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Vandana Singh
Vikas Deep Sharma
Kulbhushan Arora
बेटी ईश्वर की रची कविता है Dedicating a #testimonial to Bandana Gupta बेटी से बड़ी नहीं कोई कविता,, बेटी ईश्वर की रची हुई कविता है शीतल शीतल मधुरम मधुरम, प्रेम रस की
Shah Aftab
Divyanshu Pathak
अंक -2 और दुर्गाष्टमी ------ ब्रह्माण्ड में जीवन का आधार ही 2 है। प्रकृति और पुरूष। परमात्मा और आत्मा। अभाव और भाव। भाव भी 2 ही हैं एक स्त्रैण और दूसरा पौरुष। धरा और गगन। नर और नारायण। दिन और रात। ग्यारहवीं शताब्दी में रामानुज' जो कि तमिलनाडु में पैदा हुए 'विशिष्टताद्वेत' का सिद्धांत दिया। वे कहते हैं कि आत्मा परमात्मा से जुड़ने के बाद भी अपनी अलग सत्ता बनाए रखता है। उनके सिद्धांत से उत्तर भारत में भक्ति की एक नई धारा सगुण भक्ति का विकास हुआ। आगे चलकर भक्ति सगुण और निर्गुण 2 रूपों में हुई साकार और निराकार भी यही 2 रूप हैं।निम्बार्काचार्य का दर्शन भी द्वेताद्वेत' राधा जी को कृष्ण की शक्ति मानते हैं। 1199 ईस्वी कन्नड़ जिले के उडुपी नगर में जन्मे मधवाचार्य जी ने द्वेतवात' नाम का दर्शन प्रतिपादित किया। इन सभी से पहले शिव' और शक्ति का अस्तित्व है। शक्ति का ही साकार स्वरूप महागौरी' है। माता महागौरी'------ गौरी' स्त्रैण भाव का शुद्ध रुप है। वे नारी की शक्ति और गरिमा हैं। डमरू उनके प्रेम और मृदुलता का भाव है तो त्रिशूल संसार मे व्याप्त तीन तरह क
Shubham Panthri
इस देश की माटी का कर्ज चुका कर हम जाएगे, ए वतन अपने लहू से रंग कर तुजे सजायेंगे। - शुभम पांथरी विचारों की वंदना
mangalviras
इस माया मई संसार मे अज्ञान रुपी अंधकार मैं माँ तुने ज्ञान प्रकाश किया ः देकर स्वर सा अमृत तुनै जग संगीत मय किया कुछ ऐसा ही ज्ञान प्रकाश माँ तुम मेरै जिवन मे भी करदो मै बस तुमसै यै कहनै आया हूँ ः हे सूर की देवी माँ सरस्वती में तुम्हे मनाने आया हूँ 2 हे वांणी मे मेरै रस भरो होठो पै गुथो गितो की माला कंठ मे मेरै वास करो माँ दिल करो सूरो का उजाला माँ मै तुमसै यै कहनै आया हूँ माँ मै तुमसै यै कहनै आया हूँ ः ः।।मंगल विरास ।।ः ©mangalviras माँ सरस्वती की वंदना
नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
सुर साधना कर पाऊं मैं, कर दो दया मां शारदे। ममतामयी हो तू मां मेरी, विनती सुनों मां शारदे।सुर...। नित ध्यान चरणों में रहे,और साधना चलती रहे। झंकार वीणा की तेरी मां, गूंजती मन में रहे। हो लगन ऐसी ही मुझ में,कर दो कृपा मां शारदे।सुर...। नहीं ज्ञान सुर का है मुझे,पर चाह दिल में है बहुत। सुर सजे हरि गान गाउं,ये तमन्ना है बहुत। मेरे सिर पे रख दो हाथ तुम,सुर को सजा मां शारदे। सुर ...। विनीत: नागेंद्र ©नागेंद्र किशोर सिंह #सरस्वती मां की वंदना