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Vedantika
अभिव्यक्ति-१६ (सात दिन का अनोखा प्रेम) एक अनोखी प्रेम कहानी दुनिया ने ना जानी है हृदय में प्रेम लिए भटकती एक मीरा दीवानी हैं विरहन की अग्नि में जलती बीत गई ज़िन्दगानी हैं सात दिनों के सात रंग में रंगी हुई इसकी प्रेम कहानी है पूर्ण होगी अनुशीर्षक में एक अनोखी प्रेम कहानी दुनिया ने ना जानी है हृदय में प्रेम लिए भटकती एक मीरा दीवानी हैं विरहन की अग्नि में जलती बीत गई ज़िन्दगानी हैं सात दिनों
Vandana
मन से वरण करती वो सुकुमारी लाज के पाश में बंधी वो नारी,,,, यौवन की दहलीज में खड़ी माधुर्य को भर देते मृगनयन,,,, नीरव रजनी को संभाले आंचल में प्रेयसी बन इटलाती पुष्पों के आंगन में,,,, झिलमिल सौंदर्य के विरह विकल में योगिनी बन मीठे दर्द में मुस्कुराए,,,, प्रेम से आलोकित होता गौर मुख उत्साह उमंग निरंतर आलिंगन करता,,,,, मन से वरण करती वो सुकुमारी लाज के पाश में बंधी वो नारी,,,, यौवन की दहलीज में खड़ी माधुर्य को भर देते मृगनयन,,,, नीरव रजनी को संभाले आंचल म
AK__Alfaaz..
प्रीत यज्ञशाला मे, प्रेम यज्ञ की, पावन वेदिका के समक्ष, सप्तपदी के, सातों फेरों मे बँधकर, त्रिपता, चल पड़ी समर्पण की, कच्ची पगडंडियों पे, श्वाँस के ढ़लते सूरज की, किरणों के बीच, हाथ थामें अपने सौभाग्य का, लेकर आशीष, सौभाग्यवती भवः का, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #पारिजात_परिणिता प्रीत यज्ञशाला मे, प्रेम यज्ञ की, पावन वेदिका के समक्ष, सप्तपदी के,
DRx. Shital Gujar✍️
आपुलकीने भरून आणली तू मोठी सरीता | मुखी हास्य उमलने योगिनीचे, तुझी मायेची ममता || जवळीक साधण्याची आहे तुझ्याकडे मोठी कला | तुझ्याकडून हेच शिकली आपुलकीने वागत चला || कर्मावर विश्वास आणि मग पुढे पाऊल टाकण्याचा ध्यास | ध्येयपूर्तीसाठी प्रयत्नावर विश्वास, रोज नवी आस || योगिनी तू रुपाची स्वभावाची कलावंती | स्वभावात गोडवा, ओठावर स्मितहास्य मुखी || आयुष्यात समृद्ध पाहाट व्हावी | तुझे यश चकाकणारे नेहमी असावे || अथांग सागराचा पाण्यासम तुझी प्रगती व्हावी | अशीच मैञीची बाग नेहमी फुलावी || मनातील इच्छा आकांक्षा पूर्ण होवो | तुझ आयुष्य आरोग्यमय राहो || -✍️ काव्यशितल ✍️ 💐 वाढदिवसाच्या खूप खूप शुभेच्छा योगिनी💐 🎂😊वाढदिवसाच्या खूप खूप शुभेच्छा योगिनी😊 *वाढदिवसानिमित्त माझ्याकडून तुला एक छोटीशी काव्यरूपी 🎂😊 Wish you many many happy returns of the da
Shikha Mishra
धरा हो तुम, स्वधा हो तुम जगतजननी अम्बा हो तुम, गौरी हो तुम, शिवा हो तुम हम बच्चों की मां हो तुम। भूमिजा हो तुम, शैलजा हो तुम हम भक्तों की तो पूजा हो तुम गिरिजा हो तुम, वसुधा हो तुम सर्वत्र पूज्य जगदंबा हो तुम। #durgapuja Best YQ Hindi Quotes #smbhakti #devotion #matarani #prayer #yqhindi #paidstory2 धरा हो तुम, स्वधा हो तुम जगतजननी अम्बा हो तु
KP EDUCATION HD
KP TAILOR HD wallpaper HD wallpaper HD ©KP TAILOR हर माह दो एकादशी आती है. और सभी एकादशियों का महत्व अलग होता है. उत्पन्ना एकादशी के दिन पूजन के दौरान भगवान विष्णु के साथ एकादशी माता की आरती
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
हरे कृष्ण।। ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust श्री योगिनी एकादशी व्रत आज
Divya Joshi
