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Dinesh Silavat

देखो कलाकारी और बेकारी #कॉमेडी

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Chetan malviya

तुम्हारी शिनाख्त ही झूठी है.., नहीं नहीं मेरी किस्मत है की तबियत से रूठी है.... अच्छा जो मैं कहूंगा बन जाएगा.., बाबू हम तो जोगी है जिसमें कह #काम #जिंदगी #randomthoughts #yqquotes #yqthoughts #बेकारी

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तुम्हारी शिनाख्त ही झूठी है..,
नहीं नहीं मेरी किस्मत है की तबियत से रूठी है....
अच्छा जो मैं कहूंगा बन जाएगा..,
बाबू हम तो जोगी है जिसमें कहेगा उसमें रम जाएगा....,
सुनो काम इतना भी आसान नहीं..,
आदमी खरा हूं बिना जामन पड़े दही-मठे सा जम जाएगा...।।
अरे बेवकूफ Legal-illegal का तो सोच कर कह..,
बेकारी से इतना frustrated हूं की अब मुझको कुछ भी चल जाएगा..!!
 तुम्हारी शिनाख्त ही झूठी है..,
नहीं नहीं मेरी किस्मत है की तबियत से रूठी है....
अच्छा जो मैं कहूंगा बन जाएगा..,
बाबू हम तो जोगी है जिसमें कह

Prem Pushp Prajapati

शब्दार्थ सरफ़रोश = जान की बाज़ी लगा देने वाला, जाँनिसार अहबाब = 'हबीब' का बहु., मित्र लोग, दोस्त, प्रियजन अक्स = प्रतिबिम्ब, साया, परछाईं आब #something #Shayari #different #शायरी #Try #मुहोब्बत #OpenPoetry #prempushp #उजड़ा_हुआ_आशियाँ #बेकारी #मुहफेरों_से_बच_के_रहना

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#OpenPoetry सरफ़रोश-ए-अहबाब क्यूँ ज़ीस्त तबाह 
की अक्स पे तूने ओ "प्रेम"।
जो आबले देखता हूँ शिकन के, 
तबाह-ए-अहबाब का ख़्याल आता है।। शब्दार्थ 

सरफ़रोश = जान की बाज़ी लगा देने वाला, जाँनिसार
अहबाब = 'हबीब' का बहु., मित्र लोग, दोस्त, प्रियजन
अक्स = प्रतिबिम्ब, साया, परछाईं
आब

Nilesh Mishra

My attitude हर इक रोज मेरी कलम कुछ मेरी बेकारी लिखती है। कुछ उनकी सोच में नगद तो कुछ यादे उधारी लिखती है।। बेशक थोड़ी नरमी से पेश

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हर इक रोज मेरी कलम
कुछ मेरी बेकारी लिखती है।

कुछ उनकी सोच में नगद
तो कुछ यादे उधारी लिखती है।।

बेशक थोड़ी नरमी से पेश
आते हो हम जमाने क साथ

पर हमारी सख्ती को मेरी कलम
मेरी अय्यारी लिखती है। My attitude
हर इक रोज मेरी कलम
कुछ मेरी बेकारी लिखती है।

कुछ उनकी सोच में नगद
तो कुछ यादे उधारी लिखती है।।

बेशक थोड़ी नरमी से पेश

Abhijeet Yadav

हम अपने सपनों में जीते - मरते हैं बारंबार गिरते - पड़ते हैं, नाकारी, बेकारी से जीभर के लड़ते हैं, साहस उठा फिर उठते हैं, आसमान के अथाह सागर मे #story #thought #Hindi #कविता #tale

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हम अपने सपनों में जीते - मरते हैं
बारंबार गिरते - पड़ते हैं,
नाकारी, बेकारी से जीभर के लड़ते हैं,
साहस उठा फिर उठते हैं,
आसमान के अथाह सागर में उड़ते हैं
हम अपने सपनो में रोते - हँसते हैं,
हम अपने सपनों में जीते - मरते हैं हम अपने सपनों में जीते - मरते हैं
बारंबार गिरते - पड़ते हैं,
नाकारी, बेकारी से जीभर के लड़ते हैं,
साहस उठा फिर उठते हैं,
आसमान के अथाह सागर मे

