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रिपुदमन झा 'पिनाकी'
सिमटते लोग तंग गलियां हैं तंग रास्ते हैं, तंग होने लगे शहर सारे तंग होने लगे हैं दिल सबके, तंग होने लगे नज़र सारे। भीड़ यूं तो बहुत है कहने को ख़ुद में सिमटे हुए हैं सब लेकिन ज़िन्दगी अपनी अपनी मर्ज़ी से लोग करने लगे बसर सारे। ईंट पत्थर के छोटे - छोटे बने हर तरफ हैं घने - घने जंगल हो गए लोग-बाग साथ इनके अब तो बेजान बेअसर सारे। आदमी बिजली का खंभा जैसे, ज़िन्दगी उलझी हुई तारों सी बस जिये जा रहे हैं खामख़ां ही, होके बेआस, बेखबर सारे। ऐसी जद्दोजहद है ज़िन्दगी में, कोई रुकता नहीं घड़ी भर भी वक्त की दौड़ में शामिल होकर भागते फिरते उम्र भर सारे। चौक चौबारा हर गली कोना, आज आदम से है गुलज़ार हुआ पर ज़रा देखो तो सबका चेहरा, लगते ग़मगीन औ मुंतज़र सारे। हो के बेजान ढो रहे हैं सब, अपनी ही लाश जैसे कांधे पर जी रहे हैं ख़ुदा की दुनिया में, अपने जज़्बात मार कर सारे। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #सिमटते_लोग
Tara Chandra
बूढ़ी आँखें रह रहकर, आँसू लाये भर भरकर, बने अनाथ, हैं आँगन-घर, 'सिसकी' लौटे टकराकर।। फेर ली आँखे, अपनों ने, भौतिक विकास, के सपनों ने, सभी कमाने गये शहर, बिसर गये, मारी ठोकर।। कभी थे बौने, बड़े हुए, देख पहाड़, ये खड़े हुवे, लकड़ी, घास, काटते थे, अब जंगल, मिटते जलकर।। पाँव पसारे सन्नाटा, तकता बाहर, और भीतर। पुरखों की उजड़ी बगिया, हाल बुरा है, रो-रोकर।। ©Tara Chandra #सिमटते_गाँव
unforgettable
कैद हूं मैं कुछ अनकही बातों मे आहिस्ता आहिस्ता खुद में सिमटता जा रहा हूं #कैद#आहिस्ता#सिमटता
सुनील बैरवा
उसकी मुलाकात,उसकी यादो,और उसके साथ बिताएं पलों से ही एक क़िताब भर जाये....! और मैं ये बिल्कुल नही चाहता की वो एक किताब बनकर ही सिमट जाये....!! Miss you unlimited...."अकड़ू पहलवान" सिमटना....!! #nojotohindi #nojotofamily
पूर्वार्थ
सिमटती औरतें ठोकरें बहुत मिली तो अनुभव ज्यादा मिलेगा..... इस फैलती दुनियां में..... सब फैल रहे हैं.... कभी बाढ़ग्रस्त शरीर के रूप में..... कभी कुंठीत भावनाओं से उपजी हिंसा के रूप में...... सब बदल रहा... बदलते दौर में में.... बस औरतें कुछ ज्यादा आज भी नहीं बदली... वो आज भी सिमट रही बसों में.... ओछे पुरुषार्थ की घृणित निगाहों में.... अपने घरों में सिमट जाती हैं.... अपनेपन दंभ भरती झूठे रिश्ते नातों में..... कभी प्रेम में सिमट जाती है.... कभी प्रेम वासना में सिमट जाती है.... बदलते दौर की नयी दुनियां में... जब सब बदल रहा है तो..... क्यों नहीं औरतें ख़ुद को बदलती..... क्यों सिमट रही आज़ भी बसों में.... निकलने का तो निकल रही... आज़ भी घरों से औरतें.... पर कितना अपने को सुरक्षित महसूस किया करती हैं औरतें।। ©पूर्वार्थ #सिमटती औरतें
Arora PR
क्यू न हो सका वाकिफ मै अपने ख्यालो से ख्यालो मे डूबे रहने क़ी वजह से हि ती यथार्थ से मै दूर रहा जीवन क़ी दौड़ से मै भागा भागा फिरता रहा तभी तो मै अपनी चादर मे सिकुड़ कर सिमटा रहा ©Arora PR सिमटा रहा
Deepak "New Fly of Life"
दिल बदलते हैं लोग यहाँ हर वक़्त कपड़ों की तरह! खुद पर भरोसा होता नहीं मग़र आज़माते हैं, दूसरों को यहाँ!! ©Deepak Bisht: instagram: deep143bi #सिमटा-ए-कहाँ
Anamika
बातें लंबी करने की आदत थी मुझे तो, तूने तो चंद शब्दों में सिमटना सिखा दिया आभार ऐ जिंदगी..….. #बातें_अनकही #सिमटना #आभार #जिंदगी_का_सच #तूलिका
Ayush Malviya
सिमटती दरमियाँ बातें रहेंगी बिखरती बेख़बर यादें रहेंगी रहेगी बेबसी भी बेजुबाँ जब बरसती बेसबर आँखें रहेंगी यहाँ बेचैन से मेरे ये दिन हैं तेरी बेचैन सी रातें रहेंगी रहेंगे दिल में एक दूजे के हम तो कि जबतक अपनी ये साँसें रहेंगी हमारा इश्क़ ना पूरा अगर हो हमारी ये मुलाक़ातें रहेंगी सिमटती दरमियाँ बातें रहेंगी....