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Rupam Jha
हो गई हूं बहुत अब किस्मत के हाथों मजबूर! रह नहीं पा रही हूं अब अपनों से इतने दूर। हरदम हरपल गांव की याद सताती है, मां के हाथों की रोटी खाने को अब जी तरस जाती है, अनुज का प्यार याद आता है तो आंखे भर आती है, पापा की सुनाई हुई सारी कहानियां सुनने को फिर से जी चाहती है, दादाजी - दादी मां की सेवा किए बिन महीनों गुजर गए! खुले हवा में स्वछंद घूमे हुए कितने दिन हो गए! आते हैं ख्याल कि अब बस पंछी बन जाती, तोड़ के सारे भविष्य के जंजीर, बालमन की तरह फिर उड़ पाती।। जहां स्वछंद था मन , वातावरण भी भय रहित, जहां नहीं थी कल की चिंता, नहीं था कोई संशय भी, प्रेम की अविरल धार बहती थी जहां, नहीं था कोई द्वेष किसी से, और नहीं था किसी से कोई भय, अंतर्मन की चाहत है कि... फिर से उस उपवन में चहंकू, फिर से उन फूलों में महंकू, है तमन्ना अब बस कि... हर उस कामयाबी को चूमुं, जिसके लिए ये कष्ट सहती हूं। अपनों से दूर रहती हूं, और तन्हा रातों को रो लेती हूं। एकबार छूकर बुलंदी की शिखर! फिर से उस आंगन में चहकूं, जिस आंगन की चिड़िया हूं, और जहां सुनहरा बचपन गुजारी हूं।।😍 04:45AM पर सुबह हुई होगी बाकी लोगों के लिए ,मेरे लिए तो अभी रात भी नहीं हुई है।(अनिद्रा) और उस पर ये घर की याद, व्यथा लिख के दूसरों को भी व्
04:45AM पर सुबह हुई होगी बाकी लोगों के लिए ,मेरे लिए तो अभी रात भी नहीं हुई है।(अनिद्रा) और उस पर ये घर की याद, व्यथा लिख के दूसरों को भी व् #village #yqhindi #yqdidiquotes #stillawake #नवरूप #bestyqhindiquote #jhapost
read morePardeep Kumar
क्यु गई तू छोड़ के, तेरी याद सताती है, तू आ तो सही, गले लगा तो सही, पास बैठ के, पहले की तरह, मुस्कुरा तो सही। याद सताती है।।
याद सताती है।।
read moreShekh Galib
हमें उनकी याद सताती है कि तुम एक दिन आओगे तुम आओ ना आओ हम प्यार करना नहीं छोड़ेंगे ©Shekh Galib हमें उनकी याद सताती है
हमें उनकी याद सताती है #ज़िन्दगी
read moreDEVENDRA KUMAR
तेरी याद मुझे जब सताती है तेरी याद मुझे जब - जब सताती है, मेरे मन को बहुत चिंतित कर जाती है, प्यार करने में कोई बुराई नहीं है, मगर मोहब्बत भी कभी - कभी धोखा दे जाती है । बहुत बार तो एक दूसरे से प्यार करना भी, एक तरह की मजबूरी बन जाती है, ऐसी स्थिति तब आ जाती है, जब दो प्रेमियों के बीच कोई दरार पड़ जाती है । मुझे क्या पता था की तुम बिना बताए, इस तरह से छोड़कर चली जाओगी, जिन्दगी को तन्हाँ करके मेरी, मुझे अपना पता तक नहीं बतलाओगी । मुझे तो भीतर से लग रहा है अब यही, तुम तो किसी और को अपना बनाओगी, मेरा प्यार किसी दूसरे व्यक्ति को अर्पण करके, अब उसकी दुनिया बसाओगी । हम तो पता नहीं जिन्दा रहेंगे या नहीं, तेरी बेरूखी हम पर ऐसा कहर ढ़ायेगी, मुझे क्या पता था तू मेरे निश्चल प्रेम को, इतना ज्यादा नुकसान पहुँचाएगी । मुझे तो ये आभास तक नहीं हुआ कभी, की तू ही एक दिन मेरा सुख चैन चुराएगी । ऐसा दिन भी आयेगा जीवन में, जब तू ही सपनों में आकर मेरी नींदे उड़ाएगी । बड़ी मन्नतों से पाया था मैंने तुझे और तू ही मेरे साथ दगा कर गई, मेरी सारी उम्मीदों और योजनाओं को मेरे जीते - जी, निष्फल कर गई । अब तो बस यही रह गया है, तुझे भूल जाऊँ या फिर याद करता रहूँ, तेरी बेवफाई के मातम में, अपना अनमोल जीवन यूँ ही बर्बाद करता रहूँ । - Devendra Kumar (देवेंद्र कुमार) # तेरी याद मुझे जब सताती है
# तेरी याद मुझे जब सताती है #कविता
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