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कुन्दन ( کندن )
दुनिया में क्या करना चाहता था और क्या कर रहा हूँ मैं ज़ख्म को भरना था मुझे पर इसे और हरा कर रहा हूँ मैं बड़ा ही महफूज़ रखना चाहता था कभी गिरफ़्त में उसके पर आज खुद को ही खुद से खुशी से रिहा कर रहा हूँ मैं ©कुन्दन ( کندن ) #कुन्दन_प्रीत #कुंदन_प्रीत_मुक्तक
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मैं तो नटखट नंद-किशोर हूँ ❝ राधे ❞ तेरे प्रेम से आनंद-विभोर हूँ ❝ राधे ❞ ©कुन्दन ( کندن ) #कुन्दन_प्रीत #कुंदन_प्रीत_राधिका_प्रेम
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आज कल मुझको बहुत तड़पाते हैं वो दिखाकर शबाब-ए-हुस्न तरसाते हैं वो बेसुध हो जाता खिलता यौवन देख के जब, शानों पर से दुपट्टा सरकाते हैं वो ख़्वाब ही सही पर बहुत अच्छा लगता मेरी बाहों में आके बड़ा बलखाते हैं वो क्या कहूँ बदन उनका नागिन के जैसा यूँ रह-रह के अक्सर ही इठलाते हैं वो इश्क़ की इम्तिहाँ भी यही है आज कल मैं पीके सोता आँखों से छलकाते है वो ©कुन्दन ( کندن ) #कुन्दन_प्रीत #कुंदन_प्रीत_ग़ज़ल
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तेरे पायल का कायल हूँ ❝ राधे ❞ नयनों के बाण से घायल हूँ ❝ राधे ❞ मेरे अधूरे स्वप्नों के दर्श तुम्हीं हो तुम्हारे प्रेम में पागल हूँ ❝ राधे ❞ मेरे स्नेह-बून्द से तेरा तन मन भींगे मैं वो अल्हड़ बादल हूँ ❝ राधे ❞ अब नज़र ना लगे मेरी ठकुरानी को तेरी आँखों का काज़ल हूँ ❝ राधे ❞ ©कुन्दन ( کندن ) #कुन्दन_प्रीत #कुंदन_प्रीत_राधिका_प्रेम
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रूठे-रूठे लफ्ज़ ये मेरे, रूठे हुए हैं कलम हमारे इसलिए तो रफ़्तार धीमे होते गए हैं रक़म हमारे कुछ सीख था और कुछ शौक़ मगर अफ़सोस एक एक करके टूटते ही गए है सारे भरम हमारे अपने दर्द का साझेदार ढूंढने तो चला था मगर यहाँ पे कुछ काम ना आ सके हैं ये करम हमारे चाहे नशा किसी का हो असर किया है तभी तो भरी जवानी में ही लड़-खड़ाने लगे कदम हमारे सलीका तो छोड़ो मैं तरीके से भी नहीं लिखता इसलिए तो आज भी पढ़ने वाले है कम हमारे अब इस चार-दीवारी से चार कंधों पे ही निकले वो रब ही जाने की कब होंगे अगले जनम हमारे ©कुन्दन ( کندن ) #कुन्दन_प्रीत #कुंदन_प्रीत_ग़ज़ल
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यह समाज नहीं जानता है वेदनाएं हमारी......!! मतलब कहाँ की कैसी है भावनाएं हमारी......!! व्यर्थ ही जाने देते हैं अपने इन व्यवहारों में सभ्यताएं शामिल कहाँ है अब संस्कारों में सच के लिए जो मैंने मुँह खोला है तो फिर सभी गिनने लगते है मुझको ये आवारों में उनके ही मुताबिक चलूँ तो ही भले हैं जैसे समाज के कर्जदार हो गई कामनाएं हमारी....!! अपना हक मैं माँगूँ तो भी यहाँ किस से निराशा ही मिलती है मैं माँगूँ भी जिस से आज के सफेदपोशों को जो सत्ता मिली खुद नहीं भरता तो क्या माँगूँ मैं उस से सब कुछ देख कर भी हम स्तब्ध हो जाते फिर अधूरी ही रह जाती आराधनाएं हमारी....!! अनभिज्ञ हूँ मैं अभी इसका मुझे ज्ञान नहीं है समाज के सही दृष्टिकोण की पहचान नहीं है जन्म से ले कर अब तक मैंने यही तो सीखा उनके नज़र में सच्चाई का भी सम्मान नहीं है किस किस को बुरा कहूँ कौन है यहाँ अपना इसलिए गड़बड़ा सी जाती है गणनाएं हमारी....!! ©कुन्दन ( کندن ) #कुन्दन_प्रीत #कुंदन_नज़्म
