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Banarasi..
शब्द सृजन की सदी अनोखी अनदेखी कुछ अनजानी सी डगर, ढूंढ रहा वो अपनी सी सुनहरी सहर। व्यापक विरूपाक्ष का व्यवसाय सा ओझल, जिंदगी बिन सादगी हो रही बेरंग सी बोझल। नितदिन न्योतित निहायत से निर्मित, मानव मंचित मोह माया में हो मिश्रित। काल की कालिका से हो कलंकित, खग खोजे खोह ख़लिश मुक्त खोखलित। गमन गति गीत से हो गतिमय ग्रसित, घृणा घेर घूर घर घाल घड़ी घालित। चमक चेतन चैतन्य चिन्मय में चीर चिंतन, छटी छठा छोह छः छल छीछल की छनछन। जीवन जटिल जीभ जंबू जाल जल से जलना, झंकृत झांझ झांझर झंझट झपट झेल बना झरना। टूटी टहनी टोहे टकराव की टंकार टंकित टिटहरी, ठूंठ ठहर ठौर ठग ठनकती ठिगनी ठकुराई की ठुमरी। डाकिया डर डपटे डगरी डकैत डंठल डसे डुगडुगाई, ढूंढे ढोंगी ढपली ढोलक ढाबा ढकोसलायुक्त ढिठाई। तिल तिल तीर तोरण तकती तेज त्यागी की तरूणाई, थाम थाली थिरकी थकी थोड़ा थपकी से थम थर्राई। दाम दया दंड दमनकारी दृष्टिगोचर दानव द्राक्ष दूषिताई, धर्म ध्यान धर धीरज ध्येय धन धवन ध्वजा धाय धराई। पाहुन पाए पोल्हाए पिंजरा पवन पोषित प्रेम पाप पनपाय, फिरे फनी फेरत फूले फ़राक फर्क फर्ज फैल फ़नफ़नाय। बनारसी बहुल बहुसंख्यक बहुलता बैर बेचैनी बहाए, भोले भंवर में भयानक भयंकर भजन भोजन भरमाए। यज्ञ यति योनि याज्ञवल् युगान्तर योग योग्य यमनयान, रोग रहित रेवती रंक रंजन रंगोली रंगाई राग रसिकपान। लोभ लाभ ललित लक्ष्य लंका ललाट लाग लपेट लगाए, वजन वारि वाक्य विकास वांछनीय विशेषता की विधाए। संकल्प स्तोत्र से संबंधित स्थित समाधानयुक्त संभावनाएं, शीर्ष शिखर शोषित शिशिर शेखर शनि शेष शुभकामनाएं। षट् षड्यंत्री षट्भुजी षड्यंत्रकारी षचि षट्कर्मित, हिमाचल हिमखंड हेमंत हजार हमलावार हठ हर्षित। क्षय क्षत्रिय क्षीण क्षति क्षणभंगुर क्षितिज क्षतिधारी, त्रिकालदर्शी त्रिरत्न त्रिपाद त्रेता त्रिगुण त्रय त्रिशरारी। श्रमिक श्रृंखला श्रुतिनन्दन श्रवण श्रमिक श्रुतिशास्त्री, ज्ञाचक ज्ञानी ज्ञानमीमांसा ज्ञानप्रकाश ज्ञपित ज्ञानदात्री। अनोखी अनदेखी कुछ अनजानी सी डगर, ढूंढ रहा वो अपनी सी सुनहरी सहर। - लेखक: बनारसी ©Banarasi.. "अभिव्यक्ति की अनूठी कला - शब्दों की सदी में नई डगर की तलाश।" #शब्दसृजन #हिंदीकविता #हिंदी_साहित्य साहित्य #शब्दोंकाजादू #कवितासंग्रह #अभिव
"अभिव्यक्ति की अनूठी कला - शब्दों की सदी में नई डगर की तलाश।" #शब्दसृजन #हिंदीकविता #हिंदी_साहित्य साहित्य #शब्दोंकाजादू #कवितासंग्रह अभिव
read moreSumitGaurav2005
White मेरा मन मस्तिष्क मदहोश करती मतवाली अदा, सनम तू मेरे लिए है हर पल ही ज़माने से जुदा। क्यों रहती गुपचुप गुमसुम गुम हो किन ख़्यालों में, तुम ही बसी हो सनम मेरे हर इक सवालों में। बड़ी बेचैनी बड़ी बेताबी खोया है बड़ा करार, जब से तुमसे सनम हो गया है मुझको प्यार। पहले प्यार की पहचान होनी बड़ी है जरूरी, फिर हमारे बीच सनम क्यों है इतनी ज्य़ादा दूरी। चाह मेरी चाहना तुम्हें चाहत फिर भी है अधूरी, सनम अपना लो मुझे हर कमी हो जाए पूरी। कर रहे कब से इंतज़ार इनकार या इकरार करो, प्यार का इज़हार करने से किसी से भी ना डरो। या तो अपना लो मुझे या फिर साफ मना करो, ऐसी भी क्या मज़बूरी थोड़ा तो इंसाफ करो। ✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎 ©SumitGaurav2005 अनुप्रास अलंकार वाली कविता। अलंकार का अर्थ है काव्य या भाषा को शोभा देने वाला मनोरंजक तरीका। जब किसी काव्य में एक या एक से अधिक वर्णों की प
अनुप्रास अलंकार वाली कविता। अलंकार का अर्थ है काव्य या भाषा को शोभा देने वाला मनोरंजक तरीका। जब किसी काव्य में एक या एक से अधिक वर्णों की प
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