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Tripti varma
White परिवर्तन प्रकृति का स्वभाव है और जीव और मनुष्य इसके अनुकूल ढलते हैं जो नहीं ढल पाते इसके अनुरूप उनके लिए जिंदा रहना संभव नहीं। ©Tripti varma #परिवर्तन
S.N.Mishra "isroulvi"
White परिवर्तन तो प्रकृति का नियम हैं जो जगत के समस्त चराचर में व्याप्त है मगर बदलाव आपके धंधे में हो, आपके skill में, आपके नेचर में हो, परंतु ध्यान रहें जरा सा भी परिवर्तन आपके संबंधों में न हो नहीं तो आप अकेला महसूस करेंगे और कमजोर हो जायेगे। ©S.N.Mishra "isroulvi" परिवर्तन जरूरी है
परिवर्तन जरूरी है #विचार
read moreNilam Agarwalla
White परिवर्तन का दौर है, तुम भी बदलो यार। छोड़ पुरानी सोच को, पकड़ो नये विचार।। परिवर्तन का दौर है, इसपर करना गौर। चलना है इस राह पर, नहीं ठिकाना और।। - निलम ©Nilam Agarwalla #परिवर्तन
Manish Raaj
परिवर्तन ------------ दूर से अक़्सर दूसरों की दुनिया आबाद नज़र आती है ख़ुद के आशियाँ में झांको तो सिर्फ तन्हाई नज़र आती है सलाम करते सूरज में ढलती हुई शाम नज़र आती है बदलते वक़्त और हालात में बदलाव की शुरुआत नज़र आती है हुनर को जितना भी क़ैद करो वो दायरे के बाहर नज़र आती है झूट को कितना भी सच साबित करो अंत में उसकी हार नज़र आती है बाज़ार में बिकता ईमान भी नज़र आता है हर शक़्स किसी न किसी की नज़रों में आने को बेताब नज़र आता है मनीष राज ©Manish Raaj #परिवर्तन
Shiv gopal awasthi
ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए, भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए। पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई, लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए। बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी, सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए। उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं, दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए। थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने। चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए। कवि-शिव गोपाल अवस्थी ©Shiv gopal awasthi कविता
कविता #शायरी
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