांचे पर दबाव को और बढ़ा देता है फिर चाहे आर्थिक राजनीतिक मुंबई में मानसून के दौरान विचलित करने वाले तस्वीर हो या भारतीय साइबर सिटी बेंगलुरु में भेजा यातायात व्यवस्था या फिर राष्ट्रीय राजनीति क्षेत्र में प्रदूषण की समस्या से भी दर्शाती है हमारे शहर एक स्तर के बाद पड़ने वाले दबाव का बोझ उठाने में सक्षम नहीं है ऐसे में यह इस समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है कि शासन व्यवस्था के तीसरी की आधारभूत स्थानीय निकाय की क्षमता को बढ़ाया क्योंकि मूलभूत सुविधाओं की गुणवत्ता को बढ़ाने में यह संस्थाएं सार्वजनिक योगदान दे सकती हैं ऐसा इसलिए है क्योंकि केंद्र और राज्य के तमाम योजनाओं को जमीनी पर उन्हें नहीं उतारना होता है ऐसे में कोई योजना कितनी भी बढ़िया क्यों ना हो यदि उसे सही ढंग से अमल नहीं हुआ तो वह सिद्ध होंगी इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर कोई ऐसी पहल करनी चाहिए जो स्थानीय नेताओं को अधिक सक्षम एवं जवाबदेही बना सकें

©Ek villain #सक्षम बनी स्थानीय विकास

#Hope

SHAYAR (RK)

# हंसो, हंसाओ रक्त संचालन बढ़ाओ #कॉमेडी

read more

Ek villain

5G से प्रभावित विमान संचालन #apart #Society

read more
पिछले दिनों 2 दिन के दौरान भारत से अमेरिका जाने वाले अनेक हवाई उड़ानों को रद्द कर दिया गया केवल भारत की ही नहीं अमेरिका जाने वाली दुनिया की कई देशों की सैकड़ों और खुद अमेरिका की अनेक हवाई उड़ान रद्द कर दी कोविड-19 जनवरी की अमेरिका की स्वरूप 5G संचार तकनीकी सवाल है कि आखिर 5G तकनीकी इसका सेवक क्या रास्ता है दरअसल 19 जनवरी को अमेरिका की दो बड़ी संचार कंपनी वेरिजोन और एटीपी ने कई बार रोकने जाने के बाद आखिर 5G तकनीकी लॉन्च कर दिया इसके साथ ही मिनटों में अमेरिका की विभिन्न 40 बड़े विमान अड्डे पर देश और विदेश में आने वाले सैकड़ों उड़ानें रद्द कर दी गई माना जा रहा है कि 5G तकनीकी कारण विमान को ऊंचाई बताने वाला अल्टीमीटर यंत्र काम नहीं करता ऐसी स्थिति में हवाई जहाजों को रेलवे पर लैंड कराने में मुश्किल खड़ी हो सकती है साथ ही उन्हें उड़ान के दौरान खबर मौसम का नजर नहीं लग सकता इसी कारण अन्ना हजारे उड़ाने रद्द कर देगी और इसका असर भी काफी समय तक दिखाई देगा दरअसल इसकी शुरुआत अमेरिका में सिविल एविएशन को रेगुलर करने वाली एजेंसी अमेरिका की 10 एलियंस कंपनियों की इस विश्वास से है कि 5G तकनीकी से विमान संचालित की सुरक्षा प्रभावित होगी इसके मुताबिक चौकी 5G सेवा रेडियो सिग्नल पर आधारित है और अमेरिका ने अपने में मोबाइल कंपनियों के 5जी की रेंज जबकि विमान की अल्टीमीटर रेडियो सिगनल कीजिए फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करते हैं