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हमारी तरसती हुई ये निगाहें ...!! और मचलती हुई ये बाहें ...!! हर वक़्त पूछती है तुम से कि कब जाकर मिलेगी पनाहें ...!! तुझे पाने को बेचैन भी बहुत हूँ दिल में करार भी है ज्यादा... कब तक मैं तुझ से छिपाऊँ कि प्रेम की राहों में है कितनी बाधा.... चिल्लाऊँ भी मैं जितना, चाहे जितना शोर मचाऊँ कोई भी सुनेगा तो नहीं, यहाँ पे मेरी कराहें...!! हम दोनों के दरमियाँ जो, प्यार के फूल भी पनपे मजबूती से बँध जाए, एहसास के जो ये धागे.... रूहानी मोहब्बत के गिरफ़्त में, जो भी यहाँ पे आए फिर रिश्तों को छुड़ा कर, कैसे कोई इस से भागे.... हमने जमाने में अक्सर ही, सबसे यही तो सुना है, कि आँखों के सहारे ही उतरती है, दिल में ये राहें...!! ©कुन्दन ( کندن ) #कुन्दन_प्रीत #कुंदन_नज़्म
कुन्दन ( کندن )
क्या लिखूँ मैं तेरी इस मुस्कुराहट पर जिसको देख कर मैं खो सा जाता हूँ..... क्या कहूँ मैं तेरी इन मासूम अदाओं पर जो मदहोश होकर बस तेरा हो सा जाता हूँ......!! सोचता हूँ सुलझाऊँ तेरी उलझी लटों को जिसमें मेरा दिल बस उलझा रहता है... थाम लूँ तेरे उड़ते आँचल को जो भरी जवानी तुझे ओढ़े रहता है....!! लिख दूँ मैं दो अक्षर इन मदमस्त नैनों पर जो मुझसे हर वक़्त शिकायत करते रहते हैं..... छूँ लूँ तेरे नर्म गुलाबी होंठो को जो एक अलग सा नशा घोल रहते हैं....!! खोल दी अपनी बंद पलकों को जो मेरे ख़्यालों में ही डूबे रहते हैं... आ चलें फिर उन हसीन वादियों में जहाँ दो बेसब्र दिल मिलने को बेकरार हुए रहते हैं...!!! ©कुन्दन ( کندن ) #कुन्दन_प्रीत #कुंदन_नज़्म
कुन्दन ( کندن )
जिस प्रकार की छवि तुम छोड़कर गए हो ना , प्रिय आज भी वैसी ही है कुछ भी ना बदला है और ना बदलेगा बदली है तो ये दुनिया सिर्फ तुम्हारे लिए ही नहीं हमारे लिए भी दोनों के दिलों में आज भी एहसास जिंदा है ये इश्क़ है ये इतनी आसानी से थोड़े ही निकलेगा इसलिए तो मैं बहुत करीब आ रहा हूँ की शायद मुझको अपने सामने देखकर "ऐ इश्क" तुम्हारा दिल संभाले से भी नहीं संभलेगा बेबुनियादी बातें नहीं ये बेकरारी की रातें हैं हम दोनों की ये दूसरी ही मुलाकातें हैं एक पल के लिए सही मगर फिर भी तेरा मन भी जरूर मचलेगा ©कुन्दन ( کندن ) #कुन्दन_प्रीत #कुंदन_नज़्म
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बोलो ना..... तुम कुछ बोल रहे थे... अब तक मन में क्या टटोल रहे थे... अरे अब ये क्या.... चुप क्यूँ हो गए बताओ ना किस ख्याल में खो गए कितना अच्छा तो था कि..... मेरे मन में मिश्री घोल रहे थे.... बोलो ना.... तुम कुछ बोल रहे थे.... मुद्दत हुए मेरे मन के सागर में उतर क्यूँ नहीं जाते सजा के अपने शृंगार में आप संवर क्यूँ नहीं जाते अब याद नहीं...... ना जाने कब से साँस की फाँस में डोल रहे थे... बोलो ना...... तुम कुछ बोल रहे थे.... तुम्हें पता नहीं इसने क्या क्या जत्न किया है तपा तपा कर इसने तो खुद को रत्न किया है फिर भी.... कंकड़ पत्थर के बाटों से.... तुम इस "कुंदन" को तोल रहे थे.... बोलो ना..... तुम कुछ बोल रहे थे..... ©कुन्दन ( کندن ) #BOLO #कुन्दन_प्रीत #कुंदन_कविता
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