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प्रतिभा त्रिपाठी
एक बूंद नेह की आंखों से गिरी ही थी गिर गयी स्नेह रूपी सीपी में बन गयी मोती और कितने हृदयों का हार हो गयी। वही दूसरी ओर एक बूंद गिरी अभिलाषाओं से लिप्त स्वार्थ की मैली सोच पर । अब आँखों मे क्रोध है कंचोट है उद्विघ्न मन उलाहने सुनकर विरोध कर रहा है । बूंद अब विषैली हो चली है विषधरों के उद्देश्यों की कुंठाओं की बेदी पर चढ़ने को अस्तित्व खोने को बूंद का भाग्य
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी बूंद बूंद का भी अपना जलवा है नदियो सागरो में मिलकर इतरा रही है अस्त्तिव खोकर भी भूमिका निभा रही है हम सब भी बूंद बूंद बनकर देश समाज के लिये समर्पित होना है अपना अस्तिव रहे ना रहे मगर मजबूत राष्ट्र करना है स्वाभिमान से जीने का हर प्रयास फली फूट करना है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Barsaat बूंद बूंद का भी अपना जलवा है #nojotohindi
Jiten rawat
Standing near the window, I saw अग्यार है तू मेरा यार न बन, तू एक ही रह हज़ार न बन। #अग्यार = अजनबी, प्रतिद्वन्दी (गै़र का बहुवचन) #nojotoshayri #nojotolover #aloneboy #nojotowriter #jitenrawat
pramod malakar
बूंद बूंद करके """""""""""""" बूंद बूंद करके जो मिलता है ज्ञान तुम्हें दिल में समेट लिया करो। चांद की रोशनी मिलती है अगर, अमावस्या की रात भी, आंखों में समेट लिया करो। मंद मंद हवाएं बहती है अगर तुम्हारे करीब से, अपनी सांसों में पीरोलिया करो। कहानी किस्मत की ऐसे ही नहीं लिखी जाती, खुशी और गम को चुपचाप पी लिया करो। तुम भी शबनम हो इस कायनात के, मुस्कुराते हुए हर पल जी लिया करो। ख्वाहिशें तो बहुत होगी दिल में , फटे लम्हों को मन के धागों से सी लिया करो । आसमान भी और जगह ढूंढ रहा है , सपनों को दायरे में समेट लिया करो। बूंद बूंद करके जो मिलता है ज्ञान तुम्हें, दिल में समेट लिया करो।। !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! प्रमोद मालाकार की कलम से !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! ©pramod malakar #बूंद बूंद करके
Prashant Gurjar
मैं तेरे साथ चलता रहा यू कही मंजिल मिल जाये तुम मुस्कुरा दो यू कहि,मेरी रूखी कली खिल जाये मैं हर रोज सुखी मिठ्ठी में पेड़ लगता बस इस आस में हवा चले बदल आये यू कहि ओर बरसात हो जाये मैं तेरी एक बूंद का प्यासा....
hãmräj jhâ
कांच के बाहर की परत मुझ जैसी है। बूंद जैसी तुम छूकर गुजरती रहती हो। न तुम रुकती हो, न मेरा मन भरता है। - ©hãmräj jhâ बूंद बूंद 😛+ #Twowords
Anuj Ray
दो बूंद बरसा के, आंखों का पानी, मिलने को तरसा , गई जिंदगानी। एक दिल के टुकड़े, बने दो दो लाशें, एक अमर प्रेम की ,बस यही है कहानी। ©Anuj Ray # दो बूंद बरसा के, आंखों का पानी,"