*Nee₹

#YoLiWriMo में आज लिखें उन बदलावों के बारे में जो हम अपने प्यारे देश में देखना चाहते हैं। #देशमेंबदलाव #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine C

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१) विश्वस्तरीय व उत्तम चिकित्सा सेवा 
२) बेकारी का अंत 
३) भ्रष्ट-तंत्र का सर्वनाश  #yoliwrimo में आज लिखें उन बदलावों के  बारे में जो हम अपने प्यारे देश में देखना चाहते हैं।
#देशमेंबदलाव #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
C

Pnkj Dixit

बेकार लोग...✍️🌷👰💓💝 इस दुनिया में निठल्ले, आलसी, कामचोर लोग लोगों की नजर में बेकार होते हैं । जो लोग शिक्षित, समय के पाबंद

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बेकार लोग...✍️🌷👰💓💝

इस दुनिया में 
निठल्ले, आलसी, कामचोर लोग 
लोगों की नजर में बेकार होते हैं ।

जो लोग 
शिक्षित, समय के पाबंद 
अपनेआप को व्यवस्थित रखते हैं;
बेरोजगारी का दंश झेलते हैं ।

किंतु 
बेकार लोग बेरोजगार नहीं होते।
वें समय-समय पर या हरेक दिन 
राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों या
किसी भी आंदोलन में शामिल होते हैं।
वें अपनी बेकारी को रोजगार देते हैं।

बेकार लोग बेकार नहीं होते 
बल्कि बेरोजगार लोग बेकार होते हैं।
१६/०१/२०२३
🌷👰💓💝
...✍️ कमल शर्मा'बेधड़क'

©Pnkj Dixit बेकार लोग...✍️🌷👰💓💝

इस दुनिया में 
निठल्ले, आलसी, कामचोर लोग 
लोगों की नजर में बेकार होते हैं ।

जो लोग 
शिक्षित, समय के पाबंद

CHANDRAKANT

श्रमायदान श्रमूता श्रमात्कमे lश्रज्ञे श्रमेज्ञ व्हावे श्रमुनी मिळावे l श्रमायदान हे ll१ll श्रमाची साडेसाती टळो l तया श्रमकर्म प्रीती म

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Madhav Jha

ये महफ़िल के मेहमान्नवाज़ों के लिए जिन्हें कहानी समझ नहीं आती और उपमा में शेर हैं। तंज़ तो ग़ालिबन अखबारों के घिसे पिटे कहने को ग़ालिब बैठे हैं भ #जलना #बेकारी #योरकोट #योरकोटबाबा #यौरकोट_दीदी #बेकार_की_बातें

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अपने पर जरा ग़ौर हो तो काम अच्छा है,
दिल के तंज़ के सिवा कहीं अपने पे हो ज़ोर तो अच्छा है ।
 चंद मिसरे है शान में नाकाम-ए-गुस्ताख़ी की,
चर्चा हो कुछ और तो अच्छा है ।


जल भी चुके परवाने हो भी चुकी रुसवाई,
अब ख़ाक उड़ाने को बैठे हैं तमाशाही,
तारों की ज़िया दिल में इक आग लगाती है
आराम से रातों को सोते नहीं सौदाई 
अब ख़ाक उड़ाने को....X 2
बैठे है तमाशाही ।
जल भी चुके परवाने, हो भी चुकी रुसवाई ।
रातों की उदासी में ख़ामोश है दिल मेरा,
बेहिस्स हैं तमन्नाएं नींद आये के मौत आये 
(सबकी तरफ से मेरे लिए और मेरी तरफ से सबके लिए ये)
अब दिल को किसी करवट आराम नहीं मिलता
इक उम्र का रोना है दो दिन की शनासाई ।
 ये महफ़िल के मेहमान्नवाज़ों के लिए जिन्हें कहानी समझ नहीं आती और उपमा में शेर हैं। तंज़ तो ग़ालिबन अखबारों के घिसे पिटे कहने को ग़ालिब बैठे हैं भ
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