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Shyarana Andaaz
इस मानसून भी रोये हैं हम । कम्बख़त पिछली बार की याद आ गयी।। ©Pushp Raj मानसून #मानसून #monsoon
anjaan shiv
दिलों में दफ़्न दिलों के जज्बात रहने दो। आँखों मे बंद इन लबों के बात रहने दो। तुम पल भर प्यार से बात तो कर ना पाए। छोड़ो इस बरसात में मुलाकात रहने दो। अंजान #मानसून
Vinay
रिमझिम बूंदे बरस रही है, छम-छम धरती नाच रही है खिड़की खोली तो लगा हवा पेडो़ं से बतिया रही है ताजा ताजा अहसास है ये, धरती अम्बर से मिल रही है झुलस गयी थी बिच्छोह की आग में आज धरा आसमान में समा रही है, कड़क बिजली गिराता आसमान, अपने आने का ऐलान करता है अपने यार से मिलने की घडी़ आ गयी है पंछी हवा में उड़ते है बारिश की बूंदों का स्वाद लेते है उनकी खुशी दुगूनी हो गयी है, ये रस धारा हर ओर फैल रही हर तरफ नये जीवन की फुहार है गर्मी से राहत दिलाने मानसून आ गयी है.. विनय मानसून
Shyarana Andaaz
अकेली आती है और अकेली ही चली जाती है। अब के मॉनसून, गलियों में कस्तियाँ नहीं तैरती। होती है अब भी वही बारिश, पहले सी। गर गलियों की रौनक, अब घरों से नहीं निकलती। ©Shyarana Andaaz मानसून और बचपन #मानसून #बचपन #monsoon #Childhood
priyanka jha
मिलो ना मिलो राहों में, वक्त दो ना दो रास्तों में, हम पतझर में भी निकल जाएंगे, तुम साथ हो ना हो मानसून में ! ©priyanka jha #Pattiyan #मानसून
Vikas samastipuri
प्रकृति की मार है मानसून भी बेकरार है धरती बेहाल है मत गरजो बादल यही पुकार है। ©kavi kumar vigesh मानसून #rain
Vikas samastipuri
मानसुन की मार है लाजमी लेकिन किसान बेहाल है मन तो है छाता बन जाऊ लेकिन धरती बेचैन है। ©Kavi Kumar Vigesh मानसून #Love
Rakesh Roshan Singhariya
इशान की खुदगर्ज़ी का आलम यह है कि बारिश के बाद छाता भी बोझ लगता है मानसून टाइम
Vikas Singh Parihar
एक बार फिर आ गया हैं मानसून, लेकर के बहार ही बाहर। मौसम की इस रिमझिम बरसात, से दिल लगा है गुदगुदाने को। मन मचल रहा है इसमें भीग जाने को, लग रहा है देख कर जैसे स्वर्ग आ गया धरती पे। अप्सराएं कर रही जैसे नृत्य धरती में, झर झर की मधुर ध्वनि कर रही है पागल। इस रिमझिम फुब्वार में लगा नाचने मयूर, देख प्रकृति का रूप अनोखा में हो रहा बाबरा। दिल कह रहा है इसमें बार बार भीग जाने को, यह बरसात को देख वृक्ष लगे हे शर्माने। लगता है देखकर कोई नाच रहा चित्तचोर, हे अनुपम घटा आई हर तरफ हरियाली छाई। हो रहा देख यह रूप दिल मेरा बाग-बाग, बस देखता रहूँ ये नज़ारा बार बार। एक बार फिर आ गया मानसून, लेकर के बहार ही बहार। ©Vikas Singh Parihar #मानसून #बारिश