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kareem malik
#Pehlealfaaz चिंता से चतुराई घटे दुःख से घटे शरीर पा किये लच्छमी घटे कह गए दास कबीर ।।। kareem malik कबीर दास
kareem malik
मूर्ख को समझावते ज्ञान गाँठ का जाई कोयल होई न ऊजरों नव मन साबुन लाई kareem malik कबीर दास
Arpit Mishra
कस्तूरी कुण्डली बसै मृग ढ़ूँढ़ै बन माहि। ऐसे घटि घटि राम हैं दुनिया देखै नाँहि॥ . ©Arpit Mishra कबीर दास
Writer_Sonu
सभी सम्मानित साथियों को महान संत कबीर दास जी की जयंती पर लख लख बधाइयां और शुभकामनाएं सर जी, आज संत कबीर दास जी की जयंती है संत कबीर दास जी के दोहे ही जोकि आपने भी स्नातक स्तर पर पढ़े हैं और जो और भी हैं जोकि शायद सत्य से रूबरू कराते हैं, ये आस्तिक और नास्तिक से सम्बन्धित नहीं है । किसी भी साथी के धर्म को मानने, पूजा पाठ करने या किसी भी तरह के विश्वास करने के संबंध में कोई व्यक्तिगत आक्षेप नहीं है और न ही किसी भी प्रकार से किसी को ठेस पहुंचाने का उद्देश्य है। सभी सुखी रहें सभी स्वस्थ रहे पुनः सभी सम्मानित साथियों को संत शिरोमणि कबीरदास जी की जयंती पर लख लख बधाइयां और शुभकामनाएं 💐💐💐💐🙏💐💐💐💐 ©KAVI.SONU KADERA कबीर दास #Mic
Shoaib Khan
कबीर के दोहे!! कबीरा खड़ा बाज़ार में!मांगे सबकी खैर ना केहू से दोस्ती ना केहू से बैर!! अर्थ:- कबीर दास कहते हैं की हम इस संसार में सबका भला सोचें! अगर हमारी किसी से दोस्ती ना हो !!तो किसी से दुश्मनी भी ना हो!! ©Shoaib Khan कबीर दास #Corona_Lockdown_Rush
Urvashi Kapoor
गुरु गोविंद दोऊ खड़े,काके लागूं पाय l बलिहारी गुरु आपने,गोविंद दियो मिलाय lĺ अर्थात:- संत कबीरदास जी कहते हैं, गुरु और भगवान दोनों खड़े हो तो हमें सबसे पहले गुरु के पैर छूने चाहिए ĺ क्योंकि, गुरु ही है जिनकी वजह से हमें भगवान के दर्शन हुए हैं....q ©Urvashi Kapoor #संत कबीर दास
Writer_Sonu
पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोई ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय कबीरा पंडित ©KAVI.SONU KADERA कबीर दास के दोहे आज याद करते हैं @#कबीर दास को
Ashraf Ali
1,,,,, कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर।। नाही काहू से दोस्ती, नाही काहू से बैर ।। 2,,,, बड़ हुओ तो का हुओ । जैसे पेड़ खजूर।। पंछी को छाया नाही । फल लगे अति दूर ।। 3,,,, कबीर दास के उल्टा बाणी । बरसे कंबल भीगे पानी ।। ©Ashraf Ali कबीर दास के दोहे,,,
Abhshek
कहतें हैं कि कबीर दास जी अपने जमाने के दोहाकर और रचनात्मक कवि थे। जितने दोहे उन्होंने लिखे सब सत्यता पर अधारित है। उनके दो दोहे मुझे बहोत ही पसंद है। 1 बुरा जो देखन मैं चला बुरा मिलिया कोई, जो दिल खोजा अपनो मुझसे बुरा ना कोई। 2 यह तन कांचा कुंभ है लिया फिरऐ था साथ, ढबका लागे फूट गयो कुछ ना आया हाथ। ©shayar Abhshek कबीर दास जी के दोहे।