"तंत्र साधना, शव साधना, श्मशान साधना, भैरवी और तारा जैसी सारी साधनाएं जानता हूँ मैं!!! समझा महा मूर्ख!!!! अब मेरी शक्तियों को कम समझने की गलती की तो तुझे खड़ा खड़ा भी भस्म कर सकता हूँ मैं। दुबारा मत पूछना।" भयानक वेशभूषा और शक्ल वाला अघोरी घनी अंधेरी रात में अमर को पकड़ कर श्मशान घाट लेकर जा रहा है। आधी रात में सब सोए हैं, और जाग रहा है तो बस श्मशान। तेज हवाएं चल रही है, पेड़ों के पत्ते कानों में सांय सांय की आवाज़ कर रहे हैं। अजीब से जानवरों की आवाज़ें उन पत्तों की आवाजों के साथ मिलकर उस रात को और डरावना बना रही है। अमर उसके साथ साथ उसके पीछे पीछे चला जा रहा है। श्मशान घाट में जली कुछ चिताओं के अंगारे तक अब तक ठंडे नहीं हुए। अघोरी अमर को एक ऐसी ही चिता के पास ले गया जो कुछ समय पहले जलकर भस्म हो चुकी थी। उसके अंगारे भी अपेक्षाकृत ठंडे हो चुके थे। उसने अमर को वहाँ ले जाकर कुछ मंत्र पढ़ते हुए चिता के बीचों बीच बैठने का इशारा किया।अमर को बीचो-बीच बिठा देने के बाद उसने पूर्व दिशा की ओर मुंह करके कहा "ओम ह्रीं फट" फिर चारों और घूम कर उसने चारों दिशाओं को कीलित करना शुरू किया। इसके लिए पहले पूर्व में मुँह कर हाथ मे जल ले उसने अपने गुरु का ध्यान किया । फिर पश्चिम में मुंह कर "जय बटुक भैरवाय नमः" कहा। उत्तर में घूमकर हाथ मे जल लेकर "योगिनी नमो नमः" कहा। दक्षिण में घूमकर फिर "ओम फट स्वाहा" कहते हुए वह जोर से चिल्लाया। उसके चिल्लाने के बाद जवाब में कुछ चीखें श्मशान में सुनाई देने लगीं। ©Divya Joshi चलो बाकी बातें कल करेंगे सो भी जाओ तुम्हें जल्दी भी तो उठना है।" कहकर दादी ने तृषा को लाइट ऑफ कर सो जाने को कहा। "तंत्र साधना, शव साधना, श
Vikas Sharma Shivaaya'
एकादशी:- हिंदू पंचांग की ग्यारहवी तिथि को एकादशी कहते हैं। यह तिथि मास में दो बार आती है। पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है इसलिए एकादशी को हरि वासर या हरि का दिन भी कहा जाता है। एक ही दशा में रहते हुए अपने आराध्य का अर्चन-वंदन करने की प्रेरणा देने वाला व्रत ही 'एकादशी व्रत' है। एकादशी का नाम मास पक्ष:- कामदा एकादशी- चैत्र शुक्ल वरूथिनी एकादशी- वैशाख कृष्ण मोहिनी एकादशी -वैशाख शुक्ल अपरा एकादशी -ज्येष्ठ कृष्ण निर्जला एकादशी- ज्येष्ठ शुक्ल योगिनी एकादशी- आषाढ़ कृष्ण देवशयनी एकादशी -आषाढ़ शुक्ल कामिका एकादशी- श्रावण कृष्ण पुत्रदा एकादशी- श्रावण शुक्ल अजा एकादशी- भाद्रपद कृष्ण परिवर्तिनी एकादशी- भाद्रपद शुक्ल इंदिरा एकादशी -आश्विन कृष्ण पापांकुशा एकादशी- आश्विन शुक्ल रमा एकादशी -कार्तिक कृष्ण देव प्रबोधिनी एकादशी -कार्तिक शुक्ल उत्पन्ना एकादशी- मार्गशीर्ष कृष्ण मोक्षदा एकादशी- मार्गशीर्ष शुक्ल सफला एकादशी- पौष कृष्ण पुत्रदा एकादशी- पौष शुक्ल षटतिला एकादशी -माघ कृष्ण जया एकादशी- माघ शुक् ल विजया एकादशी- फाल्गुन कृष्ण आमलकी एकादशी- फाल्गुन शुक्ल पापमोचिनी एकादशी- चैत्र कृष्ण पद्मिनी एकादशी- अधिक मास शुक्ल परमा एकादशी -अधिक मास कृष्ण पुत्रदा एकादशी:- पुत्रदा एकादशी को वैकुंठ एकादशी भी कहते हैं- पुत्रदा एकादशी के पुण्य फल से व्यक्ति को पुत्र की प्राप्ति होती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी या वैकुंठ एकादशी व्रत रखा जाता है. पुत्रदा एकादशी व्रत हर संतानहीन दंपत्ति को रखने के लिए कहा जाता है. विष्णु सहस्रनाम( एक हजार नाम) आज 312 से 322 नाम 312 नहुषः भूतों को माया से बाँधने वाले 313 वृषः कामनाओं की वर्षा करने वाले 314 क्रोधहा साधुओं का क्रोध नष्ट करने वाले 315 क्रोधकृत्कर्ता क्रोध करने वाले दैत्यादिकों के कर्तन करने वाले हैं 316 विश्वबाहुः जिनके बाहु सब और हैं 317 महीधरः महि (पृथ्वी) को धारण करते हैं 318 अच्युतः छः भावविकारों से रहित रहने वाले 319 प्रथितः जगत की उत्पत्ति आदि कर्मो से प्रसिद्ध 320 प्राणः हिरण्यगर्भ रूप से प्रजा को जीवन देने वाले 321 प्राणदः देवताओं और दैत्यों को प्राण देने या नष्ट करने वाले हैं 322 वासवानुजः वासव (इंद्र) के अनुज (वामन अवतार) 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 . ©Vikas Sharma Shivaaya' एकादशी:- हिंदू पंचांग की ग्यारहवी तिथि को एकादशी कहते हैं। यह तिथि मास में दो बार आती है। पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद। पूर्णिमा के बा