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Shabdveni
......... .............. ........... ©Shabdveni निर्मल वर्मा #shabdveni #meenakshi_shukla
Mr. Singh Hindi Classes
‛तुम अब जाओगे? - हाँ, लेकिन कल मैं इसी वक्त आऊँगा - उसने कहा। वह अपलक उसकी और देखती रही - इधर आओ - उसने कहा । वह सिरहाने के पास झुका। उसने अपनी देह से चादर हटा दी और दोनों हाथों से उसका चेहरा अपने वक्ष पर खींच लिया । - कोई आ जायेगा - उसने धीरे-से कहा । - आ जाने दो - उसने कहा ।’ निर्मल वर्मा की रचना का एक अंश
ranjit Kumar rathour
सब्बो जो मिली थी ट्रेन में मिली थी पहली बार एक इत्तेफाक था की उसे पूरे बोगी में मेरी पास वाली ही सीट मिली थी उसका रंग सांवला सा था सांवला भी नही काली ही थी उसपे पगली ने काजल लगा रखी थी एक बार क्या मिली जहा तहां मिल जाती कभी बस में तो कभी घोड़ा गाड़ी अब तो हद हो गयी मेले में भी मिल गयी मैंने भी ये काली कलूटी लगती पीछे पड़ गयी मैं भागता रहा और वो मिलती रही एक दिन उसने कह ही दिया तुम मूझे अच्छे लगते हो मैं क्या करता मुझे अच्छा लगता तब तो आखिर कर पिंड छूट ही गया लेकिन सालो बाद फिर उसी की कहानी दोस्तो को सुनाता हूँ क्यों जानते हो कोई दूसरी वैसी मिली नही जिसने आगे आकर कहा हो कि उसे मुझसे प्यार हो गया हैं मेरे दूर भगने पर भी करीब आयी हो ये कोई और नही थी ये निर्मल वर्मा कि बिट्टो छुट्टी वाली मेरी मेरी ट्रेन वाली सब्बो थी असली नाम सावित्री जिसे भूलना सभव नही था लिख डाला। ©ranjit Kumar rathour मेरी ट्रेन वाली सब्बो #निर्मल वर्मा की बिट्टो जैसी #poetry month
SATYA PRAKASH VERMA
रोटी बिहार का रोटी नहीं रोजगार चाहिए, पैसा नहीं व्यापार चाहिए हम सब हैं हुनर वाले , मौका हमें एक बार चाहिए ! अरे अब तो संभालिए साहेब 70 साल की कहानी कभी कोलकाता ,तो कभी दिल्ली, तो कभी गुजरात में भटक रहा है यह जिंदगानी! निकल पड़ते हैं रुपैया को खोजने ! एक बोतल पानी और एगो बैग के साथ ,25 बोगी वाला रेलगाड़ी में मात्र चार को सामान्य बोगी होता है !जैसे ही रेलगाड़ी आता है प्लेटफार्म पर वैसे ही बैग वा को फेंक देते हैं रेलगाड़ी के बोगी मैं! खचाखच भीड़ में पायदान पकड़कर पैर जमाने का कोशिश करते हैं, जैसे ही शरीर बोगी के अंदर जाता है तो एक सुकून का एहसास होता है ! अरे अब तो संभालिए साहेब ,कब तक चंद्र मिनटों का एहसास करते रहेंगे !अरे जो काम दिल्ली कोलकाता मुंबई गुजरात में हो सकता है बिहार में काहे नहीं अरे अब तो संभालिए साहेब , अरे अब तो संभालिए साहेब ! लेखक सत्य प्रकाश वर्मा रोटी बिहार का लेखक सत्य प्रकाश वर्मा #Art
Biikrmjet Sing
जग में राम नाम हर निर्मला होर मैला सभ आकार।। अर्थ:- जगत में शरीर यानी सारा तन मैला है अगर निर्मल है तो वह है दसवां द्वार जिसमें प्रकाश रूप परमात्मा रूपी राम बस्ते हैं यानी हमारे नेत्रों व नैनो के साहमने परमात्मा बसते हैं।। ©Biikrmjet Sing #निर्मल
HP
पानी पानी हुँ पानी मैं निर्मल पानी हुँ बड़ी मस्त मौला,बहुत ही निडर हुँ जिधर चाहती हुँ उधर घूमती पानी हुँ पानी मैं निर्मल पानी हुँ गंगा मेरा है नाम करती दुनिया का काम हरति दुनिया का दुःख देती दुनिया सुख पानी हुँ पानी मैं निर्मल पानी हुँ बड़ी मस्त मौला,बहुत ही निडर हुँ जिधर चाहती हुँ उधर घूमती पानी हुँ पानी मैं निर्मल पानी हुँ निर्मल
Amit Singhal "Aseemit"
हम उस एक अदृश्य महा शक्ति की। पूजा, इबादत, अरदास या प्रेयर करें। आशय है निर्मल हृदय से भक्ति की। विनती करने व क्षमा माँगने से न डरें। ©Amit Singhal "Aseemit" #निर्मल
Bijendra Shukla
मन ही में भगवानश्री विष्णु का वास है। ज्ञानियों का ज्ञान ही भगवान है ©Bijendra Shukla #निर्मल मन