©Ek villain 5G से प्रभावित विमान संचालन

#apart

Ek villain

#वैश्विक ब्रांड बने स्थानीय व्यवसाय #selfhate #Society

read more
हमारे देश से होने वाला व्यापक निर्यात में रोजगार सर्जन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम में भारत सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत देश में विभिन्न उत्पादों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया है परंतु यह निर्माता और एमएसएमई सक्षम लघु और मध्यम उद्योगों के साथ आवश्यक अपने फायदे के लिए कैसे लाभ उठा सकते हैं भारत में कारोबारी अपने माल को निर्यात करने के तरीके तलाश रहा होता है वह संबोधित बाजारों के बारे में सूचना के लिए पर निर्भर है बाजार तलाशने का काम चल जाता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यात्रा करना होता है और यात्रा करने में असमर्थ रहते हैं और इसी प्रकार की आवश्यकता आदि शामिल है पहुंचने में हो सकती है लेकिन आया तो कर लेते हैं और उनकी जानकारी एक नन्ही परी क्या हो सकती है जिसमें सफल की संभावना कम होती है और इससे स्थानीय निर्माताओं के लिए बांदा ए आती है ऐसे में एक रमेश निर्माता एम एस एस आई को दुनिया भर में मार्ग पैटर्न निवेदन रुझान और मूल्य निर्धारण की प्राथमिकता को समझने के लिए सूचना और बाजारों की जानकारी तक पहुंच प्रदान करते हैं साथ ही उत्पादकों की गुणवत्ता में सुधार करना और नए उत्पादों को सफल होने की संभावना मदद करते हैं यह दुनिया भर के लोगों को सीधे बनाने में सक्षम बनाता है यह बाजार में व्यापार करने के लिए और व्यापक प्रदान करता है इससे बिचौलियों पर निर्भरता कम हो जाती है

©Ek villain #वैश्विक ब्रांड बने स्थानीय व्यवसाय

#selfhate

Ek villain

#स्थानीय स्तर पर बढ़ते रोजगार #doubleface #Society

read more
रोका नहीं जा सकता श्रमिकों के पलायन शीर्षक से लेख आलेख में भरत झुनझुनवाला ने यह दर्द ही लिखा है कि पलायन आर्थिक मार्च से जुड़ी एक वास्तविकता है उनका यह कहना भी उचित है कि जिन क्षेत्रों में प्लेन होता है जिन क्षेत्रों में पलायन होता है उन दोनों को ही इससे सबसे ज्यादा लाभ होता है यह बात घरेलू से लेकर वैश्विक स्तर पर पूरी तरह से खरी उतरी है हालांकि इस प्लान के कुछ नकारात्मक पहलू भी है अंतरराष्ट्रीय प्लेन से जहां देश के बेहतरीन प्रतिभाओं का प्लेन हो जाता है और देश के अन्य योजनाओं से वंचित रहता है वहीं घरेलू पलायन से उन शहरों के ढांचे पर दबाव पड़ता है जहां भारी संख्या में पलायन होता है इतना ही नहीं वहां कुछ वस्तुओं और सेवाओं के दाम भी अनावश्यक रूप से बढ़ते हैं दूसरी और अनेक मूल्य प्रदेश में बाजार की मांग की प्रभावित होती है यानी कुल राज्यों का दौरा नुकसान होता है ऐसे में पलायन का स्थाई समाधान खोजना नहीं है बल्कि अच्छी बात है कि सरकार द्वारा इस देश में प्रयास किया जा रहा है देश में मुंबई बेंगलुरु हैदराबाद हुआ करते थे किंतु जाते हैं दिल्ली सरकार के पीछे छोड़ दिया है इस रुझान को आधार मानें तो अब भारत के युवाओं को दक्षिण या पश्चिम भारत का रुख नहीं करना होगा इस रुझान को अभी माइक्रोम लेवल पर ले जाना होगा साथ ही रोजगार के ऐसे अवसर सृजित करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा जीने work-from-home के माध्यम से आजमाया जा सके

©Ek villain #स्थानीय स्तर पर बढ़ते रोजगार

#doubleface
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile